केंद्रीय गृहमंत्री के जम्मू-कश्मीर प्रवास के मायने

Edited By ,Updated: 06 Nov, 2021 05:14 AM

meaning of union home minister s stay in jammu and kashmir

केंद्रीय गृह मंत्री पिछले सप्ताह 3 दिनों के लिए जम्मू-कश्मीर प्रवास पर रहे। अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद गृह मंत्री की यह पहली यात्रा..

केंद्रीय गृह मंत्री पिछले सप्ताह 3 दिनों के लिए जम्मू-कश्मीर प्रवास पर रहे। अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद गृह मंत्री की यह पहली यात्रा रही। जबकि बतौर केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में, अमित शाह की यह दूसरी यात्रा थी। उन्होंने अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के ठीक 40 दिन पहले, जून 2019 में, कश्मीर घाटी का दौरा किया था। किसी भी केंद्रीय गृह मंत्री के लिए 3 दिनों तक जम्मू-कश्मीर प्रवास और सुरक्षा की परवाह किए बिना लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने का संभवत: यह पहला उदाहरण है। 

3 दिनों के एजैंडे में गृहमंत्री का पूरा फोकस आतंकवाद के खिलाफ जारी अभियान पर तो रहा ही, साथ ही, सरकार साफ संदेश देना चाहती थी कि घाटी में आतंकवाद के सफाए के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। आतंकियों के मददगारों के लिए यह भी संदेश रहा कि दहशतगर्दी की किसी भी हिमाकत का बराबर हिसाब होगा। जम्मू-कश्मीर प्रवास के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने जो भी वक्तव्य दिए वो मित्रतापूर्ण रहे। मसलन, उन्होंने कहा कि वो जम्मू-कश्मीर के युवाओं से संपर्क करने आए हैं। कश्मीर का युवा सकारात्मक है। हमें उनके साथ जुडऩा है। युवाओं को जम्मू-कश्मीर के विकास में सहभागी बनाना है। 

केंद्रीय गृह मंत्री ने पंडित प्रेमनाथ डोगरा से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तक के योगदान को याद कर भी जम्मू के लोगों की भावनाओं को झकझोरा। दोनों को एक निशान, एक प्रधान व एक विधान का समर्थक बताते हुए यह बताने की कोशिश की कि जम्मू के लोगों ने इसके लिए बड़ी कुर्बानी दी है। यह कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। दोनों का सपना अनुच्छेद 370 हटने के बाद साकार हो गया है, जिसे और आगे बढ़ाना है। 

केंद्रीय गृह मंत्री की यह यात्रा कई मायनों में अहम रही जिसमें, आतंकियों को सख्त संदेश देने के साथ-साथ सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ाने से लेकर नए कश्मीर में युवाओं का भरोसा जीतना तक शामिल रहा। बेखौफ अंदाज में दिख रहे केंद्रीय गृह मंत्री की इस यात्रा से केंद्र सरकार के उस मजबूत इरादे की झलक भी मिलती है जिसके तहत नए जम्मू-कश्मीर का निर्माण करना है। पिछले कुछ समय से कश्मीर में जो हालात बने हुए थे उसे देखते हुए गृह मंत्री की यह बहुत महत्वपूर्ण यात्रा रही। उनका पूरा फोकस युवाओं और सुरक्षाकर्मियों पर रहा जिससे न केवल युवाओं में केंद्र सरकार के प्रति एक भरोसा बढ़ा बल्कि सुरक्षाबलों का भी मनोबल उत्साहित हुआ। 

केंद्रीय गृह मंत्री ने पॉलिसी ऑन हैलीकॉप्टर ऑपरेशन इन यूनियन टैरिटरी ऑफ जम्मू-कश्मीर को लांच किया। इसके साथ ही उन्होंने श्रीनगर-शारजाह अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का उद्घाटन भी किया। इससे केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और अधिक निवेश भी आएगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही, जम्मू कश्मीर को देश के सभी हिस्से से जोड़ा जा सकेगा। महत्वपूर्ण बात रही कि केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर प्रवास के अंतिम दिन श्रीनगर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान बुलेट प्रूफ ग्लास शील्ड हटवाई और फिर स्थानीय लोगों को आह्वान करते हुए कहा कि आप लोगों से खुलकर बात करना चाहता हूं।

जम्मू-कश्मीर की शांति में खलल डालने की तमाम तरह की साजिशें चल रही हैं। वह प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि यह साजिशें न तो कामयाब होंगी और न ही सफल होने दी जाएंगी। प्रदेश का युवा विकास की राह पर आगे बढ़ चला है, दहशतगर्द उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू वालों के साथ अन्याय का युग अब समाप्त हो चुका है। जम्मू हो या कश्मीर संभाग दोनों के साथ न्याय होगा। जम्मू में विकास युग की शुरूआत हो चुकी है। युवा सचेत हो गया है। यदि युवा वर्ग गरीबों की सेवा में जुट जाए तो दहशतगर्द कुछ नहीं बिगाड़ सकते। 

कुछ लोग सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते रहते हैं। वर्ष 2004-14 के बीच 2,081 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इस लिहाज से प्रति वर्ष 208 लोग मारे गए। 2014 से सितंबर 2021 तक 239 लोगों ने अपनी जान गंवाई। हालांकि हम संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि हम ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं जहां किसी की जान न जाए और जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद पूरी तरह से समाप्त हो जाए। कभी पत्थरबाजी की घटनाओं के लिए मशहूर रहे जम्मू-कश्मीर में इस साल ऐसी घटनाओं में जबरदस्त कमी देखने को मिली है। इसके पीछे आतंकवादियों के खिलाफ हो रही लगातार सख्त कार्रवाइयां प्रमुख वजह हैं। 

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी से जुलाई महीने के बीच हुईं पत्थरबाजी की घटनाएं 2019 की इसी अवधि के बीच हुईं घटनाओं से 88 फीसदी कम रही हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी के कारण सुरक्षा बलों और नागरिकों के घायल होने की संख्या में भी क्रमश: 84 फीसदी और 93 प्रतिशत की कमी आई है। अशांति फैलाने वाले समूहों के ओवर-ग्राऊंड वर्कर्स की गिरफ्तारी भी इन 2 सालों में खासी बढ़ी है और 2019 के 82 की तुलना में इस साल 178 तक पहुंच गई है। साथ ही, हर शुक्रवार को, जुम्मे के दिन, जिस प्रकार अलगाववादी तत्वों द्वारा पाकिस्तानी और आई.एस.आई.एस. के झंडे लहराते हुए हुड़दंगबाजी होती थी, वह सब दृश्य अब देखने को नही मिलते।

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