मीना कुमारी: ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’

Edited By Pardeep,Updated: 01 Aug, 2018 04:51 AM

meena kumari where no one gets perfect

लड़ते -झगड़ते इस जिंदगी से चले जाएगा इंसान और छोड़ जाएगा चंद यादें, चंद अरमान। इन्हीं यादों, इन्हीं अरमानों को अधूरा ही लेकर चली गई सिने जगत की एक महान अदाकारा मीना कुमारी। हां, वही मीना कुमारी, जिसे पैदा होते ही उसका बाप अनाथालय छोड़ गया। जगत...

लड़ते -झगड़ते इस जिंदगी से चले जाएगा इंसान और छोड़ जाएगा चंद यादें, चंद अरमान। इन्हीं यादों, इन्हीं अरमानों को अधूरा ही लेकर चली गई सिने जगत की एक महान अदाकारा मीना कुमारी। हां, वही मीना कुमारी, जिसे पैदा होते ही उसका बाप अनाथालय छोड़ गया। जगत प्रसिद्ध फिल्म ‘पाकीजा’ की नायिका मीना कुमारी मरते वक्त अस्पताल का बिल अदा न कर सकी। पति कमाल अमरोही, जिसे मीना कुमारी ने अपने सपनों की पूर्ति का साधन समझा, उसी चाहने वाले पति ने मीना कुमारी को तलाक के नर्क में धकेल दया। मीना कुमारी कराह उठी:- 

तलाक तो दे रहे हो मुझे, कहर के साथ।
जवानी भी लौटा दो मेरी, मेहर के साथ।। 
PunjabKesari
नायिका मीना कुमारी, जिसका पहली अगस्त को जन्मदिन है, उसे उसी के परिवार ने ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ समझ उसका बचपन उससे छीन लिया। चार साल की महजबीं बानो, जिसे स्कूल जाने की चाह थी, को घर चलाने की खातिर फिल्मी कैमरे के आगे अभिनय करना पड़ा। जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो पति कमाल अमरोही ने मीना कुमारी की जवानी लूट कर उसे तलाक की चौखट पर फैंक दिया। जिस एक्टर धर्मेंद्र को सिने जगत की बुलंदी की सीढ़ी पर चढ़ाया, उसी धर्मेंद्र ने प्रसिद्धि हासिल कर मीना कुमारी को ताने सुनने के लिए अकेला छोड़ दिया। 

प्यार और बच्चे की चाह में यह फिल्मी हीरोइन मीना कुमारी कभी भारत भूषण की बांहों में और कभी प्रदीप कुमार जैसे एक्टर के कंधों का सहारा ढूंढती रही। इतनी बेजोड़ अभिनेत्री, इतनी प्रसिद्ध अदाकारा मीना कुमारी शोहरत की बुलंदी पाकर भी अधूरी रही। सिनेमा से प्रेम करने वाले मेरी पीढ़ी के लोग यह तो जानते होंगे कि जगत प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी बासी रोटी और हरी मिर्च खाकर परिवार के लिए अशर्फियां उगलती रही। बेवफाई और पारिवारिक झगड़ों ने मीना कुमारी को तन्हाई में डाल दिया, उसे केवल और केवल पत्थरों से प्यार हो गया परन्तु जब भी पर्दा स्क्रीन पर आती, अपनी मधुर आवाज, अपनी अदाकारी और अपने हुस्न का जादू सिने दर्शकों पर बिखेर जाती। 
PunjabKesari
धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और रोमांटिक फिल्मों में अभिनय करने वाली मीना कुमारी पर्दे पर शालीन भारतीय नारी की अमिट छाप छोड़ गई। उनमें छिपी अभिनय प्रतिभा को 1952 में उम्दा फिल्मी डायरैक्टर विजय भट्ट ने पहचाना और मीना कुमारी को फिल्म ‘बैजू बावरा’ में भारत भूषण के अपोजिट नायिका की भूमिका प्रदान की। ‘बैजू बावरा’ ने सफलता के सारे रिकार्ड तोड़ डाले। 1953-54 में मीना कुमारी को फिल्म फेयर का बैस्ट एक्ट्रैस का अवार्ड मिला। उसके बाद तो मीना कुमारी के सितारे आसमान छूने लगे। उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में सिने दर्शकों को दीं। ‘परिणीता’, ‘दायरा’, ‘दिल अपना और प्रीत पराई’, ‘यहूदी’, ‘अद्र्धांगिनी’, ‘सांझ और सवेरा’, ‘मेम साहिब’, ‘प्यार का सागर’, ‘दिल एक मंदिर’, ‘फूल और पत्थर’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘मंझली दीदी’, ‘कोहेनूर’, ‘एक ही रास्ता’, ‘जिंदगी और ख्वाब’, ‘चित्रलेखा’, ‘काजल’, ‘गजल’, ‘बहू बेगम’, ‘नूरजहां’, ‘दुश्मन’, ‘मेरे अपने’, ‘शारदा’, ‘छोटी बहू’, ‘आरती’, ‘मैं चुप रहूंगी’, ‘भीगी रात’ इत्यादि मीना कुमारी की न भुलाई जाने वाली फिल्में हैं। 

मीना कुमारी अपनी अंतिम फिल्म ‘पाकीजा’ को देखने की हसरत लिए ही इस दुनिया को अलविदा कह गई। ‘परिणीता’ और ‘अद्र्धांगिनी’ जैसी फिल्में उनके भारतीय नारी के रूप को दर्शाती हैं। ‘पाकीजा’ की साहिब जान एक अमर किरदार है। बहुत कम दर्शक इस बात को जानते होंगे कि फिल्म ‘शारदा’ में मीना कुमारी सुप्रसिद्ध एक्टर स्वर्गीय राजकपूर की मां बनी थीं और इसके बाद दोनों फिर कभी किसी फिल्म में नहीं आए। फिल्म ‘साहिब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू की भूमिका निभा कर मीना कुमारी अमर हो गई। सामंत शाहों ने इस फिल्म में मीना कुमारी को शराब के नशे में धुत्त छोटी बहू की भूमिका में अमर कर दिया। जहां मीना कुमारी पर्दे पर शालीन भारतीय नारी की प्रतीक थीं, वहीं अपनी निजी जिंदगी में एक टूटी हुई, तन्हा, शराब में डूबी, हारी हुई, अपनों से धोखा खाई हुई फिल्मी एक्ट्रैस थी। पर्दा-ए-स्क्रीन पर एक आदर्श महिला और व्यक्तिगत जिंदगी में हारे हुए जुआरी की तरह शराब की मारी एक एकाकी महिला। 

मीना कुमारी ने छोटे से छोटे कलाकार के साथ भी नायिका की भूमिका निभाई। महीपाल जैसे धार्मिक हीरो, ए. राजन और जयंत जैसे खलनायकों से भी मीना कुमारी को उतना ही प्रेम था। वैसे तो बड़े से बड़े एक्टर की मीना कुमारी के सामने घिग्घी बंध जाती थी। दिलीप कुमार और देव आनंद जैसे हीरो मीना कुमारी के सामने अपने संवाद भूल जाते थे। तो भी मीना कुमारी ने अशोक कुमार, गुरुदत्त, राजकपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद जैसे क्लासीकल कलाकारों के सामने अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया था। ‘दो बीघा जमीन’ यद्यपि बलराज साहनी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी परन्तु अपनी अतिथि कलाकार की भूमिका में मीना कुमारी बलराज साहनी से उन्नीस नहीं थीं। 

सुनील दत्त के साथ मीना कुमारी ने ढेर सारी फिल्में बतौर नायिका बखूबी निभाईं। यह नॢगस और सुनील दत्त ही तो थे जिन्होंने मीना कुमारी को बीमारी की हालत में भी कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीजा’ को पूरा करने के लिए राजी किया। कमाल अमरोही ने ‘पाकीजा’ से खूब पैसा कमाया परन्तु मीना कुमारी मुफलिसी की हालत में अस्पताल में दम तोड़ गईं। राजेंद्र कुमार के साथ मीना कुमारी ने ‘दिल एक मंदिर’, ‘प्यार का सागर’, ‘जिंदगी और ख्वाब’ जैसी सफल फिल्मों में काम किया। 

पूना की एक कार दुर्घटना ने मीना कुमारी को 21 मई, 1951 में चार महीने तक अस्पताल में रखा। इन चार महीनों में कमाल अमरोही और मीना कुमारी की नजदीकियां बढ़ीं। दोनों ने शादी कर ली। कमाल अमरोही जहां पहले से शादीशुदा थे, वहीं मीना कुमारी से 15 साल बड़े भी थे। 1956 आते-आते दोनों में तलाक भी हो गया। तलाक के 16 वर्षों बाद 1972 में ‘पाकीजा’ पूरी हुई। 39-40 की उम्र होती ही क्या है। 31 मार्च, 1972 को महान कलाकार मीना कुमारी सिने उद्योग को अपनी यादें देकर सदा-सदा के लिए जुदा हो गई। सिने प्रेमियों का मीना कुमारी को श्रद्धानमन।-मा. मोहन लाल पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री, पंजाब

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!