मोबाइल की लग गई ‘लत’

Edited By ,Updated: 31 Dec, 2019 01:46 AM

mobile addiction

युवाओं व समाज की बात की जाए तो इनमें वर्तमान समय में जो सबसे बड़ी बात सामने आती है वह है मोबाइल फोन व इंटरनैट का गलत प्रयोग, आज का युवा किस ओर जा रहा है यह कोई नहीं कह सकता है। आज के युवाओं ने सुविधाओं को खुद के लिए समस्या बना लिया है, मोबाइल फोन को...

युवाओं व समाज की बात की जाए तो इनमें वर्तमान समय में जो सबसे बड़ी बात सामने आती है वह है मोबाइल फोन व इंटरनैट का गलत प्रयोग, आज का युवा किस ओर जा रहा है यह कोई नहीं कह सकता है। आज के युवाओं ने सुविधाओं को खुद के लिए समस्या बना लिया है, मोबाइल फोन को जहां सकारात्मक कार्यों के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए वहीं युवा इसका गलत प्रयोग करके समाज में अश्लीलता, भ्रामकता फैला रहे हैं। सोशल साइट्स की युवाओं को लत-सी पड़ गई है, आज युवा इन साइ्टस व एप्स के बिना नहीं रह पाता, इनमें फेसबुक,व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टिकटॉक इत्यादि हैं। 

नकारात्मक प्रयोग हो रहा
इन्हें जहां सूचनाओं व ज्ञान का आधार बनाया जाना चाहिए था, वहीं इसका नकारात्मक प्रयोग किया जा रहा है, जोकि गलत है। आज का युवा तकनीक का इतना प्रयोग कर रहा है जितना आज तक किसी ने नहीं किया है लेकिन इस तकनीक का प्रयोग नकारात्मक क्षेत्र में हो रहा है या  फिर सकारात्मक क्षेत्र में, यह देखना आवश्यक है। सोशल मीडिया से हमारी युवा पीढ़ी शायद हासिल तो कुछ नहीं कर पा रही है अपितु इसके दुष्प्रभावों से ग्रस्त अवश्य हो रही है। 

विद्या मंदिर में मोबाइल के इस्तेमाल पर लगे रोक
यही कारण है कि आए दिन ऐसी अजीब घटनाएं सुनने को मिल रही हैं जिनके बारे में कोई आम व्यक्ति सोच भी नहीं सकता था। कहीं पर घरों की लड़कियां सोशल मीडिया पर अपलोड की गई विभिन्न प्रकार की फिल्मों से प्रभावित होकर, रातों-रात अमीर बन कर अपने सपनों को सच करने के लिए घरों की दहलीज को लांघ रही हैं, वहीं पर ऐसे मामले भी सामने आने लगे हैं जिनमें युवा सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर नशे जैसी लत से ग्रस्त होकर अपना जीवन तबाह कर रहे हैं। 
अभी हाल में पंजाब में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका कर रख दिया है। इस मामले में 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने सोशल मीडिया के चक्कर में अपने ही दोस्त, जो कि 9वीं कक्षा का विद्यार्थी है, के अपहरण का प्रयास किया। यह एक ऐसा कृत्य है जिसकी इन छात्रों से कभी अपेक्षा भी नहीं की जा सकती।

स्कूलोंं का प्रबंधन देखने वालों को भी चाहिए कि वे विद्या के मंदिरों में मोबाइल जैसी वस्तुओं को पूरी तरह से प्रतिबंधित करें। स्कूल में बच्चे पढऩे के लिए आए हैं तो उनका एकमात्र लक्ष्य पढ़ाई ही होना चाहिए। मां-बाप को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों की हर गतिविधि पर पूरी नजर रखें। बच्चों को अच्छे और बुरे का बोध करवाएं। उन्हें समझाएं कि सोशल मीडिया पर तो हर प्रकार की अच्छी व बुरी जानकारी उपलब्ध है परंतु हमें अच्छी और खुद को अपडेट रखने वाली जानकारियों को ही ग्रहण करना है। 

यह निगरानी रखना मां-बाप का फर्ज है कि सोशल मीडिया पर उनके बच्चे क्या देख रहे हैं? इसका अंदाजा मां-बाप उनके व्यवहार को देखकर भी लगा सकते हैं। अपराध की दुनिया में कदम रख चुके युवा भी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैैं। कुछ गैंगस्टर्स सोशल मीडिया पर अपने स्टेटस अपडेट करते रहते हैं और कुछ तो अपने दुश्मनों को धमकियां तक देते हैैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ऐसी गतिविधियों को रोक नहीं पा रही है। जरूरी है कि उसका साइबर क्राइम सैल और मजबूत हो। इसके साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी यह समझना होगा कि कोई भी तकनीक जब तक सकारात्मक रूप से इस्तेमाल की जाती है तब तक वरदान होती है, अगर उसका इस्तेमाल नकारात्मक रूप से किया जाए तो वही अभिशाप बन जाती है। इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोच-समझ कर, सकारात्मक ढंग से ही होना चाहिए। 

लोगों को इसकी लत लग गई है, यह इसकी सबसे बड़ी खामी है। यह इतना आकर्षक साधन है कि लोग इसे कई-कई घंटों तक उपयोग करते रहते हैं। इस्तेमाल करने वाले अपने जरूरी काम छोड़कर इसको करते रहते हैं। बच्चे अपनी पढ़ाई से जी चुराने लगे हैं। वे ज्यादातर समय फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब पर चिपके रहते हैं। ज्यादा देर तक कम्प्यूटर, मोबाइल फोन के इस्तेमाल से उनकी आंखें कमजोर हो जाती हैं। लगातार एक ही जगह पर बैठे रहने से मोटापा बढ़ रहा है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित समय के लिए करना चाहिए। 

सोशल मीडिया गैर जिम्मेदार बनाता है
आजकल ऐसा कुछ ज्यादा ही होने लगा है। पुलिसवाले, शिक्षक, बैंक कर्मी, रेलवे कर्मी, अन्य नौकरी करने वाले कर्मचारी अपने ऑफिस में अपनी ड्यूटी करने की जगह फेसबुक, व्हाट्सएप, यू-ट्यूब में मस्त रहते हैं। वे अपने कत्र्तव्य का निर्वहन सही तरह से नहीं करते हैं। हिंदू-मुस्लिम, विभिन्न धर्मों वाले लोगों को उकसाने की कोशिश की जाती है। धार्मिक कट्टरता, धार्मिक  उन्माद फैलाने का प्रयास किया जाता है। अब ज्यादातर युवा पीढ़ी मोबाइल के अतिरिक्त उपयोग के कारण खुद को बिगाड़ लेती है क्योंकि हर चीज की अधिकता हानिकारक है। मोबाइल का अधिक उपयोग भी हानिकारक है। छोटी पीढिय़ां मोबाइल का उपयोग करने में व्यस्त दिखती हैं। रात को फोन करने के कारण वे अन्य काम नहीं कर पा रहे हैं। 

पढ़ाई का नुक्सान
मोबाइल के उपयोग के कारण बहुत नुक्सान हो रहा है। यंग पीढ़ी दिन-रात मोबाइल का उपयोग करती है। वे कॉल करते हैं, हर बार मोबाइल पर फेसबुक का उपयोग करते हैं, जिसके कारण वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं और उन्हें भारी नुक्सान उठाना पड़ता है। 

बुरी गतिविधियों में शामिल
मोबाइलों के कारण युवा पीढ़ी बुरी गतिविधियों में शामिल है। जैसा कि हम देखते हैं कि बम विस्फोट में ज्यादातर युवा पीढ़ी शामिल थी। वे एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं, एक-दूसरे के साथ सम्पर्क करते हैं। अगर मोबाइल की कोई अवधारणा नहीं है, तो वे सम्पर्क नहीं कर सकते हैं और उनके द्वारा गलती की बहुत अधिक संभावना है। मोबाइल अपराध के कारण चोरी, डकैती, बम विस्फोट आदि बढ़ जाते हैं। 

धन का अपव्यय
युवा पीढ़ी मोबाइल का उपयोग करती है और कॉल करती है। एस.एम.एस. संकुल जिसके कारण वे हर बार शेष राशि को रिचार्ज करते हैं जो उनके पैसे बर्बाद करता है। 

अनिद्रा का खतरा 
स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी से न सिर्फ सोने में दिक्कत आती है, बल्कि बार-बार नींद टूटती है। इसके ज्यादा प्रयोग से रेटिना को नुक्सान होने का खतरा रहता है। 

मोटापा व बीमारियां 
एक शोध के मुताबिक मोबाइल से चिपके रहने से दिनचर्या अनियमित रहती है। इससे मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है। अगर बात समाधान की करें तो बहुत से ऐसे साधन हैं जिनसे रोक लगाई जा सकती है।-प्रो. मनोज डोगरा
 

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