मोदी ने मतदाताओं के लिए अपना ‘आकर्षण’ अभी खोया नहीं

Edited By ,Updated: 16 Nov, 2020 03:39 AM

modi has not lost his attraction to voters yet

भाजपा ने आखिर एक और चुनाव जीत लिया। इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रसिद्धि को जाता है। अपने कार्यकाल के वह सातवें वर्ष में हैं और अभी तक भी उन्होंने मतदाताओं के लिए अपना आकर्षण खोया नहीं है। उप-महाद्वीप में चुनावों को संगठन, धन तथा...

भाजपा ने आखिर एक और चुनाव जीत लिया। इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रसिद्धि को जाता है। अपने कार्यकाल के वह सातवें वर्ष में हैं और अभी तक भी उन्होंने मतदाताओं के लिए अपना आकर्षण खोया नहीं है। उप-महाद्वीप में चुनावों को संगठन, धन तथा जन-जातीयता को लेकर जीता जाता है। हालांकि इस पर कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। 

मगर हम यह मान कर चलें कि निजी आकर्षण तथा विश्वसनीयता ही प्रधानमंत्री मोदी की जीत की कुंजी है। इसी ने भाजपा को बिहार में जीत दिलाई है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक और कहां तक वह जीतना चाहते हैं? एक मंतव्य के लिए सत्ता रखी जाती है और मोदी ने अपनी सत्ता के लिए किस बदलाव का इस्तेमाल किया है? यदि हम अर्थव्यवस्था की बात करें तो आंकड़े छिपाए नहीं जा सकते। जी.डी.पी. वृद्धि दर 8 से 7, 7 से 6, 6 से 5, 5 से 4 तथा 4 से 3 पिछली 12 तिमाहियों के दौरान रही है। जनवरी 2018 से पहले अर्थव्यवस्था को किसी ने घेर लिया और आज समय फिर से ऐसा करने का नहीं है। वास्तविकता यह है कि कोविड के बिना तथा लॉकडाऊन से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। 

बिहार चुनावों के नतीजों के घंटों बाद आर.बी.आई. ने यह घोषणा की कि दूसरी तिमाही मतलब जुलाई से सितम्बर तक भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर से सिकुड़ गई और हम मंदी में चले गए। सरकार न तो इस बात पर अपनी प्रतिक्रिया देती है न ही मानने को तैयार है। मोदी ने विकास की कुछ और चीजों के बारे में बातें कीं मगर दिल से नहीं कीं। क्या आपको याद है कि पिछली बार उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता के बारे में कहा जोकि विश्व की अर्थव्यवस्था से उत्कृष्ट होने के बारे में थी। बंगलादेश भारत की प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. को लांघ गया है। 

जैसे कि मैं यह लिख रहा हूं ऐसे भी समाचार हैं कि हमने सीमा पर 11 और जिंदगियों को खो दिया। इस पर मीडिया की प्रतिक्रिया इस बात का दावा करने को लेकर थी कि पाकिस्तान के भी 11 सैनिक मारे गए (जिसकी पुष्टि पाकिस्तान का मीडिया तथा सरकार नहीं करती है)। यह एक खेल की तरह हो चुका है। यह एक विरासत की तरह है मगर यह एक उत्पादन की तरह भी है जो मोदी के पड़ोसियों के रिश्तों के बाद उत्पन्न हुए हैं। इसका मतलब यह है कि दुश्मन का घाटा हमारा फायदा है मगर यह सब बोगस है। उनके सैनिकों को मार कर हम कोई फायदा नहीं उठा रहे। हम उस समय घाटा झेलते हैं जब हमारे लोग ही मारे जाते हैं। एल.ए.सी. पर हम आत्मसमर्पण करने की तैयारी में हैं।  जमीन पर हम पहले से ही प्रभावित हुए हैं। हमें स्थायी तौर पर लद्दाख में ङ्क्षफगर 8 तक पैट्रोलिंग करने से रोका गया है। 

मोदी द्वारा इस बात को नकारना कि हमारी सीमा में कोई चीनी घुसा ही नहीं, दूसरे पक्ष को एक स्पष्ट सिग्रल है। इस विषय पर उसके बाद मोदी ने बोलना ही छोड़ दिया। एक रक्षा पर्यवेक्षक ने कहा कि मोदी ने नक्शे पर लद्दाख की स्थिति को बदल दिया है। मगर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जमीनी स्तर पर इसे बदल दिया है। आखिर 56 इंच का सीना किसके लिए? अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रति झुकाव से हमें कुछ नहीं मिला, और अब वह सत्ता से बाहर हैं। लॉकडाऊन के चलते इस देश की दो तिहाई महिलाओं ने अपनी नौकरियां खो दीं। 

ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं कि महिलाओं के लिए कार्य की भागीदारी  9.15 प्रतिशत (दिसम्बर 2019) गिर कर इस वर्ष अगस्त माह में मात्र 5.8 प्रतिशत रह गई, वहीं पुरुषों के लिए यह गिर कर 60 प्रतिशत से 47 प्रतिशत रह गई। ज्यादातर भारत कार्य नहीं कर रहा और बेरोजगार है। क्या आपने कभी सुना है कि मोदी ने इस बारे में एक शब्द भी बोला हो? वह कहना क्या चाहते हैं? अच्छी बात तो यह है कि हम मोदी काल के 7वें वर्ष में हैं। इस समय उनके शब्दों का कोई भी मतलब नहीं। हमें केवल नंबरों की गिनती करनी है और यह नंबर स्पष्ट ही नहीं।-आकार पटेल

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