इंदिरा गांधी से ज्यादा ‘कपटी और छल’ करने वाली है मोदी सरकार

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2020 03:27 AM

modi sarkar is more  deceitful and deceitful  than indira gandhi

अशोका यूनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति तथा आधुनिक भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक विचारक प्रताप भानु मेहता ने एक मुखर तथा ठोस साक्षात्कार में कहा है कि मोदी सरकार फासीवादी की भाषा बोलती है। उनका कहना है कि हालांकि सरकार सत्ता पाने के लिए चुनावों को...

अशोका यूनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति तथा आधुनिक भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक विचारक प्रताप भानु मेहता ने एक मुखर तथा ठोस साक्षात्कार में कहा है कि मोदी सरकार फासीवादी की भाषा बोलती है। उनका कहना है कि हालांकि सरकार सत्ता पाने के लिए चुनावों को जीतने के लिए प्रतिबद्ध है तथा दूसरी ओर ये फासीवादी गुणों की जांच सूची के साथ चिपकी हुई है। निष्कर्ष निकालते हुए मेहता कहते हैं कि बोलचाल की भाषा में मोदी सरकार फासीवादी सरकार है तथा इसे ऐसी सरकार का नाम देने में कोई गलती नहीं। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह न्यायोचित तथा बढ़ा-चढ़ाकर कहना होगा कि मोदी सरकार की तुलना इंदिरा गांधी की एमरजैंसी के साथ हो सकती है। इस पर मेहता ने कहा कि कई कारणों से यह सरकार इंदिरा गांधी की 1975-77 की सरकार से ज्यादा कपटी और छल करने वाली है। उन्होंने कहा कि जब आप दोनों सरकारों के व्यवहार के पीछे के इरादों को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है। 70 के दशक में इंदिरा गांधी का इरादा अपनी स्थिति तथा व्यक्तिगत अधिकार को मजबूत करना था। आज मोदी का इरादा अपने बहुसंख्यकवाद तथा सत्तावादी एजैंडे को आगे बढ़ाना है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री हिन्दुत्व के एजैंडे को भी आगे बढ़ता देखना चाहते हैं। 

सरकार की रणनीति लोगों को बांट कर सत्ता में रहने की है
‘द वायर’ के 60 मिनटों वाले मुझे दिए गए साक्षात्कार के दौरान मेहता ने विस्तृत तौर पर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसे शासक की हुकूमत देख रहा है जो एक जानवर के बल के हिसाब से अपनी बातें थोपना चाहता है। अब यह अपने आपको सकारात्मक उपलब्धियों द्वारा ही नहीं बल्कि अपने दुश्मनों को नीचा दिखा कर न्यायसंगत ठहराना चाहता है। इसके द्वारा तीन परिणाम दिखाई देते हैं। पहला यह कि सरकार की रणनीति लोगों को बांट कर सत्ता में रहने की है। सरकार की रणनीति पुराने मुद्दों को सुलझाने की नहीं है। यह सरकार तो नए-नए विरोधी लाकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है और इस उम्मीद में बैठी है कि हम बंटे ही रहेंगे। दूसरा परिणाम यह है कि यह सरकार उन लोगों के प्रति असहनशील है जो इसका विरोध करते हैं या फिर इसके प्रति असहमत हैं।

सरकार की मंशा वास्तविकता तथा काल्पनिक दुश्मनों को किसी भी तरीके से कुचलने की है। सरकार किसी के प्रति भी ङ्क्षहसा को प्रोत्साहन दे रही है जो इसके सुर में सुर नहीं मिला रहा। अंत में तीसरा परिणाम यह है कि देश के लोगों पर यह सरकार अपना प्रभाव छोडऩा चाहती है। यह तो हमारी इच्छाओं, कारणों, भावनाओं को मिटा देना चाहती है, जो इसकी विचारधारा वाले प्रोजैक्ट के समक्ष खड़े होंगे। मेहता ने आगे कहा कि उनको डर है कि मोदी सरकार का स्पष्ट तौर पर दिखने वाला बहुसंख्यकवाद तथा सत्ताधारी एजैंडा लोगों को बदल कर रख देगा। मेहता को यह भी यकीन नहीं कि आने वाली भविष्य की कुछ सरकारों के लिए यह निश्चित होगा कि वे भारत की प्रक्रिया को फिर से बदल सकें जैसा कि पहले हुआ करता था। 

देश फिर से 1970 के एमरजैंसी दौर में लौट रहा है
जब उनसे पूछा गया कि यदि भारत में निरंतर ऐसा ही चलता रहा तब दो-तीन वर्षों के बाद इस देश की राहें कैसी नजर आएंगी तो उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि देश फिर से 1970 के एमरजैंसी के दौर में लौट रहा है। देश वही विभाजन, वही प्रदर्शन और आत्मविश्वास में कमी देख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दशकों बाद वह दृढ़ निश्चय के साथ नहीं कह सकते कि हमारी पीढ़ी की तुलना में वर्तमान युवा पीढ़ी बेहतर जीवन जिएगी। 

उन्होंने कहा कि इस भयंकर दौर में भारत के नेता देश की छवि गिराना चाहते हैं या तो वे पेचीदगी में हैं कि देश में क्या घट रहा है या फिर वे खड़े होने को तैयार रहें। ये सब मूर्खतापूर्ण बातें हैं। मेहता ने पहली मर्तबा मध्यम वर्ग के बारे में खुले तौर पर बात की। इसके साथ-साथ विशेष तौर पर न्यायालयों तथा कारोबारी नेताओं के बारे में भी बात की जिनकी चुप्पी सरकार का हौसला बढ़ा रही है। सर्वोच्च न्यायालय की बात करते हुए मेहता ने कहा कि ये संवैधानिक मूल्यों तथा सिद्धांतों जिनको कायम करने के लिए यह प्रतिबद्ध थी, पूर्णतया फेल हो चुकी है। अनुच्छेद 370 को हटाने तथा जम्मू-कश्मीर की पदावनति कर इसे दो केन्द्रीय शासित प्रदेशों में बांटने पर किए गए सवालों के जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि यह सब कुछ कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों, जानबूझ कर लोकतंत्र की अवहेलना तथा इसके अस्वीकार करने के लम्बे इतिहास के बाद घटा है। 

हजारों लोगों को नागरिकता के लिए लाइन में लगा देगी मोदी सरकार
सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार उस समय हमारी आंखों में धूल झोंकती है जब यह कहती है कि यह कानून मुस्लिमों पर निशाना नहीं साधेगा और न ही उनकी नागरिकता पर कोई खतरा है। हिरासत केन्द्रों को स्थापित करना यह दर्शाता है कि सरकार यह जानती है कि यह प्रक्रिया हजारों लोगों को नागरिकता के लिए लाइन में लगा देगी। राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन मोदी की सर्वनाशक दृष्टि के लिए एक स्पष्ट चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़ी अच्छी बात है कि प्रदर्शनकारी सरकार को चुनौती देने तथा उससे भिडऩे के लिए संविधान, राष्ट्रीय ध्वज तथा डा. बी.आर. अम्बेदकर का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि ये सारे प्रदर्शन बेजान नहीं होंगे। उन्हें यह भी यकीन नहीं कि ये सरकार की दिशा को बदल देंगे। प्रदर्शनों को विपक्ष की चुनावी रणनीति के साथ मिलाए जाने की जरूरत है मगर ऐसा होता दिखाई नहीं देता। मेहता ने कहा कि भारत की मुख्य विपक्षी पार्टियां विशेष तौर पर कांग्रेस इन क्षणों को गंवा रही है। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या कभी राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे तब उन्होंने कहा कि हालात उन्हें बना सकते हैं और अभी से यह भविष्यवाणी करना ठीक नहीं। किसने अनुमान लगाया था कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे। 400 सीटें जीतने के बाद भी वह तेजी से ढह गए और उनके कार्यकाल का अंत बुरी तरह हुआ। आर्थिक हालातों के बारे में बोलते हुए मेहता ने कहा कि वह सरकार के उस दावे को मानने को तैयार नहीं जिसमें वह कहती है कि यह सब चक्रीय है क्योंकि यह चक्र कुछ लम्बा चल गया है। चार वर्ष पूर्व ये कयास लगाए जा रहे थे कि 21वीं शताब्दी की आशावाद के साथ विशेषता बताई जा रही थी। यह माना जा रहा था कि भारत सही दिशा में जा रहा है मगर पिछले 4 वर्षों से सब कुछ पलट कर रख दिया। पहले तो देश 6 से 8 प्रतिशत के बीच की विकास दर की आस लगाए बैठा था मगर हम किस्मत वाले होंगे यदि यह विकास दर 3 से 5 प्रतिशत के बीच भी हो जाए। सरकार आर्थिक संकट के बारे में ङ्क्षचतित नहीं दिखाई देती। यह मुद्दा उसकी प्राथमिकता में शामिल नहीं। सरकार का फोकस तो बस राजनीतिक एजैंडे जैसे बहुसंख्यकवाद, सत्तावादी तथा हिन्दुत्व पर है।-करण थापर         

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