मोदी द्वारा पुलिस अधिकारियों को सोशल मीडिया का महत्व समझने का आग्रह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jan, 2018 03:10 AM

modi urges police officials to understand the importance of social media

महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक का सम्मेलन एक वार्षिक आयोजन है, जिसे इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। मोदी सरकार के आगमन से पहले यह दिल्ली में आयोजित किया गया था, लेकिन 2014 से मोदी के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय राष्ट्रीय राजधानी के...

महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक का सम्मेलन एक वार्षिक आयोजन है, जिसे इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। मोदी सरकार के आगमन से पहले यह दिल्ली में आयोजित किया गया था, लेकिन 2014 से मोदी के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय राष्ट्रीय राजधानी के बाहर इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। पिछले 3 सम्मेलन गुवाहाटी, कच्छ के रण और हैदराबाद में आयोजित किए गए थे। हैदराबाद में पिछली बैठक के दौरान सीमा पार आतंकवाद और कट्टरता जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। 

इस साल यह मध्य प्रदेश में तेकनसुर स्थित बी.एस.एफ. अकादमी में आयोजित किया गया था और मोदी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ दिनभर बातचीत की और मुख्य भाषण दिया। सूत्रों का कहना है कि साइबर सुरक्षा के संदर्भ में मोदी का संबोधन सोशल मीडिया के महत्व पर केन्द्रित था। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के मुद्दों से तुरंत निपटा जाना चाहिए और उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए। उस संदर्भ में, उन्होंने सोशल मीडिया के महत्व का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि मैसेजिंग को अधिक से अधिक प्रभावशीलता के लिए स्थानीय भाषाओं पर भरोसा करना चाहिए।

उन्होंने सूचनाओं को दबाने की प्रणाली और भंग कर राज्यों के बीच बेहतर सूचना को बांटने और शेयर करने के बारे में भी बात की। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री ने प्रमुख सुरक्षा अधिकारियों से आग्रह किया कि वह वर्किंग समूहों के माध्यम से पूरा वर्ष कांफ्रैंस के बाद भी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते रहें। जाहिर है, उन्होंने कांफ्रैंस के बाद भी चर्चा के लिए पुलिस अधिकारियों को काफी कुछ मसाला प्रदान करवा दिया है! 

नए मुख्य सचिव के लिए खोज: झारखंड के मुख्य सचिव राजबाला वर्मा मुश्किलों के साए में हैं क्योंकि राज्य सरकार ने उन्हें चारा घोटाले के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। जाहिरा तौर पर वर्मा ने 2003 से सी.बी.आई. से आए 30 से ज्यादा नोटिसों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वर्मा को यह बताने के लिए कहा गया था कि उन्होंने 1990 के दशक में पश्चिम सिंहभूम जिले के तत्कालीन उपायुक्त के रूप में अपनी क्षमता में बहु-करोड़ घोटाले को क्यों उजागर करने की कार्रवाई नहीं की थी। घोटाले में उनकी भूमिका की स्वतंत्र जांच के लिए विपक्षी पार्टियां भी एक मुद्दा उठा रही हैं और उनको पद से हटाने की मांग कर रही हैं।

राजनीतिक आंच से अलग, वर्मा अगले महीने सेवानिवृत्त होने जा रही हैं और इस प्रतिष्ठित पद के लिए लॉबिंग चल रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार 1983 से 1985 बैच के आई.ए.एस. अधिकारियों पर विचार कर रही है। यह भी अफवाह है कि सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए आई.ए.एस. अधिकारी को इस पद के लिए विचार की प्रक्रिया में शामिल नहीं करने जा रही है। ऐसे में स्मिता चुग, सदस्य सचिव टैरिफ कमीशन, राजीव गाबा, केन्द्रीय गृह सचिव, बी.के. त्रिपाठी, सदस्य सचिव, एन.सी.आर. प्लाङ्क्षनग बोर्ड, और डी.डी.ए. के उपाध्यक्ष उदय प्रताप सिंह, इस पद की दौड़ से सीधे ही बाहर हो गए हैं।-दिलीप चेरियन

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