Edited By ,Updated: 03 Jul, 2022 07:19 AM
एक समय था जब अरबपति मुकेश अंबानी और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी अपनी मां के साथ मुम्बई के एक ही घर में रहते थे। उस समय अपने पिता के साम्राज्य को लेकर भारतीय अदालतों में
एक समय था जब अरबपति मुकेश अंबानी और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी अपनी मां के साथ मुम्बई के एक ही घर में रहते थे। उस समय अपने पिता के साम्राज्य को लेकर भारतीय अदालतों में लड़े थे। धीरू भाई अंबानी की मौत 2002 में बिना वसीयत के हो गई और इस तरह दोनों भाइयों में भाईचारा खत्म हो गया। 2005 के पारिवारिक समझौते के हिस्से के तौर पर मुकेश ने बंगाल की खाड़ी में गहरे समुद्र के फील्ड पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसने अभी-अभी गैस का उत्पादन शुरू किया था।
लेकिन समझौते में उन्हें अनिल के प्रस्तावित बिजली संयंत्र को 17 सालों के लिए एक निश्चित मूल्य पर सस्ते फीडस्टॉक की आपूर्ति की भी आवश्यकता थी। उस समझौते का सम्मान करने से भी दिल्ली में बिजली की कटौती समाप्त हो गई। मगर इसने मुकेश की रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपंग कर दिया। सौभाग्य से सुप्रीमकोर्ट में मई 2010 में एक फैसला बड़े भाई मुकेश के पक्ष में गया। गैस भारतीय सम्प्रभु सम्पत्ति मानी गई न कि मुकेश को देने के लिए। हफ्ते बाद भाइयों ने सद्भाव में रहने के लिए सहमति व्यक्त की और दूरसंचार सहित जहां अनिल ने एक सेवा चलाई, उनके अलग-अलग अधिकांश गैर-प्रतिस्पर्धी खंड समाप्त हो गए।
मुकेश ने बाजार में प्रवेश किया। एक ऐसा कदम जिसने उन्हें अपने वर्तमान में पहुंचा दिया। अब वह बिलियन डालरों की सम्पत्ति के साथ दुनिया के 10वें सबसे अमीर टाइकून के रूप में खड़े हैं। तब से गैस की खोज एक नम दबाव साबित हुई और अनिल की कई फर्में दीवालिया हो गईं। इसलिए यह प्रतीकात्मक था कि मुकेश अंबानी ने इस सप्ताह अपनी उत्तराधिकार योजना को बनाया। उन्होंने अपनी दूरसंचार सेवा जियो के साथ शुरूआत की। उनका 30 वर्षीय बेटा आकाश भारत के शीर्ष वायरलैस करियर के अध्यक्ष के रूप में उनका स्थान लेगा। मुकेश अंबानी ने पिछले दिसम्बर में कर्मचारियों के कार्यक्रम में एक ‘महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तन’ के बारे में बात करनी शुरू की। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि अंतिम व्यवस्था कैसी दिखेगी।
इस परिदृश्य में उनकी पत्नी नीता तथा बच्चे रिलायंस इंडस्ट्रीज में अपने शेयरों के माध्यम से नियंत्रण कर सकते हैं। वे जियो प्लेटफार्म, रिलायंस रिटेल, ऊर्जा व्यवसाय, रिलायंस ओ. 2 सी. के हिस्सेदार हो सकते हैं। ऐसी संरचना बिना किसी समस्या के नहीं होगी। रिलायंस के पास पूंजीगत लागत का बहुत बड़ा लाभ है क्योंकि इसमें उच्च परिचालन लाभ और बहुत कुछ है। एक ऐसी बढ़त जो अगली पीढ़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। गूगल ने न केवल जियो में निवेश किया बल्कि सस्ते एंड्रॉयड आधारित फोन के साथ भी इसकी मदद की।
फेसबुक की व्हाट्सएप सेवा स्थानीय जियो मार्ट स्टोर पर ग्राहकों के फोन पर आर्डर और भुगतान लेने में मदद कर सकती है। अम्बानी खुदरा क्षेत्र में एमेजान के साथ और अपने तेल कारोबार के लिए ‘सऊदी आरामको’ के साथ इसी तरह के सौदे करना चाहते हैं। अब मुकेश की रिलायंस इंडस्ट्री की कीमत 221 बिलियन डालर की है।
अनिल के समूह में बिजली उत्पादन और वितरण के अलावा केवल वही मूल्य बचा है जो उनकी कई फर्मों के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई कर सकता है। अभी के लिए अंबानी के बच्चे मातृत्व से अपना नाम जोडऩा चाहेंगे जिसका अर्थ है कि उन्हें समूह की पूंजी और आबंटन को स्वीकार करना होगा। यह संभव है कि उनके पिता उनके लिए सबसे अच्छा कर रहे हैं और वह भी अपने समूह को कमजोर किए बिना। सहने से अच्छा बदलाव है।-एंडी मुखर्जी