भाई दुष्यंत चौटाला के नाम मेरा ‘खुला पत्र’

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2020 02:35 AM

my  open letter  to brother dushyant chautala

दो दुष्यंत भाई, साल पहले जब आपसे एक सार्वजनिक कार्यक्रम में छोटी-सी मुलाकात हुई थी, तब आपने कहा था कि आप मेरा बहुत सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि मैं अपने सुझाव आपको देता रहूं। उस अधिकार के साथ आज आपको यह चिठ्ठी लिख रहा हूं। अगर आज ईमानदारी

दो दुष्यंत भाई, साल पहले जब आपसे एक सार्वजनिक कार्यक्रम में छोटी-सी मुलाकात हुई थी, तब आपने कहा था कि आप मेरा बहुत सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि मैं अपने सुझाव आपको देता रहूं। उस अधिकार के साथ आज आपको यह चिठ्ठी लिख रहा हूं। अगर आज ईमानदारी से सार्वजनिक रूप से नहीं बोला तो मैं अपने कत्र्तव्य निर्वहन में असफल होऊंगा। 

यह पत्र हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री को नहीं, चौधरी देवी लाल के पड़पौत्र के नाम सम्बोधित है। इनैलो और जजपा की राजनीति  से मेरे जो भी मतभेद हों, लेकिन चौधरी देवी लाल के लिए मेरे मन में श्रद्धा रही है। मैंने उन्हें पहली कलम से किसानों का कर्जा माफ करने का वादा करते सुना था, उसे पूरा करते देखा था। उप-प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किसान का दु:ख-सुख उनके लिए सर्वोपरि था। मेरी तरह लाखों किसान कार्यकत्र्ताओं ने उन्हें चौधरी छोटू राम और चौधरी चरण सिंह की परंपरा की एक कड़ी के रूप में देखा है। 

आपको उस राजनीतिक विरासत का हकदार समझ हरियाणा के लाखों किसानों ने भाजपा और कांग्रेस को खारिज कर आपकी पार्टी को वोट दिया। चुनाव के बाद जब आप उसी भाजपा के साथ कुर्सी में बैठ गए तो उनके मन में खटका हुआ, हजारों कार्यकत्र्ताओं का मोहभंग हुआ। लेकिन आपने वादा किया कि आप इस कुर्सी पर किसान की खातिर बैठे हो, किसान के हित से कोई समझौता नहीं होने दोगे, नहीं तो कुर्सी को लात मार दोगे। आज जब आपके उसी दावे की परीक्षा हो रही है तब किसान से ज्यादा प्यारी कुर्सी दिखाई दे रही है। 

आज हरियाणा का किसान आपसे पूछता है : केंद्र सरकार ने जो तीन कानून पास किए हैं, क्या उसे देश के किसान आंदोलन ने कभी मांगा था? क्या चौधरी साहब ने कभी कृषि में कंपनी राज लाने का समर्थन किया था? क्या इनैलो या आपकी पार्टी ने अपने मैनीफैस्टो में कभी भी इन प्रस्तावों का जिक्र किया था? अगर ये कानून किसान के हक में हैं तो सरकार इन्हें महामारी के बीचों-बीच अध्यादेश के चोर दरवाजे से क्यों लाई? क्या सरकार ने इन कानूनों को पास करने से पहले एक भी किसान संगठन से राय-मशविरा किया था? क्या आपकी पार्टी से पूछा गया था? अगर ये कानून किसान के भले के लिए हैं  तो देश का एक भी जनाधार वाला किसान संगठन इनके पक्ष में क्यों नहीं खड़ा हुआ? खुद भाजपा और संघ परिवार का भारतीय किसान संघ और उनका सहयोगी अकाली दल इसका विरोध क्यों कर रहा है? जब ये अध्यादेश आए उस वक्त अकाली दल और जजपा मिलकर इनका विरोध करते तो क्या भाजपा की हिम्मत थी कि वो इन कानूनों को पास करती? हरियाणा का किसान शर्मसार होकर पूछता है कि जब पूरे देश में भाजपा को एक भी किसान नेता इन कानूनों के समर्थन में बोलने वाला नहीं मिला, उस समय शिखंडी की भूमिका में चौधरी देवी लाल का वंशज क्यों खड़ा है? 

चूंकि इन सवालों का जवाब नहीं है, इसलिए पिछले कुछ दिन से आप बार-बार एक ही बात दोहरा रहे हो कि हरियाणा के किसान की फसल सरकार द्वारा निर्धारित एम.एस.पी. (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर ही बिकेगी। आप भली-भांति जानते हो कि असली सवाल इस साल की एम.एस.पी. का नहीं, हमेशा के लिए कंपनी राज के खतरे का है। इस पर भी हरियाणा का किसान आप से  कुछ सवाल पूछता है : क्या आपको भाजपा सरकार द्वारा तय किया आंशिक लागत का ड्योढ़ा दाम वाला एम.एस.पी. का फार्मूला स्वीकार हो गया है? क्या आपकी पार्टी ने स्वामीनाथन कमीशन के पूर्ण लागत के ड्योढ़े दाम के फॉर्मूले की मांग छोड़ दी है? क्या आपने केंद्र सरकार के मूल्य आयोग (सी.ए.सी.पी.) की ताजा रिपोर्ट नहीं पढ़ी जो गेहूं व चावल की सरकारी खरीद घटाने की बात करती है? यूं भी अगर दो-तीन साल में सरकारी मंडी ही खत्म हो जाएगी तो किसान को एम.एस.पी. कहां मिलेगा? 

अगर इस साल की बात भी करें तो क्या आपने हरियाणा सरकार का बयान नहीं पढ़ा कि सिर्फ उन्हीं किसानों की धान और बाजरे की फसल एम.एस.पी. पर खरीदी जाएगी जिन्होंने रजिस्ट्रेशन करवाया है! ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बंद होने के कारण जो किसान रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए उन्हें एम.एस.पी. कैसे मिलेगी? बाजरा के किसानों पर प्रति एकड़ आठ क्विंटल की सीमा लगी रहे तो किसान अपनी पूरी फसल एम.एस.पी. पर कैसे बेचेंगे? फल-सब्जी के किसान का क्या होगा, जिसके लिए एम.एस.पी. की घोषणा भी नहीं होती? अगर आप अपनी बात के पक्के हो तो कम से कम हरियाणा सरकार लिख कर गारंटी क्यों नहीं दे देती कि प्रदेश के हर किसान की फसल का एक दाना भी एम.एस.पी. से नीचे नहीं खरीदा जाएगा? 

दुष्यंत भाई, सच आप भी जानते हो, मैं भी जानता हूं, हरियाणा का हर किसान जानता है। सच यह है कि कुर्सी का लालच किसान के हित पर भारी पड़ रहा है। सच यह है कि हर दिन आपके लिए चौधरी देवीलाल की विरासत पर दावेदारी व हक जताने का वक्त जा रहा है। सच यह है कि किसान अब सचेत है और जानता है कि कुर्सी से चिपकने वाले किसान के हितैषी नहीं हो सकते! सच यह है कि अगर आज इस्तीफा देकर किसान के पक्ष में नहीं खड़े हुए तो किसान आपके मुंह से देवीलाल जी का नाम सुनना पसंद नहीं करेगा। इसलिए मैं बड़े भाई के अधिकार से कहता हूं: दुष्यंत, सत्ता का लालच छोड़ कर अपनी आत्मा से पूछो कि अगर आज चौधरी देवीलाल जी होते तो क्या कहते?

बहुत देर हो चुकी है, मगर अब भी किसान की आवाज, किसान के रहनुमा रहे देवीलाल जी की आवाज सुन कर उप-मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर सरकार से अलग होकर किसान के समर्थन में खड़े हो सकते हो। अगर आज कुर्सी छोडऩे की हिम्मत दिखाओगे तो हो सकता है कल इस देश का किसान इससे भी बड़ी कुर्सी आपको सौंप देगा, नहीं तो हरियाणा का किसान आपको कभी माफ नहीं करेगा, आप खुद को कभी माफ नहीं कर पाओगे!आपको आपके ही पड़दादा जी की आवाज सुनाने के लिए हरियाणा भर के किसान 6 अक्तूबर से आपके घर के सामने डेरा डालने आएंगे। मैं भी उन किसानों के साथ रहूंगा। उम्मीद है उससे पहले ही आप उनकी आवाज को सुन कर इन किसान विरोधी कानूनों के विरुद्ध उप-मुख्यमंत्री के पद को छोड़ चुके होंगे और किसानों के बीच आकर बैठेंगे। आपका हिताभिलाषी,-योगेन्द्र यादव
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!