नायडू को भाजपा विरोधी मोर्चे के साथ काम से एतराज नहीं

Edited By Pardeep,Updated: 30 Dec, 2018 04:32 AM

naidu does not mind working with anti bjp front

पांच राज्यों में हुए हालिया चुनावों के बाद अपने पहले साक्षात्कार में तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने कहा कि भाजपा दिनों-दिन देश भर में कमजोर हो रही है, जो हालिया विधानसभा चुनावों में हुए इसके...

पांच राज्यों में हुए हालिया चुनावों के बाद अपने पहले साक्षात्कार में तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने कहा कि भाजपा दिनों-दिन देश भर में कमजोर हो रही है, जो हालिया विधानसभा चुनावों में हुए इसके नुक्सान से जाहिर है। तेलंगाना में कांग्रेस नीत पीपुल्स फ्रंट की बुरी तरह से हार के बारे में नायडू ने कहा कि मोर्चे में कांग्रेस प्रमुख पार्टी थी। 

उन्होंने कहा कि पीपुल्स फ्रंट की हार के पीछे कई कारण थे। गत 4 वर्षों के दौरान तेलंगाना में कांग्रेस कड़ी टक्कर नहीं दे सकी जिसे टी.आर.एस. ने बड़े पैमाने पर दल-बदल में उलझाए रखा। स्थानीय कांग्रेस नेताओं में एकता नहीं थी। ई.वी.एम्स के साथ संदिग्ध छेड़छाड़ के अलावा टी.आर.एस. के धन-बल तथा कल्याणकारी योजनाओं को भी कुछ महत्वपूर्ण कारण माना जा सकता है। हालांकि कांग्रेस नीत विपक्षी दलों ने अन्य राज्यों में शानदार उपलब्धियां दर्ज की हैं। 

इसका 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए क्या अर्थ है, इस बारे उन्होंने कहा कि भाजपा एक मजबूत ताकत थी, जो अब नहीं है। यह दिनों-दिन कमजोर हो रही है तथा तेलंगाना में यह और भी कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि हालिया विधानसभा चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों का सैमीफाइनल बताया जा रहा था और यदि उक्त चुनाव स्वतंत्र तथा निष्पक्ष तरीके से करवाए जाते तो भाजपा 2019 में किसी गणना में नहीं रहती। निश्चित तौर पर गैर-भाजपा गठबंधन केन्द्र में सत्ता में आएगा, चाहे इसका नेतृत्व कांग्रेस करे अथवा समर्थन करे। भाजपा के अपने बूते पर केन्द्र में सत्ता में आने की कोई सम्भावना नहीं है। भाजपा नीत गठबंधन की भी सत्ता में आने की कोई सम्भावना नहीं है। 

तीन राज्यों में भाजपा के पराजित होने तथा कमजोर होने के पीछे कारणों बारे के. चन्द्रबाबू नायडू ने कहा कि भाजपा सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया, जिससे लोगों में इसके खिलाफ असंतोष और बढ़ गया। मोदी, जिन्हें एक मजबूत नेता बताया जा रहा है, की कारगुजारी बहुत कमजोर रही है। अतीत में गठबंधन की सरकारें रही हैं जिन्होंने इस भाजपा सरकार के मुकाबले बेहतर विकास तथा सुधार किए। केन्द्र ने नोटबंदी जैसे उपायों के साथ लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा चुनावों में बहुत अधिक धन खर्च कर रही है। भाजपा दावा करती है कि वह भ्रष्ट नहीं है तो फिर इतना अधिक धन वह कहां से हासिल कर रही है? 

क्षेत्रीय दलों के महागठबंधन बारे उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई में अधिक से अधिक विपक्षी दल मंच से जुड़ेंगे। अधिकतर क्षेत्रीय दल अब भाजपा के खिलाफ हैं, सिवाय नीतीश कुमार की जद (यू), शिवसेना तथा अकाली दल के। कांग्रेस के पास सहयोगियों की संख्या अधिक है। तेदेपा, तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी जैसे कुछ क्षेत्रीय दल हैं जो वर्तमान में यू.पी.ए. का हिस्सा नहीं हैं। बीजद के नवीन पटनायक भी तटस्थ हैं। वह भाजपा विरोधी मोर्चे में शामिल होकर अधिक सहज महसूस करेंगे। मायावती तथा अखिलेश भी भाजपा विरोधी हैं। क्षेत्रीय दलों का इस बार लक्ष्य अपने राजनीतिक तथा वैचारिक मतभेदों को अलग रख कर लोकतंत्र को बचाना है। 

संघीय मोर्चे को लेकर टी.आर.एस. अध्यक्ष एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव के संबंध में नायडू ने कहा कि वह संघीय मोर्चे के प्रस्ताव के साथ क्षेत्रीय दलों को उलझन में डालना चाहते हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर भाजपा का समर्थन किया है, जिससे संदेह पैदा होता है कि उनका भाजपा के साथ कुछ गोपनीय समझौता है। क्या आप के.सी.आर. के मोर्चे में शामिल होंगे, यह पूछने पर नायडू ने कहा कि उन्हें भाजपा विरोधी मोर्चे में के.सी.आर. के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं है। दरअसल उन्होंने एक भाजपा विरोधी मोर्चे के लिए उनको निमंत्रण भेजा था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। वह अच्छी तरह से जानते हैं कि केन्द्र में एक गैर-भाजपा अथवा गैर-कांग्रेस सरकार बनाना सम्भव नहीं है। 

आंध्र में सी.बी.आई. के लिए दरवाजे बंद करने बारे नायडू ने कहा कि संघीय जांच एजैंसी में आंतरिक झगड़े हैं और यह संस्था अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है। मोदी सरकार सी.बी.आई. का दुरुपयोग कर रही है। भविष्य में भाजपा में वापस जाने की किसी भी सम्भावना से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा का विकल्प बनाने के लिए आगे रह कर क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर रहे हैं।-सी.आर.एस.

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