विकास के लिए टीकाकरण का दायरा बढ़ाना जरूरी

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2021 03:35 AM

necessary to increase the scope of vaccination for development

इन दिनों देश में कोरोना की दूसरी घातक लहर और पंजाब तथा महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में कोरोना के नए डबल म्यूटैंट मिलने से जहां एक ओर लोगों की स्वास्थ्य चिंताएं बढ़ गई हैं, वहीं दूसरी आर्थिक चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।

इन दिनों देश में कोरोना की दूसरी घातक लहर और पंजाब तथा महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में कोरोना के नए डबल म्यूटैंट मिलने से जहां एक ओर लोगों की स्वास्थ्य ङ्क्षचताएं बढ़ गई हैं, वहीं दूसरी आर्थिक चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। देश में एक बार फिर से लॉकडाऊन और नाइट कफ्र्यू का परिदृश्य दिखाई देने लगा है। उद्योग-कारोबार व रोजगार में कमी आने की आशंकाएं खड़ी हो गई हैं। कई उद्योग-कारोबारों में बड़ी संख्या में नई भर्तियां रोक दी गई हैं। ऐसे में देश में कोरोना की दूसरी घातक लहर से बढ़ते हुए मानवीय और आर्थिक खतरों को रोकने और बढ़ती हुई विकास दर को अनुमानों के मुताबिक ऊंचाई देने के लिए कोरोना संक्रमण से संबंधित तीन बातों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

एक, भारत को कोरोना वैक्सीन के निर्माण की वैश्विक महाशक्ति बनाकर देश और दुनिया की वैक्सीन जरूरतों को पूरा किया जाए। दो, अधिक लोगों का वैक्सीकरण किया जाए और तीन, कोरोना वैक्सीन की बर्बादी रूके। वस्तुत: भारत दुनिया के उन चमकते हुए देशों में सबसे आगे है, जिन्होंने कोरोना का मुकाबला करने के लिए कोरोना की अधिक दवाइयां बनाईं और कोरोना वैक्सीन के निर्माण में ऊंचाई प्राप्त की है। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड महामारी से जूझ रहे दुनिया के 150 से अधिक देशों को भारत ने कोरोना से बचाव की अनिवार्य दवाइयां मुहैया कराई हैं और 70 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की है।

भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाई गई सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटैक की ‘कोवैक्सीन’ का उपयोग टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटारस ने कोरोना टीकाकरण के मद्देनजर भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बताया है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विगत 12 मार्च को क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) ग्रुप के चार देशों-भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने वर्चुअल मीटिंग में यह सुनिश्चित किया है कि वर्ष 2022 के अंत तक एशियाई देशों को दिए जाने वाले कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज का निर्माण भारत में किया जाएगा। ऐसे में निश्चित रूप से भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण की महाशक्ति बनाने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा।

वैक्सीन निर्माण में आगे बढऩे का लाभ देश के आॢथक विकास के लिए अहम होगा। अब संक्रमण को रोकने के लिए उन लोगों का टीकाकरण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं। उन लोगों की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण है जिन्हें काम के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है। ऐसे में खुदरा और ट्रेड जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की कोरोना वायरस से सुरक्षा जरूरी है। रिटेलरों और ट्रेडरों को सार्वजनिक आवाजाही के कारण कोविड-19 के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखकर टीकाकरण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत टीकाकरण को लेकर अभी तक निर्धारित नियमों और समय सीमा के साथ कोरोना की दूसरी लहर का सामना नहीं कर सकता। बतौर टीका निर्माता वह शेष विश्व के प्रति अपनी जवाबदेही के निर्वहन में भी पीछे नहीं रह सकता। ऐसे में टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए नई रणनीति जरूरी है।

नि:संदेह तेजी से बढ़ती हुई कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाए जाने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि वर्ष 2021 में दुनिया के अधिकांश आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रित हो जाने के मद्देनजर भारत की विकास दर में तेज वृद्धि की संभावना बताई है। नि:संदेह देश में जहां एक ओर कोरोना वैक्सीन के द्वारा अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित किया जाना होगा वहीं दूसरी ओर कोरोना वैक्सीन की बर्बादी को रोकना होगा।-डा. जयंतीलाल भंडारी

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