तेजी से बढ़ते बाजार में ‘उपभोक्ता संरक्षण’ की जरूरत

Edited By ,Updated: 19 Mar, 2019 03:56 AM

need of  consumer protection  in the fast growing market

हाल ही में प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कंसल्टैंसी फर्म बोस्टन कन्सङ्क्षल्टग ग्रुप (बी.सी.जी.) की रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारत का उपभोक्ता बाजार दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2018 में भारत का उपभोक्ता बाजार 110 लाख करोड़ रुपए का...

हाल ही में प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कंसल्टैंसी फर्म बोस्टन कन्सल्टिंग ग्रुप (बी.सी.जी.) की रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारत का उपभोक्ता बाजार दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2018 में भारत का उपभोक्ता बाजार 110 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। 2028 तक यह तीन गुना बढ़कर 335 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। उपभोक्ता बाजार में यह वृद्धि देश में बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण, मध्यम वर्ग और इंटरनैट व स्मार्टफोन के तेजी से बढऩे की वजह से हो रही है। 

भारत के बाजार पर दुनिया की नजर
यकीनन छलांगें लगाकर आगे बढ़ रहे भारत के विशालकाय उपभोक्ता बाजार की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने हैं, उनको पूरा करने के लिए देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपनी नई रणनीतियां बना रही हैं। निश्चित रूप से उपभोक्ता बाजार की अपनी जोरदार शक्ति के कारण दुनिया की नजरों में कल तक बहुत पीछे रहने वाला भारत आज दुनिया की आंखों का तारा बन गया है। जहां अपनी उपभोक्ता शक्ति के कारण भारत आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रहा है, वहीं वह अपनी खरीदारी क्षमता के कारण पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित भी कर रहा है। भारत के ऊंचाई पर पहुंच रहे उपभोक्ता बाजारों के कारण भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों और वैश्विक संगठनों में भारत की चमकीली अहमियत दिखाई दे रही है। 

देश की बढ़ती जनसंख्या का उपभोक्ता बाजार के तेजी से बढऩे से सीधा संबंध है। वर्तमान में भारत की आबादी 134 करोड़ और चीन की आबादी 141 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक जनसंख्या पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो जाएगी। दुनिया के अन्य सभी देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या सबसे अधिक बढ़ेगी। भारत की सबसे बड़ी जनसंख्या सबसे बड़े वैश्विक उपभोक्ता बाजार का आधार भी होगी। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि शहरों का तेजी से विकास भारत में उपभोक्ता बाजार को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। 

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत में उपभोक्ता बाजार के तेजी से बढऩे में मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। शहरों में रहने वाले मध्यम वर्ग के लोग अपने उद्यम-कारोबार, अपनी सेवाओं तथा अपनी पेशेवर योग्यताओं से न केवल अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं, वरन अपनी क्रय शक्ति से उपभोक्ता बाजार को भी चमकीला बना रहे  हैं। हाल ही में ख्याति प्राप्त ग्लोबल कंसल्टैंसी फर्म पी.डब्ल्यू.सी. ने कहा है कि 2019 में भारत फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। 

नि:संदेह देश के उपभोक्ता बाजार को गति देने में इंटरनैट का अहम योगदान है। देश के 62 करोड़ से अधिक लोग इंटरनैट उपभोक्ता हैं। दुनियाभर में डाटा आधारित व्यवस्थाओं में बढ़ौतरी की तुलना में भारत में डाटा उपभोग में वृद्धि सबसे अधिक हो रही है। भारत में डाटा और वॉयस कॉल की लागत विश्व में सबसे कम है। देश के 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग स्मार्टफोन चला रहे हैं। ऑनलाइन माध्यमों से लेन-देन आसान हुआ है। मोबाइल से व्यवसायों का संचालन हो रहा है। 

उपभोक्ता संरक्षण की चुनौती
ऐसे में जब देश का उपभोक्ता बाजार तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की ठगी से बचाने और उनके हितों के संरक्षण की चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। जो उपभोक्ता आज बाजार की आत्मा कहा जाता है वह कई बार बाजार में मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्री, अधिक दाम, कम नाप-तोल जैसे शोषण से पीड़ित होते हुए दिखाई दे रहा है। उपभोक्ता संरक्षण के वर्तमान कानून पर्याप्त नहीं दिखाई दे रहे हैं। उत्पादों की गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के संतोषजनक समाधान के लिए नए नियामक भी सुनिश्चित किए जाने जरूरी हैं। नई वैश्विक आॢथक व्यवस्था के तहत भविष्य में डाटा की वही अहमियत होगी जो आज तेल की है। 

डाटा सुरक्षा की आवश्यकता
चूंकि आने वाली दुनिया उपभोक्ताओं के डाटा पर आधारित होगी, अतएव उपभोक्ताओं के उपयुक्त संरक्षण तथा मोबाइल डाटा उपभोग मामले में  सबसे पहले भारत को डाटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। जिस देश के पास जितना ज्यादा डाटा संरक्षण होगा, वह देश आर्थिक रूप से उतना ही मजबूत होगा। चूंकि आर्थिक संदर्भ में डाटा एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोई नियम-कानून नहीं हैं, अतएव इससे संबंधित उपयुक्त नियम कानून जरूरी हैं। यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि डाटा पर देश का ही नियंत्रण हो और खास डाटा को भारत में ही रखा जाए। डाटा के देश में ही भंडारण की आवश्यकता इसलिए है ताकि उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का संरक्षण हो सके और अपनी व्यक्तिगत जानकारी पर उपभोक्ताओं का ही नियंत्रण रहे। ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर तमाम पाबंदियां लगाई जानी जरूरी हैं। निश्चित रूप से बढ़ते हुए उपभोक्ता बाजार से जहां भारतीय उपभोक्ताओं की संतुष्टि बढ़ेगी, कम कीमत पर वस्तुएं उपलब्ध होंगी, वहीं देश की विकास दर बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था चमकीली बनेगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी 

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