इसराईल में नेतन्याहू की प्रतिष्ठा दाव पर

Edited By ,Updated: 10 Apr, 2019 04:09 AM

netanyahu s reputation in israel

भारतीय चुनावों के लगभग समानांतर इसराईल में भी वहां की 120 सदस्यीय संसद (जिसे विनसट कहते हैं) के चुनाव 9 अप्रैल को सम्पन्न हो गए, जिसमें वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाग्य का भी फैसला होना है। बेंजामिन नेतन्याहू इससे पूर्व चार बार...

भारतीय चुनावों के लगभग समानांतर इसराईल में भी वहां की 120 सदस्यीय संसद (जिसे विनसट कहते हैं) के चुनाव 9 अप्रैल को सम्पन्न हो गए, जिसमें वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाग्य का भी फैसला होना है। बेंजामिन नेतन्याहू इससे पूर्व चार बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं और अब पुन: जीते तो वे पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनेंगे जो इसराईल के इतिहास में एक असाधारण कीर्तिमान होगा। इससे पहले इसराईल के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले या वर्तमान इसराईल राज्य के संस्थापक डेविड बेन गुरियन ही अकेले ऐसे नेता रहे हैं जो पांच बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। 

इसराईल की कुल आबादी लगभग 80 लाख है जिनमें से 63 लाख मतदाता हैं। सम्पूर्ण इसराईल एक ही निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है। पाॢटयां चुनाव लड़ती हैं और हर पार्टी का अध्यक्ष प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार माना जाता है। जीतने के बाद आनुपातिक हिसाब से जिस पार्टी को जितने प्रतिशत मत मिलते हैं उसके उतने सांसद चुने जाते हैं जो वास्तव में पार्टी द्वारा नामांकित होते हैं। विश्व प्रसिद्ध साफ्टवेयर देश होने के बाद भी इसराईल में ई.वी.एम. नहीं है बल्कि लिफाफे में उम्मीदवार पार्टियों  के नामाक्षरों की पर्चियां डालकर मतपेटी में वोट डाले जाते हैं। इस बार चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के सामने इसराईल के पूर्व थल सेनाध्यक्ष बेनी गैन्टस की अध्यक्षता में बनी नील और श्वेत (इसराईली राष्ट्रध्वज के रंग) पार्टी कड़े मुकाबले में खड़ी है। इस पार्टी में इसराईल के तीन पूर्व सेनाध्यक्ष शामिल हुए हैं और उनका कहना है कि नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के मामलों ने इसराईल की प्रतिष्ठा को गिराया है इसलिए इसराईल को एक नई पार्टी की सत्ता की आवश्यकता है।

नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप
बेंजामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार और झूठ बोलने के अनेक आरोप लगे हैं। उनके तीन बहुत खास सहयोगी जिनमें से एक इसराईल के पुलिस प्रमुख भी थे जिन्हें स्वयं नेतन्याहू ने नियुक्त किया था, अदालत में नेतन्याहू के खिलाफ बयान दे चुके हैं। नेतन्याहू ऐसे पहले इसराईली प्रधानमंत्री भी बने हैं जिन पर सत्तासीन होते हुए देश के अटार्नी जनरल ने दोष स्थापित कर दिए हैं तथा उन पर सुनवाई चुनाव पूरे होने तक टाल दी है। नेतन्याहू ने इन आरोपों को बकवास बताया और कहा कि वे चुनाव के बाद इन सबका जवाब देंगे। उनके विरोधी उनका पैशाचिक पीछा कर रहे हैं। नेतन्याहू ने चुनाव के समय पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र की यहूदी बस्तियों को वापस अपने कब्जे में लाने की घोषणा कर चुनाव में तीव्र राष्ट्रवाद की आग धधका दी है। 

उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प नेतन्याहू को पूर्ण समर्थन दे रहे हैं और इसी कार्यकाल में अमरीका द्वारा येरुशलम को राजधानी के रूप में मान्यता देकर नेतन्याहू का कद बढ़ाया। ट्रम्प सरकार ने इसराईल द्वारा 1967 में सीरिया से छीने गए गोलान पहाड़ों को भी इसराईल का हिस्सा होने की मान्यता दे दी है। नेतन्याहू का कार्यकाल वैसे भी इसराईल के लिए आर्थिक उछाल का रहा है। नेतन्याहू ने 10 साल पहले जब प्रधानमंत्री पद संभाला था तो सारी दुनिया में आॢथक गिरावट थी। पर नेतन्याहू के समय इसराईल का सकल घरेलू उत्पाद 3 प्रतिशत से भी अधिक वार्षिक दर से बढ़ा। रोजगार के अवसर बेतहाशा बढ़े हैं और बेरोजगारी लगभग समाप्त हो गई है। राष्ट्रीय ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत तक कम हो गया है और जब दुनिया के मुद्रा बाजार ऋण तथा कम हो रही विकास दर से चिंतित हैं तो इसराईल ताकत और आत्मविश्वास से भरपूर है। यह परिस्थिति नेतन्याहू के पक्ष में जा सकती है। 

भारत का विश्वसनीय मित्र
इसराईल में प्रधानमंत्री कोई भी बने, देश के नाते वह भारत का सर्वाधिक विश्वसनीय और अभिन्न मित्र रहा है। 1948 में इसराईल स्वतंत्र हुआ। पर एक अजीब और मुस्लिम भीरू सैकुलर नीति के डर से 50 साल तक इसराईल से राजनीतिक-कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं किए गए। जुलाई 2017 में नरेन्द्र मोदी आजादी के बाद ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जिन्होंने इसराईल जाने का साहस दिखाया। भारत में भी सरकार चाहे किसी की भी रही हो, इसराईल ने 1962, 1965, 1971 तथा कारगिल युद्धों के समय भारत की बिना शर्त और बिना किसी हिचक के सहायता की है। 

आज इसराईल विश्व के कृषि- विशेषकर रेतीले क्षेत्रों को हरे-भरे खेतों में बदलने, जल प्रौद्योगिकी तथा सागर के खारे पानी और हवा से पेयजल बनाने, साइबर सुरक्षा, राडार और कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस) के क्षेत्र में विश्व शक्ति माना जाता है। राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र और मिजोरम तक कृषि क्षेत्रों को सिंचाई युक्त करने तथा फलों की खेती में इसराईल ने बहुत योगदान दिया है। सैंकड़ों विद्यालयों में विज्ञान और टैक्नोलॉजी की शिक्षा के लिए भी इसराईल मदद कर रहा है। रक्षा उत्पादन में इसराईल भारत को सर्वाधिक संवेदनशील और मारक बराक मिसाइलें, राडार तथा युद्धक विमान दे रहा है। इसराईल और भारत के संबंध अन्य सभी देशों की तुलना में विशिष्ट तथा हर संकट में विश्वसनीय साथी जैसे हैं। आशा की जानी चाहिए कि आज हुए मतदान में इसराईल के मतदाता पुन: एक शक्तिशाली सरकार चुनेंगे और भारत से मित्रता का क्रम जारी रहेगा।-तरुण विजय

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