शारीरिक कौशल और प्रतिभा को ‘उचित स्थान’ देगी नई शिक्षा नीति

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2020 02:22 AM

new education policy will give right place to physical skills and talent

कला संगीत, साहित्य, मातृभाषा, शारीरिक कौशल और प्रतिभा को उचित स्थान देने वाली नई शिक्षा नीति 34 वर्ष के बाद लागू की गई है। नई नीति में 21वीं सदी की शिक्षा के लक्ष्यों के अनुरूप नई प्रणाली बनाने के लिए शिक्षा के स्वरूप, विनिमयन और गवर्नैंस के सभी...

कला संगीत, साहित्य, मातृभाषा, शारीरिक कौशल और प्रतिभा को उचित स्थान देने वाली नई शिक्षा नीति 34 वर्ष के बाद लागू की गई है। नई नीति में 21वीं सदी की शिक्षा के लक्ष्यों के अनुरूप नई प्रणाली बनाने के लिए शिक्षा के स्वरूप, विनिमयन और गवर्नैंस के सभी पहलुओं में संशोधन किया गया है।

यह नीति वर्ष 2025 तक 3 से 6 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिए मुफ्त, सुरक्षित उच्च गुणवत्तापूर्ण, विकासात्मक स्तर के अनुरूप देखभाल और शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करती है। यह 2025 तक 5वीं कक्षा और उससे ऊपर के सभी विद्याॢथयों की बुनियादी साक्षरता और सांख्य ज्ञान अर्जन भी सुनिश्चित करती है। इसका एक पहलू ड्राप आऊट बच्चों को शिक्षा से पुन: जोडऩा और सभी तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना भी है। इसमें माध्यमिक शिक्षा को शामिल करने के लिए आर.टी.ई. एक्ट का विस्तार करने की बात कही गई है। यह करते समय विद्या मंदिरों की आॢथक स्थिति की चिंता कर लेनी ज्यादा उपयोगी होगी। 

मातृभाषा में शिक्षा से बच्चे बेहतर सीख पाएंगे। सबसे जोरदार पहलू है कि भारतीय  भाषाओं से शिक्षित होना छात्रों के शैक्षिक, सामाजिक और तकनीकी विकास के लिए बाधक नहीं होगा। संस्कृत को और भी सशक्त रूप से राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता बनाए रखने के लिए मदद मिलेगी। मूलभूत विषयों और कौशलों का शिक्षाक्रमीय एकीकरण शिक्षा नीति की वैज्ञानिक सोच दर्शाता है। शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल पर विशेष ध्यान देने पर बल देना सराहनीय है। व्यावसायिक एक्सपोजर और कौशल पर बल दिए जाने से युवा विद्यार्थियों के लिए आनंद की अनुभूति होगी। डिजिटल साक्षरता और कम्युनिकेशनल चिंतन बेसिक स्तर पर से समन्वित किया जाना लाभदायक रहेगा। 

प्रभावी शिक्षक नियुक्ति और पदस्थापन : पारदर्शी और सशक्त नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना स्वागत योग्य है। बालिका शिक्षा के लिए राज्यों और सामुदायिक संगठनों के बीच साझेदारी अच्छी दिशा की ओर ले जाएगी। आदिवासी बच्चों की शिक्षा के प्रति विशेष कदम उठाए जाने की चिंता करना सुनहरे भविष्य की ओर इशारा है। शहरी निर्धन बच्चों की शिक्षा की चिंता होना स्वागत योग्य है। उच्च शिक्षा का अन्तर्राष्ट्रीयकरण किया जाना वैश्विक परिदृश्य पर छाने का अवसर देगा। एन.आर.एफ. द्वारा वित्त पोषित किए गए अनुसंधानों को अवार्ड और राष्ट्रीय सैमीनार द्वारा पहचान दिलाए जाने से अनुसंधान करने वाले बंधु उत्साहित होंगे। अब 4.43 प्रतिशत की जगह जी.डी.पी.का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। 

मातृ भाषा में उच्च गुणवत्ता पूर्ण पुस्तकें और अध्ययन सामग्री उपलब्ध होगी। लिंग समावेशन निधि द्वारा सभी लड़कियों को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात की जानी उत्तम है। अनेक नियामक संस्थाओं का विलय कर एक सशक्त नियामक संस्थान का गठन किया जाना स्वागतयोग्य है। अतीत के अनुभव, वर्तमान की वैश्विक चुनौतियों और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही नई शिक्षा नीति बनाई गई है। आइए सभी इस आशा के साथ स्वागत करें कि यह नीति फिर से भारत को विश्व गुरु बनाने में सहायक होगी।-सुखदेव वशिष्ठ
 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!