‘नैशनल कैंसर ग्रिड से नई उम्मीदें’

Edited By ,Updated: 04 Feb, 2021 05:02 AM

new expectations from the national cancer grid

कैंसर आज भी दुनिया की सबसे अधिक भयावह बीमारियों में से एक है। कैंसर पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता पैदा की जाए। हमारे देश की बहुसंख्यक गरीब आबादी के पास कैंसर से समय पर सतर्क और जूझने की क्षमता नहीं है। कैंसर के अस्पतालों ..

कैंसर आज भी दुनिया की सबसे अधिक भयावह बीमारियों में से एक है। कैंसर पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता पैदा की जाए। हमारे देश की बहुसंख्यक गरीब आबादी के पास कैंसर से समय पर सतर्क और जूझने की क्षमता नहीं है। कैंसर के अस्पतालों का अकाल तो है ही पर बड़े अस्पतालों तक गरीबों की पहुंच बड़ी मुश्किल है। इसलिए अस्पतालों में पहुंचने से पहले या आधे अधूरे इलाज से तमाम लोगों की मौत हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कुछ कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पी.एम.जे.ए.वाई.) में शामिल देश के गरीब कैंसर मरीज भी जल्द अब घर बैठे विश्वस्तरीय डाक्टरों से सलाह ले सकेंगे। 

पी.एम.जे.ए.वाई. का संचालन करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एन.एच.ए.) कैंसर के इलाज के लिए टाटा मैमोरियल अस्पताल की ओर से विकसित नाव्या ऐप की सेवाएं लेने की तैयारी में है। इससे एक बार डॉक्टर को दिखा लेने के बाद मरीज को बार-बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। ऐप में मरीज का डाटा डालकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श हासिल किया जा सकेगा। एन.एच.ए. के आला अधिकारी ने बताया कि नाव्या की सेवाएं लेने के लिए हमारी बातचीत अंतिम चरण में है। इसकी कीमतों को लेकर बातचीत चल रही है। इसकी सेवाएं शुरू होने के बाद मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर नहीं काटने होंगे। मरीज मोबाइल एेप में अपना डाटा डालेगा और ऐप उस डाटा के आधार पर उचित परामर्श दे देगा। 

नाव्या के संस्थापक और चीफ मैडिकल ऑफिसर डॉक्टर नरेश रामाराजन का मानना है कि कैंसर से अर्थव्यवस्था पर दो तरह से प्रभाव पड़ता है। एक तो मरीज के परिवार पर और दूसरा भारत के स्वास्थ्य बजट पर। इस प्रभाव को कम करने के लिए एक नैेशनल कैंसर ग्रिड (एन.सी.जी.) बनाया गया है। एन.सी.जी. देशभर के सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों का समूह है, जिसने नाव्या का गठन किया है जो मरीजों और उनके तिमारदारों के दरवाजों तक विशेषज्ञों की राय और इलाज के तौर तरीकों को पहुंचाने में मदद कर रहा है।

डाक्टर नरेश रामाराजन के अनुसार कई अध्ययन ये जानकारी देते हैं कि अगर परिवार का एक सदस्य भी कैंसर से पीड़ित हो जाता है तो उसके इलाज के लिए 40-50 फ़ीसदी लोग कर्ज़ लेते या घर बेच देते हैं। साथ ही लांसेट में आई रिपोर्ट के अनुसार करीब तीन से पांच फीसदी लोग इलाज की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। हालांकि डाक्टरों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सूची में कैंसर की बीमारी को जोड़े जाने से लोगों को मदद मिलेगी। सरकार की तरफ से आयुष्मान योजना 2018 में शुरू हुई थी, जिसमें बीमारियों के इलाज के लिए दी गई सहायता राशि में कैंसर का इलाज भी शामिल है, इस योजना के तहत लाभार्थी को पांच लाख रुपए तक की सहायता राशि देने का प्रावधान है। 

डाक्टर नरेश रामाराजन के अनुसार, ‘‘गरीब लोगों को इलाज के लिए बड़े शहर में न आना पड़े इसके लिए सरकार की तरफ से प्रावधान किए गए हैं ताकि बीमारी का पता जैसे ही चले वैसे ही इलाज शुरू हो जाए, इसके तहत एक नैशनल कैंसर ग्रिड बनाया गया है। इस ग्रिड में 170 कैंसर अस्पताल शामिल हैं, इन अस्पतालों के डाक्टरों ने विशेष तौर पर भारत के कैंसर मरीजों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। जिसमें यह समझाया गया है कि चाहे आप भारत के किसी कोने में हों, अगर आपको किसी एक प्रकार का कैंसर है तो आपको ये टैस्ट करवाने होंगे और ऐसे इलाज होगा। साथ ही पिछले तीन-चार वर्षों में कैंसर रिस्पॉन्स सिस्टम बनाया गया है, जिसमें मरीज और डाक्टर जहां भी हैं उसे कैंसर के बारे में पूरी जानकारी देकर इलाज किया जा सकेगा और किसी बड़े शहर या अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस ग्रिड से आयुष्मान योजना को भी जोड़ दिया गया है। ऐसे में जो मरीज इलाज के लिए आएगा वह योजना के जरिए आर्थिक मदद का लाभ भी ले पाएगा।’’ 

फिलहाल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए नाव्या की सेवाएं मुफ्त हैं। अन्य मरीजों के लिए 1500 रुपए से लेकर 8,500 रुपए तक का शुल्क लिया जाता है। सरकार की एेसी योजनाओं का अभी बहुत प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है। जरूरत इस बात की है कि इन योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए ताकि गरीबों को कैंसर से राहत मिल सके। दि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (1990-2016) के अनुसार भारत में महिलाआें में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मामले सामने आए हैं। स्टडी के अनुसार महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, कोलोन एंड रैक्टम और लिप एंड कैविटी कैंसर मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। गांवों और शहरों में तुलना की जाए तो गांव से सर्वाइकल और शहर से स्तन कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं। लेकिन पूरे भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे पहले नंबर पर है। जिसका मुख्य कारण देर से शादियां होना, गर्भधारण में देरी, स्तनपान कम करवाना, बढ़ता तनाव, लाइफस्टाइल और मोटापा है। 

इस रिपोर्ट में सामने आया है कि इस समय जहां ब्रैस्ट कैंसर के मामलों की संख्या 377830 है, वह साल 2025 तक बढ़कर 427273 हो जाएगी। वर्तमान में भारत में कैंसर के कुल मामलों में से ब्रैस्ट कैंसरदर का प्रतिशत 14 है। लेकिन यह रिपोर्ट एक नई बात बताती है कि ब्रैस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मैट्रो शहरों में सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा ब्रैस्ट कैंसर के मामलों के लिहाज से हैदराबाद पहले स्थान पर, चेन्नई दूसरे स्थान पर, बेंगलुरू तीसरे स्थान पर और दिल्ली चौथे स्थान पर आता है। आई.सी.एम.आर. की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले पांच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़त होगी। साल 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या 15$69 लाख के पार निकल जाएगी जोकि इस समय 14 लाख से भी कम है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली जैसे महानगरों में कम उम्र के लोगों में स्टेज फोर कैंसर की पुष्टि होने की खबरें सामने आई थीं। 

इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले सामने आने की संख्या बढ़ गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) ने 18 अगस्त 2020 को भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी। यह रिपोर्ट आने के बाद मैडीकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि यह रिपोर्ट उन सभी आशंकाओं को पुष्ट करती है जो कि मैडीकल क्षेत्र के विशेषज्ञ पिछले पांच-छह सालों से ग्राऊंड पर देख रहे हैं, ये उसी के  प्रोजैक्शन हैं। ये रिपोर्ट दरअसल जमीनी स्थिति को दिखा रही है। इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि साल 2020 में तंबाकू की वजह से कैंसर झेल रहे लोगों की संख्या 3$ 7 लाख है जो कि कुल कैंसर मरीजों का 27$1 फीसदी है। ऐसे में तंबाकू वह सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है जिसकी वजह से लोग अलग-अलग तरह के कैंसर का सामना कर रहे हैं। भारत में आईजोल ऐसे जिले के रूप में उभरकर सामने आया है जहां पर कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही पूरे एशिया में महिलाओं में लंग कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भी आईजोल में ही देखे गए हैंं। 

विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर से बचने के लिए तंबाकू का इस्तेमाल बिल्कुल बंद करना चाहिए। इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जिन तीन वैज्ञानिकों को देने की घोषणा की गई है उनकी खोज से भी अब कैंसर एनीमिया और कोशिकाओं से जुड़ी हुई कई अन्य बीमारियों के इलाज का रास्ता खुलेगा।-आज भी दुनिया की सबसे अधिक भयावह बीमारियों में से एक है। कैंसर पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता पैदा की जाए। हमारे देश की बहुसंख्यक गरीब आबादी के पास कैंसर से समय पर सतर्क और जूझने की क्षमता नहीं है। कैंसर के अस्पतालों का अकाल तो है ही पर बड़े अस्पतालों तक गरीबों की पहुंच बड़ी मुश्किल है। इसलिए अस्पतालों में पहुंचने से पहले या आधे अधूरे इलाज से तमाम लोगों की मौत हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कुछ कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पी.एम.जे.ए.वाई.) में शामिल देश के गरीब कैंसर मरीज भी जल्द अब घर बैठे विश्वस्तरीय डाक्टरों से सलाह ले सकेंगे। 

पी.एम.जे.ए.वाई. का संचालन करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एन.एच.ए.) कैंसर के इलाज के लिए टाटा मैमोरियल अस्पताल की ओर से विकसित नाव्या ऐप की सेवाएं लेने की तैयारी में है। इससे एक बार डॉक्टर को दिखा लेने के बाद मरीज को बार-बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। ऐप में मरीज का डाटा डालकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श हासिल किया जा सकेगा। एन.एच.ए. के आला अधिकारी ने बताया कि नाव्या की सेवाएं लेने के लिए हमारी बातचीत अंतिम चरण में है। इसकी कीमतों को लेकर बातचीत चल रही है। इसकी सेवाएं शुरू होने के बाद मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर नहीं काटने होंगे। 

मरीज मोबाइल ऐप में अपना डाटा डालेगा और ऐप उस डाटा के आधार पर उचित परामर्श दे देगा। नाव्या के संस्थापक और चीफ मैडिकल ऑफिसर डॉक्टर नरेश रामाराजन का मानना है कि कैंसर से अर्थव्यवस्था पर दो तरह से प्रभाव पड़ता है। एक तो मरीज के परिवार पर और दूसरा भारत के स्वास्थ्य बजट पर। इस प्रभाव को कम करने के लिए एक नैेशनल कैंसर ग्रिड (एन.सी.जी.) बनाया गया है। एन.सी.जी. देशभर के सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों का समूह है, जिसने नाव्या का गठन किया है जो मरीजों और उनके तिमारदारों के दरवाजों तक विशेषज्ञों की राय और इलाज के तौर तरीकों को पहुंचाने में मदद कर रहा है। 

डाक्टर नरेश रामाराजन के अनुसार कई अध्ययन ये जानकारी देते हैं कि अगर परिवार का एक सदस्य भी कैंसर से पीड़ित हो जाता है तो उसके इलाज के लिए 40-50 फ़ीसदी लोग कर्ज़ लेते या घर बेच देते हैं। साथ ही लांसेट में आई रिपोर्ट के अनुसार करीब तीन से पांच फीसदी लोग इलाज की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। हालांकि डाक्टरों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सूची में कैंसर की बीमारी को जोड़े जाने से लोगों को मदद मिलेगी। सरकार की तरफ से आयुष्मान योजना 2018 में शुरू हुई थी, जिसमें बीमारियों के इलाज के लिए दी गई सहायता राशि में कैंसर का इलाज भी शामिल है, इस योजना के तहत लाभार्थी को पांच लाख रुपए तक की सहायता राशि देने का प्रावधान है। डाक्टर नरेश रामाराजन के अनुसार, ‘‘गरीब लोगों को इलाज के लिए बड़े शहर में न आना पड़े इसके लिए सरकार की तरफ से प्रावधान किए गए हैं ताकि बीमारी का पता जैसे ही चले वैसे ही इलाज शुरू हो जाए, इसके तहत एक नैशनल कैंसर ग्रिड बनाया गया है। 

इस ग्रिड में 170 कैंसर अस्पताल शामिल हैं, इन अस्पतालों के डाक्टरों ने विशेष तौर पर भारत के कैंसर मरीजों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। जिसमें यह समझाया गया है कि चाहे आप भारत के किसी कोने में हों, अगर आपको किसी एक प्रकार का कैंसर है तो आपको ये टैस्ट करवाने होंगे और ऐसे इलाज होगा। साथ ही पिछले तीन-चार वर्षों में कैंसर रिस्पॉन्स सिस्टम बनाया गया है, जिसमें मरीज और डाक्टर जहां भी हैं उसे कैंसर के बारे में पूरी जानकारी देकर इलाज किया जा सकेगा और किसी बड़े शहर या अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस ग्रिड से आयुष्मान योजना को भी जोड़ दिया गया है। ऐसे में जो मरीज इलाज के लिए आएगा वह योजना के जरिए आॢथक मदद का लाभ भी ले पाएगा।’’ फिलहाल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए नाव्या की सेवाएं मुफ्त हैं। अन्य मरीजों के लिए 1500 रुपए से लेकर 8,500 रुपए तक का शुल्क लिया जाता है। सरकार की ऐसी योजनाओं का अभी बहुत प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है। जरूरत इस बात की है कि इन योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए ताकि गरीबों को कैंसर से राहत मिल सके। 

दि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (1990-2016) के अनुसार भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मामले सामने आए हैं। स्टडी के अनुसार महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, कोलोन एंड रैक्टम और लिप एंड कैविटी कैंसर मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। गांवों और शहरों में तुलना की जाए तो गांव से सर्वाइकल और शहर से स्तन कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं। लेकिन पूरे भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे पहले नंबर पर है। जिसका मुख्य कारण देर से शादियां होना, गर्भधारण में देरी, स्तनपान कम करवाना, बढ़ता तनाव, लाइफस्टाइल और मोटापा है। 

इस रिपोर्ट में सामने आया है कि इस समय जहां ब्रैस्ट कैंसर के मामलों की संख्या 377830 है, वह साल 2025 तक बढ़कर 427273 हो जाएगी। वर्तमान में भारत में कैंसर के कुल मामलों में से ब्रैस्ट कैंसरदर का प्रतिशत 14 है। लेकिन यह रिपोर्ट एक नई बात बताती है कि ब्रैस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मैट्रो शहरों में सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा ब्रैस्ट कैंसर के मामलों के लिहाज से हैदराबाद पहले स्थान पर, चेन्नई दूसरे स्थान पर, बेंगलुरू तीसरे स्थान पर और दिल्ली चौथे स्थान पर आता है। आई.सी.एम.आर. की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले पांच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़त होगी। साल 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या 15$69 लाख के पार निकल जाएगी जोकि इस समय 14 लाख से भी कम है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली जैसे महानगरों में कम उम्र के लोगों में स्टेज फोर कैंसर की पुष्टि होने की खबरें सामने आई थीं। 

इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले सामने आने की संख्या बढ़ गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) ने 18 अगस्त 2020 को भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी। यह रिपोर्ट आने के बाद मैडीकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि यह रिपोर्ट उन सभी आशंकाओं को पुष्ट करती है जो कि मैडीकल क्षेत्र के विशेषज्ञ पिछले पांच-छह सालों से ग्राऊंड पर देख रहे हैं, ये उसी के  प्रोजैक्शन हैं। ये रिपोर्ट दरअसल जमीनी स्थिति को दिखा रही है। 

इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि साल 2020 में तंबाकू की वजह से कैंसर झेल रहे लोगों की संख्या 3$ 7 लाख है जो कि कुल कैंसर मरीजों का 27$1 फीसदी है। ऐसे में तंबाकू वह सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है जिसकी वजह से लोग अलग-अलग तरह के कैंसर का सामना कर रहे हैं। भारत में आईजोल ऐसे जिले के रूप में उभरकर सामने आया है जहां पर कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही पूरे एशिया में महिलाओं में लंग कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भी आईजोल में ही देखे गए हैंं। विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर से बचने के लिए तंबाकू का इस्तेमाल बिल्कुल बंद करना चाहिए। इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जिन तीन वैज्ञानिकों को देने की घोषणा की गई है उनकी खोज से भी अब कैंसर एनीमिया और कोशिकाओं से जुड़ी हुई कई अन्य बीमारियों के इलाज का रास्ता खुलेगा।-निरंकार सिंह

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