भारतीय राजनीति के नए ‘स्तम्भ’

Edited By ,Updated: 26 Nov, 2019 01:18 AM

new pillars of indian politics

वर्ष 2019 राजनीति में उथल-पुथल का वर्ष है। जब हमने नए वर्ष का स्वागत किया तब लोकसभा चुनाव की मुहिम अपनी चरम सीमा पर थी। यह वर्ष अपनी सुर्खियों के लिए जाना जाएगा। कुछ लोगों ने अपने हाथ से सत्ता को खिसकने दिया तो कुछेक ने इसे दोनों हाथों से लपक लिया।...

वर्ष 2019 राजनीति में उथल-पुथल का वर्ष है। जब हमने नए वर्ष का स्वागत किया तब लोकसभा चुनाव की मुहिम अपनी चरम सीमा पर थी। यह वर्ष अपनी सुर्खियों के लिए जाना जाएगा। कुछ लोगों ने अपने हाथ से सत्ता को खिसकने दिया तो कुछेक ने इसे दोनों हाथों से लपक लिया। भारतीय राजनीति में कुछ युवा सितारों ने अपने अलग अंदाज में काया ही पलट डाली।

माकपा ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपने गृह क्षेत्र बेगुसराय से केंद्रीय मंद्री गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव में उतारा था जोकि कन्हैया से दोगुनी उम्र के हैं। कुमार ने उस समय सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने 2016 में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी की। कन्हैया ने यह नारेबाजी 2001 में संसद पर हुए हमले के आरोपी अफजल गुरु की फांसी की वर्षगांठ की याद में आयोजित एक रैली में की थी। 32 वर्षीय कन्हैया के पास अफ्रीकन स्टडीज में डाक्ट्रेट की डिग्री है। कन्हैया ने बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाया। भाषण के दौरान उनका जोर माक्र्सवाद तथा फ्री स्पीच पर रहा। 

दिल्ली में सरकारी स्कूलों में सुधारों के लिए अपने योगदान हेतु आम आदमी पार्टी की आतिशी मारलेना की जमकर तारीफ हुई। उन्हें भाजपा नेता तथा पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर के विरुद्ध लोकसभा चुनाव में खड़ा किया गया था। क्रिकेटर से राजनेता बने गंभीर के दूसरे छोर पर एक कमजोर उम्मीदवार दिखाई दिया था। पूर्वी दिल्ली में अपनी हार के बावजूद आतिशी लोगों की सहानुभूति लेने में कामयाब रही हैं। वहीं दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा ‘आप’ के एक और चर्चित नेता हैं। लंदन स्कूल आफ इक्नॉमिक्स से पढ़े 31 वर्षीय राघव चड्ढा भाजपा के गुर्जर नेता रमेश विधुड़ी के मुकाबले कमजोर आंके गए। 

इसके कुछ माह बाद भारतीय राजनीति के पटल पर एक नया सितारा चमकता दिखाई देने लगा। वह हैं 31 वर्षीय जन नायक जनता पार्टी (जजपा) के संस्थापक दुष्यंत चौटाला। हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा के बाद दुष्यंत किंगमेकर बनकर उभरे। हरियाणा में वह राज्य के उपमुख्यमंत्री बने। हालांकि विधानसभा चुनावों के दौरान दुष्यंत ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जमकर आलोचना की थी। 2015 में लारैंस स्कूल एंड अमेरिकन यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट 6 फुट 4 इंच लंबे दुष्यंत को पी.आर.एस. लैजिस्लेटिव रिसर्च ने सबसे अच्छी कारगुजारी वाले सांसदों में से एक के तौर पर चुना।

दुष्यंत उस वक्त मात्र 26 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने पड़दादा चौधरी देवी लाल की इनैलो का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने सशक्त प्रतिद्वंद्वी कुलदीप बिश्नोई को मात देकर संसद में पहुंच बनाई। इस दौरान महाराष्ट्र में एक माह तक घटनाचक्र तथा समीकरण बदलते रहे। हर पार्टी एक-दूसरे की ओर बांह पसारे खड़ी दिखाई दी। शिवसेना का भाजपा से गठबंधन टूटा। महाराष्ट्र में भाजपा ने राकांपा के अजीत पवार के गठजोड़ से सरकार बनाई। इस दौरान शिवसेना के युवा नेता 29 वर्षीय आदित्य ठाकुर उभर कर आए। ठाकरे परिवार के इतिहास को बदलकर उन्होंने चुनाव लड़ा। 

इस बीच तृणमूल कांग्रेस की सांसद तथा अभिनेत्री नुसरत जहां (29) के भाषण में बहुत पकड़ है। नुसरत में राजनीति के प्रति बड़ी जिज्ञासा है। इसी सूची में लद्दाख के सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल (34) तथा भाजपा के दक्षिण बेंगलूर के सांसद तेजस्वी सूर्य (29) भी अन्य चमकते सितारों में से एक हैं।

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