नीतीश कुमार की चिंताएं और बढ़ीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jun, 2018 03:34 AM

nitish kumars worries grew

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस समय देश के सबसे अधिक चिंतित राजनीतिज्ञ हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को दरपेश आने वाली मुसीबतों के मद्देनजर वह न तो वर्तमान में भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं और न ही उनकी पार्टी अपने दम पर लोकसभा चुनाव...

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस समय देश के सबसे अधिक चिंतित राजनीतिज्ञ हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को दरपेश आने वाली मुसीबतों के मद्देनजर वह न तो वर्तमान में भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं और न ही उनकी पार्टी अपने दम पर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकती है। ऐसे में वह यह चाहते हैं कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी को कुछ अधिक सीटें मिल जाएं। 

चूंकि उन्होंने भाजपा के प्रादेशिक नेताओं के साथ कभी इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की इसलिए वह भाजपा हाईकमान के साथ इस पर उस समय चर्चा करने की योजना बना रहे हैं जब अगले सप्ताह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बिहार दौरे पर आएंगे। भाजपा जानती है कि वर्तमान में नीतीश विपक्ष के साथ नहीं जा सकते और अकेले चुनाव भी नहीं लड़ सकते। बिहार के राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आखिरकार उनकी पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के रहमोकरम के भरोसे ही रहना होगा। 

उत्तर प्रदेश में बाबुओं का तबादला: एक लम्बे नाटक के बाद उत्तर प्रदेश में अब सभी पार्टियों की निगाहें अफसरों के तबादलों और नीतियों पर लगी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि यू.पी. के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ अपने मंत्रियों से बढ़कर नौकरशाहों पर निर्भर हैं। वर्तमान में मुख्य सचिव राजीव कुमार ही उनके सबसे विश्वस्त अधिकारी हैं और वह भी 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पहले यह अफवाह उड़ी थी कि राजीव कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है। लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि राजीव की इसमें कोई रुचि नहीं है बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि उन्हें संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया जाए। इसका अर्थ यह होगा कि अगले 5 वर्षों तक वह सरकारी नौकरी का  सुख भोगते रहेंगे। 

अब यह अफवाह गर्म है कि नया मुख्य सचिव 1984 के बैच में से लिया जाएगा। ऐसे में तीन वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों दुर्गा शंकर मिश्रा, अनूप शंकर पांडे और संजय अग्रवाल में भी मुकाबला शुरू हो गया। फिलहाल दुर्गा शंकर मिश्रा केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं और अग्रवाल तथा पांडे यू.पी. के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में तैनात हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ईमानदार अफसरों को जिला मुख्यालयों पर तैनात करने में व्यस्त हैं। उनके इस अभियान से राजनीतिक नेता काफी परेशान हैं क्योंकि उनको दलाली खाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की तलाश: आखिर राजस्थान भाजपा के महासचिव चंद्रशेखर ने प्रदेश के भाजपा पदाधिकारियों की मीटिंग बुला ही ली है क्योंकि गत दो माह से प्रदेश में कोई पार्टी अध्यक्ष नहीं है। हाईकमान चाहता है कि गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाए जबकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उनके नाम पर सहमत नहीं हैं। यू.पी. से राजस्थान आने के बाद चंद्रशेखर एक वर्ष से खाली बैठे हुए थे और आखिर उन्होंने प्रदेश भाजपा का कामकाज शुरू करने का फैसला ले लिया और प्रदेशाध्यक्ष की तरह व्यवहार करते हुए बूथ स्तर की समितियों के कामकाज की निगरानी करनी शुरू कर दी। अपनी इस जिम्मेदारी में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव वी. सतीश का समर्थन मिल रहा है। 

दिल्ली में जल संकट: दिल्ली के लोग गर्मियों के मौसम में पानी के लिए हाहाकार कर रहे हैं और पानी को लेकर पड़ोसियों के बीच झगड़े हो रहे हैं और जल कनैक्शन के मुद्दे पर एक युवक की हत्या हो गई। इस घटना नेे जल संकट की आग में घी डालने का काम किया है। दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपना एयरकंडीशन धरना समाप्त कर दिया है। इस धरने से जलापूर्ति की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया क्योंकि केजरीवाल के मंत्री अधिकारियों के साथ बैठकर कोई बातचीत नहीं कर पाए। इन गर्मियों में भाजपा और ‘आप’ महत्वपूर्ण मुद्दों पर फोकस करने की बजाय अपने-अपने एजैंडे को आगे बढ़ाने के लिए लड़ रही हैं। इससे आम आदमी की मुश्किलों में बढ़ौतरी ही हो रही है। 

कोई ‘निर्मल’ अनुभव नहीं : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण हाल ही मेें जब भाजपा के ‘समर्थन के लिए सम्पर्क’ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए चेन्नई दौरे पर गईं तो उन्हें गहरा सदमा लगा। ऐसा आभास होता है कि हमेशा स्पष्ट और दो टूक शब्दों में अपनी बात को सूत्रबद्ध करने वाली रक्षा मंत्री ‘स्टरलाइट’ विरोधी आंदोलन, वामपंथी उग्रवाद तथा अन्य मुद्दों की हैंडलिंग के तौर-तरीकों से काफी व्यथित महसूस कर रही हैं। सदमाग्रस्त सीतारमण उसी दिन से प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष से अपने कटु अनुभवों के बारे में सीधी बात करने के लिए समय मांग रही हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा

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