कोई मजहब नहीं देता आतंक की शिक्षा

Edited By ,Updated: 02 May, 2019 04:48 AM

no religion teaches terror

गत दिनों में ईसाई भाइयों के पवित्र पर्व ईस्टर पर आतंकवाद का भयानक चेहरा एक बार फिर से देखने को मिला लेकिन इस बार श्रीलंका में, वह भी बदले की कार्रवाई का बहाना बताकर। ईस्टर के मौके पर सिलसिलेवार बम धमाकों ने द्वीपीय देश श्रीलंका को हिलाकर रख दिया। इन...

गत दिनों में ईसाई भाइयों के पवित्र पर्व ईस्टर पर आतंकवाद का भयानक चेहरा एक बार फिर से देखने को मिला लेकिन इस बार श्रीलंका में, वह भी बदले की कार्रवाई का बहाना बताकर। ईस्टर के मौके पर सिलसिलेवार बम धमाकों ने द्वीपीय देश श्रीलंका को हिलाकर रख दिया। इन आतंकी हमलों के साथ ही लिट्टे से खूनी संघर्ष के खात्मे के लगभग 10 साल बाद श्रीलंका में एक बार फिर से शांति भंग हुई है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय खुफिया एजैंसियों ने इन हमलों को लेकर आगाह किया था लेकिन कोई सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए और नतीजा सामने है। चूंकि हमारा देश भी गाहे-बगाहे आतंकी कार्रवाई का भुक्तभोगी रहा है, इसलिए श्रीलंका के दर्द को समझ सकता है। 

मुस्लिम संगठन का नाम सामने आया
हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका लम्बे अर्से से सिंहल बौद्धों और अल्पसंख्यक हिन्दू, मुस्लिम और ईसाइयों के बीच संघर्ष का गवाह रहा है। श्रीलंका की शांति बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजीव गांधी की  हत्या भी आतंकी संगठन लिट्टे ने ही की थी लेकिन नए सिरे से श्रीलंका में हुई इस आतंकी कार्रवाई में मुस्लिम संगठन का नाम आना ङ्क्षचताजनक है। हमले की शुरूआती जांच के बाद श्रीलंका के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आतंकियों ने न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों में 15 मार्च को हुए हमले का बदला लेने के लिए धमाकों को अंजाम दिया। इस घटना से पहले की अगर बात करें तो श्रीलंका में कट्टरपंथी बौद्ध समूह मुस्लिम समुदाय पर लोगों के जबरन धर्मांतरण के आरोप लगाते रहे हैं। यानी एक तरह से यह टकराव पुराना है और इस टकराव की अगली कड़ी इतनी भयावह होगी, किसी ने शायद ही कभी सोचा हो। विश्व भर में आतंकवादी कार्रवाई कर मुस्लिम समाज की किरकिरी करवाने के बाद श्रीलंका में आतंकी कार्रवाई करवाकर आई.एस.आई. ने मुसलमानों का सिर फिर से शर्म से झुका दिया है। 

आतंकवादियों ने अपनी कार्रवाई को अगर न्यूजीलैंड की कार्रवाई से जोड़ा है तो क्या वे यह बताने का कष्ट करेंगे कि क्या मुसलमानों के लिए बदला लेने का उनसे किसी ने आग्रह किया है? किसने हक दिया है उन्हें कि वे बेकसूरों का कत्ल करते घूमें जबकि कुरान कहता है कि ‘‘किसी एक बेकसूर का कत्ल पूरी इंसानियत का कत्ल है।’’ बेकसूर नमाजियों का कत्ल अगर न्यूजीलैंड के कातिल के लिए गलत था तो बेकसूर ईसाइयों की हत्या इन आतंकवादियों के लिए हराम क्यों न घोषित कर दी जाए? आखिर यह आतंकवादी कुरान की शिक्षा के खिलाफ जाकर हरामकारी ही तो कर रहे हैं। 

इस आतंकी कार्रवाई के खिलाफ मुस्लिम समाज को एकजुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है, वर्ना आतंकवादियों को हौसला मिलता है। इसकी शुरूआत हो भी चुकी है, बस पूरे देश के मुसलमानों को इसमें शामिल होना है। हमले के पीड़ितों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए विभिन्न मुस्लिम और ईसाई धर्म गुरु सामने आए हैं। इन विस्फोटों में लिप्त लोगों को इन धर्मगुरुओं ने ‘अल्लाह का दुश्मन’  और जमीन पर ‘शैतानी ताकतों का प्रतीक’ बताया है। इन धर्मगुरुओं ने सांझा बयान जारी कर कहा है कि जो लोग इन विस्फोटों में लिप्त हैं वे मानव सभ्यता और खुदा के दुश्मन हैं और धरती पर शैतानी ताकतों के प्रतीक हैं। 

इन धर्मगुरुओं ने एक बात स्पष्ट की है और उनकी इस बात से भी इत्तेफाक रखना होगा कि किसी आतंकवादी या आतंकवादी संगठन को किसी मजहब से जोडऩा अपनी आस्था का अपमान करना है। पूरे मुस्लिम समाज को इन धर्मगुरुओं के समर्थन में खुलकर सामने आना होगा और यह कहना होगा कि वे इस आतंकी कार्रवाई की न सिर्फ ङ्क्षनदा करते हैं, बल्कि वे ईसाई समुदाय के साथ खड़े हैं। न्यूजीलैंड में हुई आतंकी घटना के बाद जब वहां की प्रधानमंत्री जेसिंडा एर्डर्न ने हिजाब पहनकर मुसलमानों के गम में शरीक होकर उनके प्रति सहयोग, रहमदिली और संवेदनाएं दिखाई थीं, तो पूरा विश्व उनका कायल हो गया था। आज वही स्थिति ईसाई भाइयों के लिए है, इसलिए मुसलमानों को न्यूजीलैंड के नागरिकों की तरह ईसाइयों के समर्थन में उतरने की जरूरत है। 

आतंकवाद न सिर्फ दरिंदगी है बल्कि गैर-इस्लामी भी है। इस्लाम तो क्या, कोई भी मजहब इसकी इजाजत नहीं देता है लेकिन अधकचरे ज्ञान और कठमुल्ले उलेमा की तकरीरों और उनके लेख से प्रभावित होकर आतंक की राह पर चल पड़े किसी समाज को आखिर कैसे सही रास्ते पर लाया जाए? साथ लाने के लिए उस सोच को मारना होगा कि फलां धर्म सही और फलां धर्म गलत। फलां धर्म के मानने वाले सही हैं और बाकी सब गलत। दुर्भाग्य से आतंकवादियों को यही लगता है कि उनका धर्म ही सही है, बाकी सब गलत हैं और उन्हें खत्म कर दिया जाना चाहिए। आतंकवादी विचारधारा की यही सोच आखिर में मुस्लिम समाज के लिए गले का फांस बन जाती है। 

मुसलमानों को चाहिए कि वे एक उच्च स्तरीय अंतर्जातीय नागरिक प्रतिनिधिमंडल बनाएं और श्रीलंका जाएं। वहां जाकर वे पीड़ित परिवारों से मिलकर उनके साथ हमदर्दी पेश करें और सद्भावना का संदेश दें। बिल्कुल उसी तरह जैसा न्यूजीलैंड के नागरिकों ने मुसलमानों के साथ किया था। मुसलमानों का यह कदम जातीय रिश्तों के बीच फैलाई जा रही कड़वाहट का तोड़ और सामाजिक समरसता का सबसे मजबूत जोड़ भी साबित होगा।-सैयद सलमान

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!