‘अब परदेस में भी बढ़ रहे हैं रोजगार के मौके’

Edited By ,Updated: 14 Feb, 2021 05:54 AM

now employment opportunities are increasing in foreign countries also

यकीनन कोविड-19 की चुनौतियों के बीच देश और दुनिया के विभिन्न देशों में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी के लिए रोजगार के नए मौके मुठ्ठियों में आने का परिदृश्य उभर कर दिखाई दे रहा है। हाल ही में 3 फरवरी को अमरीका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा...

यकीनन कोविड-19 की चुनौतियों के बीच देश और दुनिया के विभिन्न देशों में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी के लिए रोजगार के नए मौके मुठ्ठियों में आने का परिदृश्य उभर कर दिखाई दे रहा है। हाल ही में 3 फरवरी को अमरीका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा आव्रजन संबंधी तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए जाने से आव्रजन पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त नीतियां पलट गई हैं। ऐसे में भारत की नई पेशेवर पीढ़ी के लिए एक बार फिर से अमरीका में रोजगार के अच्छे मौकों की डगर आगे बढ़ी है। 

यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि हाल ही में सरकार ने भारत और जापान के बीच कुशल कामगारों के क्षेत्र में सहयोग को संस्थागत रूप देने से जुड़े समझौते को मंजूरी दी है। इसके तहत अनिवार्य कौशल प्राप्त और जापानी भाषा की परीक्षा पास करने वाले कुशल भारतीय कामगारों को जापान में 14 निर्धारित क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं भारतीय कामगारों को जापान सरकार की ओर से ‘निर्दष्ट कुशल कामगार’ नाम की एक नई सामाजिक स्थिति (न्यू स्टेटस ऑफ रैजीडैंस) प्रदान की जाएगी। 

ज्ञातव्य है कि जापान की औद्योगिक और कारोबार आवश्यकताओं में तकनीक और नवाचार का इस्तेमाल तेज होने की वजह से जापान में सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में मसलन हैल्थकेयर, नॄसग, इलैक्ट्रिकल, इलैक्ट्रानिक्स, फूड प्रोसैसिंग, जहाज निर्माण, विमानन, कृषि, अनुसंधान, विकास, सेवा व वित्त आदि क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षित कार्यबल की भारी कमी अनुभव की जा रही है। खासतौर से जापान की बुजुर्ग होती जनसंख्या और जापान में जन्म दर गिरने की वजह से कौशल प्रशिक्षित पेशेवरों की सबसे अधिक जरूरत है। 

जापान ने भारतीय लोगों के लिए वीजा नियमों को आसान कर दिया है। जापान में उच्च कुशल पेशेवरों के लिए खास तरह का ग्रीन कार्ड जारी किया जाता है। इससे एक साल में स्थायी निवासी प्रमाणपत्र मिल सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने विदेशों में कुशल कर्मियों को काम दिलाने की योजना बनाई है। यूरोप और एशिया के करीब 12 देशों को जिनसे भारत के संबंध अच्छे हैं, उन्हें स्वास्थ्य कर्मी के अलावा दूसरे क्षेत्र के कुशल कर्मियों की आपूर्ति करने की तैयारी है।

कौशल विकास मंत्रालय और उद्यमिता मंत्रालय (एम.एस.डी.ई.) के मुताबिक भारत से जाने वाले कर्मी स्थायी प्रवासियों के रूप में नहीं बल्कि उन क्षेत्रों के कर्मचारियों के रूप में होंगे जहां अधिक मांग है। अभी 12 देशों को मैनपावर आपूर्ति करने का लक्ष्य  रखा गया है। कौशल मंत्रालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ ब्रिटेन में अगले दो वर्षों में लगभग 42,000 नर्स, लगभग 40,000 कम्युनिटी हैल्थ वर्कर और 85,000 स्वास्थ्य पेशेवरों की जरूरत पड़ेगी। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, स्वीडन, ब्रिटेन और अमरीका सहित नौ देशों में 2022 तक 300,000 से अधिक स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की मांग होगी। इस बड़ी मांग के एक बड़े हिस्से की पूर्ति भारत से की जा सकेगी। 

नि:संदेह कोविड-19 के बीच जिस तरह दुनिया में ए.आई.क्लाइड कम्प्यूटिंग जैसी नई तकनीकों की जरूरत निर्मित हुई है, उससे भी भारत की नई पेशेवर पीढ़ी के लिए मौके बढ़े हैं। ख्याति प्राप्त मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्न फेरी की रिपोर्ट के मुताबिक जहां दुनिया में 2030 तक कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल कामगार होंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया के 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल श्रमशक्ति की कमी होगी। ऐसे में भारत दुनिया के कई विकसित और कई विकासशील देशों में बड़ी सख्या में कुशल श्रम बल भेजकर फायदा उठा सकेगा। निश्चित रूप से इस समय कोविड-19 की चुनौतियों में बदली हुई डिजिटल दुनिया में भारत पूरी तरह से लाभ की स्थिति में है। लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल अर्थव्यवस्था की रोजगार जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। 

ऐसे में अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल दौर की और नई तकनीकी रोजगार योग्यताओं के साथ अच्छी अंग्रेजी, कम्प्यूटर दक्षता तथा कम्युनिकेशन स्किल्स की योग्यताओं से सुसज्जित करना होगा। दुनिया में मजबूती से आगे बढऩे के लिए नवाचार पर जोर देना होगा। चूंकि कोविड-19 के बाद एक ओर कई रोजगार ऐसे भी होंगे, जिनके नाम हमने अब तक सुने भी नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर रोजगार के लिए सीखे गए स्किल्स पुराने होने लगेंगे और अच्छा करियर बनाए रखने के लिए लगातार नए स्किल्स सीखते रहना जरूरी होगा। हम उम्मीद करें कि कोरोना वायरस से पूरी तरह बदली हुई नई आर्थिक दुनिया में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी की अभूतपूर्व रोजगार भूमिका दिखाई देगी। ऐसे में दुनिया के विभिन्न देशों के द्वारा भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी को काम करने के लिए सहभागी बनाया जाना आर्थिक रूप से लाभप्रद माना जाएगा।-डा.जयंतीलाल भंडारी
     

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