अब महिलाओं की आवाज उठाने के लिए ‘मी टू सर्कल्स’

Edited By Pardeep,Updated: 21 Nov, 2018 04:27 AM

now to take the voice of women  me too circles

सोशल मीडिया पर मी टू अभियान के बाद यौन प्रताडऩा की शिकार महिलाओं को निडर होकर बोलने हेतु एक मंच उपलब्ध करवाने के लिए देश भर में महिलाओं ने ‘मी टू सर्कल्स’ बनाना शुरू कर दिया है। इस माह के शुरू में मुम्बई, दिल्ली तथा बेंगलूर में इसके अंतर्गत बैठकें...

सोशल मीडिया पर मी टू अभियान के बाद यौन प्रताडऩा की शिकार महिलाओं को निडर होकर बोलने हेतु एक मंच उपलब्ध करवाने के लिए देश भर में महिलाओं ने ‘मी टू सर्कल्स’ बनाना शुरू कर दिया है। इस माह के शुरू में मुम्बई, दिल्ली तथा बेंगलूर में इसके अंतर्गत बैठकें आयोजित की गईं जबकि उसके बाद पुणे, चेन्नई तथा लखनऊ में भी यौन प्रताडऩा की शिकार महिलाओं ने मिलकर अपने दुख तथा अनुभव सांझे किए। 

मुम्बई में महिलाएं रविवार को क्रास मैदान पर मिलीं और मी टू अभियान बारे चर्चा की। उन्होंने यौन शोषण बारे अपने अनुभव सांझे किए तथा यह भी कहा कि कैसे वे उस अनुभव से उबरने के लिए असहाय महसूस कर रही थीं। मुम्बई में मी टू सर्कल की आयोजकों में से एक सुखनिध कौर ने बताया कि इस सबकी शुरूआत सोशल मीडिया पर अपने निजी दुख सांझे करने के लिए कई महिलाओं द्वारा मी टू अभियान का नेतृत्व करने से हुई। मी टू सर्कल एक ऐसा स्थान है जहां महिलाएं अपनी बात रख सकती हैं, अपने आप में खुल सकती हैं और राहत के लिए अन्य महिलाओं से सहारा पाती हैं। दरअसल यह एक उपचारात्मक सर्कल है। कहानियों के साथ-साथ यहां सिस्टम के खिलाफ गुस्सा भी था क्योंकि यह महिलाओं को न्याय नहीं दिला सका। सुखनिध दक्षिण मुम्बई स्थित सेंट जेवियर्स कालेज में अंतिम वर्ष की छात्रा है। 

पुरुषों के सर्कल भी होने चाहिएं
यह पूछने पर कि क्या ये सर्कल केवल महिलाओं तक ही सीमित हैं, सुखनिध ने सकारात्मक उत्तर दिया कि वर्तमान में ये सर्कल केवल महिलाओं तक सीमित हैं क्योंकि प्रारम्भ में उन्हें ही एक कम्फर्ट जोन की जरूरत है लेकिन हां, महिलाओं की पीड़ा बारे बताने के लिए पुरुषों के सर्कल भी होने चाहिएं। सुखनिध ने बताया कि वे अगले स्तर तक जाते हुए उन महिलाओं को कानूनी सहायता तथा काऊंसलिंग भी उपलब्ध करवाने जा रही हैं जो यौन प्रताडऩा की शिकार हुई हैं। कुछ वकील ऐसा जनहित में नि:स्वार्थ रूप से करने को तैयार हैं। 

गत रविवार को आयोजित मुम्बई सर्कल में लगभग 30 कार्यशील प्रोफैशनल्स तथा कुछ छात्राओं ने हिस्सा लिया तथा आयोजक प्रारम्भिक प्रक्रिया की समीक्षा करने के बाद मुम्बई में एक और बैठक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। बैठक में भाग लेने वाली एक अन्य प्रतिभागी अर्चिता ने बताया कि वास्तव में किसी भी तरह के स्पष्टीकरण की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि हम सभी जानती हैं कि हम सब किन परिस्थितियों से गुजरी हैं। उन्होंने एक-दूसरे की मदद करने का प्रयास किया और इस विपदा से कैसे निपटा जाए, इस संबंध में अपने अनुभव सांझे किए। उन सब में काफी एकजुटता, गुस्सा, आशा तथा राहत भी थी। 

अर्चिता ने बताया कि अंतत: उसे यह महसूस हुआ कि वह अकेली नहीं थी जो ऐसी बुरी चीज से या परिस्थितियों से निकली थी। वह वहां बिना किसी डर के अपनी आवाज उठा सकती थी। हालांकि अर्चिता ने अपने निजी अनुभवों बारे बताने से इंकार कर दिया। वकील रुतुजा शिंदे, जिन्होंने मी टू केसों को लडऩे में नि:शुल्क कानूनी सहायता का प्रस्ताव दिया है, भी मुम्बई सर्कल में शामिल हुईं। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाना है जहां वे यौन प्रताडऩा के अपने अनुभवों को एक-दूसरे के साथ बांट सकें। बाद में इस तरह के कई अन्य हीङ्क्षलग सर्कल बनाए जाएंगे। 

आंदोलन को और आगे ले जाने का विश्वास
यंग वूमन्स क्रिश्चियन एसो. (वाई.डब्ल्यू. सी.ए.) की बोर्ड सदस्या ललिता धारा, जो अपनी उम्र के छठे दशक में हैं, बैठक में उपस्थित सबसे अधिक उम्र की सदस्याओं में से एक थीं। उन्होंने बताया कि वह नारीवादियों की अतीत की पीढ़ी से आई हैं लेकिन इन युवा लड़कियों की समस्याओं बारे जानना दिल दहलाने वाला था। वे युवा, प्रोफैशनल, स्मार्ट हैं, लेकिन उनमें से कुछ को यौन प्रताडऩा का सामना करना पड़ा, जिसे वे सांझा नहीं कर सकती थीं। ललिता ने बताया कि इस सर्कल  में उन्हें एक सहज क्षेत्र उपलब्ध करवाया। उन्हें विश्वास है कि लड़कियां उस आंदोलन को और आगे ले जाएंगी।-एस. गणपत्ये

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