38 वर्षीय महिला के 17वें गर्भ के कारण अधिकारी ‘हाई अलर्ट’ पर

Edited By ,Updated: 18 Sep, 2019 02:47 AM

officer on high alert due to 38 year old woman s 17th pregnancy

महाराष्ट्र में बीड़ जिला के माजलगांव ब्लाक के अधिकारी 38 वर्षीय एक गर्भवती महिला की जान बचाने के लिए ओवरटाइम कार्य कर रहे हैं। अपने 17वें बच्चे को जन्म देने वाली लंकाताई खारट इससे पहले किसी भी बच्चे को जन्म देने के लिए अस्पताल में नहीं गई लेकिन इस...

महाराष्ट्र में बीड़ जिला के माजलगांव ब्लाक के अधिकारी 38 वर्षीय एक गर्भवती महिला की जान बचाने के लिए ओवरटाइम कार्य कर रहे हैं। अपने 17वें बच्चे को जन्म देने वाली लंकाताई खारट इससे पहले किसी भी बच्चे को जन्म देने के लिए अस्पताल में नहीं गई लेकिन इस बार अधिकारी दृढ़निश्चयी हैं कि वह समय पर अस्पताल पहुंच जाए। गत वर्ष उसके पति मालोजी ने बच्चा जनने में उसकी मदद की थी। बच्चा, जो एक कुपोषित लड़का था, 5 महीनों से अधिक समय तक नहीं जी पाया। 

मुम्बई से लगभग 434 किलोमीटर दूर माजलगांव के ब्लाक चिकित्सा अधिकारी अनिल परदेसी ने बताया कि इस बार उसके जीवन को खतरा है। वे उसे अस्पताल आने, नियमित रूप से जांच करवाने, उसे दवाइयां उपलब्ध करवाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सभी टैस्ट करवाने हेतु मनाने का प्रयास कर रहे हैं कि उसके बच्चे का जन्म सुगम तथा सुरक्षित तरीके से हो। 

इस बात को लेकर कुछ मतांतर हैं कि वह पहले कितनी बार गर्भवती हो चुकी है। जहां खारट ने माजलगांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से एक के डाक्टरों को सूचित किया है कि गत वर्ष तक वह 16 बच्चों को जन्म दे चुकी है, वहीं उसकी सास नादरबाई का दावा है कि यह संख्या वास्तव में 20 है। सही संख्या जो भी हो, केवल 11 बच्चे- दो लड़के तथा 9 लड़कियां ही बच सकीं, जबकि बाकी या तो गर्भ के असफल होने या जन्म के बाद की पेचीदगियों के कारण मारे गए। हालांकि उसके बारे में कोई रिकार्ड नहीं है। हरियाणा के नूह, जो देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में से एक बताया जाता है, की एक महिला ने 2007 में अपने 23वें बच्चे को जन्म दिया था। 

इस बार खारट को बच्चों की संख्या तथा उनके जल्दी-जल्दी होने की कीमत चुकानी पड़ी है, जिसका वजन मात्र 45 किलो है। वह प्रसवोत्तर हैमरेज के उच्च जोखिम में है, जिस कारण भारत में 25.7 प्रतिशत मातृत्व मौतें होती हैं तथा उनमें से दो-तिहाई बच्चा जनने के कुछ ही घंटों के भीतर हो जाती हैं। गत बुधवार को खारट एक सामाजिक कार्यकत्र्ता की उपस्थिति में अपनी डिलीवरी हेतु अस्पताल जाने के लिए सहमत हो गई। मन बदलना आसान नहीं होता। मंगलवार को बीड़ सिविल अस्पताल के डाक्टरों को उसे डिस्चार्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उसने एक महिला गाइनीकॉलोजिस्ट के साथ सहयोग करने से इंकार कर दिया था, जो उसकी जांच करने आई थी। परदेसी ने बताया कि वह कमरे में नहीं रुकी, दो बार बाहर निकल गई। उसने प्रश्रों के उत्तर नहीं दिए तथा शारीरिक जांच करवाने से इंकार कर दिया। 

ब्लाक प्रशासन, जिसे उसकी स्थिति के बारे में एक स्थानीय कार्यकत्र्ता सत्यभामा सुंदरमल ने सचेत किया था, ने एक अस्थायी टैंट में एक मैडीकल टीम भेजी, जहां वह 6 सितम्बर से रह रही थी। तब तक वह पुराने कपड़े इकट्ठे करने के अपने रोजमर्रा के कार्य पर निकल चुकी थी। अगले दिन स्वास्थ्य दल सामान्य समय से पहले वहां पहुंच गया और उसे जांच के लिए ले गया, जिसमें एक अल्ट्रासोनोग्राफी शामिल थी, जिससे एक बात की पुष्टि हो गई कि वह 28 सप्ताहों की गर्भवती थी। उन्होंने और अधिक टैस्टों के लिए बीड़ अस्पताल में मंगलवार का दिन निर्धारित किया। 

खारट ने बुधवार को गलियों से पुराने कपड़े इकट्ठे करने तथा बेचने के दिन भर के काम के बाद बताया कि बीड़ में डाक्टर ने उससे कहा कि वह (खारट) तनाव में है। तब उसे अहसास हुआ कि वह अपने बच्चों को लेकर ङ्क्षचतित है... यदि वह मर गई तो उनका क्या होगा। यह विचार काफी समय से उसे परेशान कर रहा था। दो सप्ताह पूर्व खारट नजदीकी केसापुरी गांव में अपने रोजमर्रा के काम के दौरान बेहोश होकर गिर गई थी। किसी अच्छे दिन उसकी कमाई 100 से 300 रुपए तक होती है जिस पर उसका परिवार निर्भर करता है। उसकी कमाई का एक हिस्सा पति के शराब के रोज के कोटे के लिए चला जाता है। यह भी एक कारण था कि खारट ने बीड़ अस्पताल में दाखिल होने से इंकार कर दिया। उसने पूछा कि यदि वह अस्पताल में दाखिल हो जाती तो उसके बच्चे क्या खाते? 

पुरुष आमतौर पर बच्चों को ऊंट की सवारी करवाकर व भीमराव अम्बेदकर के गीत गाकर (खारट परिवार महारों की उपजाति से संबंध रखता है) कमाने का प्रयास करते हैं लेकिन यह आय बहुत कम होती है जबकि महिलाएं तथा बच्चे काम करके जरूरतें पूरी करते हैं। खारट का कोई भी बच्चा अभी तक स्कूल नहीं गया है। लखन नामक उसका बेटा पहले ही 21 वर्ष की आयु में 3 बच्चों का पिता बन चुका है। खारट की स्थिति को दिमाग में रखते हुए माजलगांव के ब्लाक विकास अधिकारी बी.टी. चवन ने बुधवार को उसे एक राशन कार्ड जारी किया जिसके तहत उसे 5 किलो अनाज, तेल तथा नमक मिलेगा। 

चवन ने बताया कि वे गर्भावस्था के दौरान उसे बचाने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग उसकी चिकित्सा सुविधाओं की देखरेख कर रहा है जबकि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसे अगले भोजन की ङ्क्षचता न करनी पड़े, उसे राशन की आपूर्ति करेंगे। माजलगांव के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र की मैडीकल टीम में 5 पी.एच.सी. तथा 2 ग्रामीण अस्पताल हैं, जहां वे रोज जाते हैं। परदेसी विशेष तौर पर उसके लिए एक एम्बुलैंस तैयार रखेंगे क्योंकि उसकी डिलीवरी डेट नजद  ीक आ रही है। यदि खारट अस्पताल में दाखिल होने से इंकार करती तो ब्लाक स्वास्थ्य विभाग ने उसे समझाने के लिए जिला मैजिस्ट्रेट के दखल का विकल्प रखा था और यदि जरूरत पड़ेगी तो जबरन उसे डिलीवरी के लिए अस्पताल लाया जाएगा।-ए. गांगुली

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