मोदी सरकार के लिए तेल क्षेत्र एक ‘उपहार’ लाया

Edited By ,Updated: 08 Oct, 2020 02:46 AM

oil field brought a gift for modi government

भारत में कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में बहुत-सी चीजें गलत हो चुकी हैं मगर यहां पर ऐसी भी एक चीज है जो बिल्कुल सही दिशा में गई। हाल ही के महीनों में सरकारी प्राथमिकताओं में इस सैक्टर ने अच्छी कारगुजारी की और सरकार को फायदा

भारत में कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में बहुत-सी चीजें गलत हो चुकी हैं मगर यहां पर ऐसी भी एक चीज है जो बिल्कुल सही दिशा में गई। हाल ही के महीनों में सरकारी प्राथमिकताओं में इस सैक्टर ने अच्छी कारगुजारी की और सरकार को फायदा पहुंचाया। तेल क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाए। इसमें कोई शंका वाली बात नहीं कि नतीजे सामने आ रहे हैं। 

14 मार्च को केंद्र सरकार ने पैट्रोल तथा डीजल पर एक्साइज ड्यूटी, विशेष अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी तथा उप कर में बढ़ौतरी करने की घोषणा की जिसका मकसद 39 हजार करोड़ वार्षिक अतिरिक्त राजस्व बढ़ाया जा सके। 2020-21 के लिए तेल क्षेत्र से प्राप्तियों को करीब 15 प्रतिशत और ज्यादा करना था। ऐसा प्रावधान बजट में किया गया था। पैट्रोलियम उत्पादों की खुदरा बिक्री कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से अतिरिक्त उगाही बेअसर की गई। 

मार्च 2020 में पैट्रोलियम उगाही को बढ़ाने का निर्णय उस समय लिया गया जब देश में कोई लॉकडाऊन नहीं था और न ही कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव था। यह निर्णय राजस्व को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था और कुछ सुरक्षित उपाय उठाए गए थे क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में हो रही गिरावट से फायदा लेना था। मई 2020 तक कोविड-19 से हालात बिगड़ गए। मार्च से लेकर जून की समाप्ति तक पूरा देश लॉकडाऊन में था जिसके चलते अप्रैल-जून 2020 के आंकड़े जोकि सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के लिए हैं,  ने 24 प्रतिशत के करीब का संकुचन दिखाया। 

जुलाई से लॉकडाऊन में ढील दी जाने लगी मगर उससे पहले सरकार ने महसूस किया कि जहां तक आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं का सवाल है यह राजस्व के लिए अच्छा है। अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें फिर निरंतर गिरती गईं तथा सरकार ने 5 मई को पैट्रोल तथा डीजल में एक्साइज ड्यूटी, विशेष अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी तथा उपकर में तेजी वाली वृद्धि कर दी। इस समय भी यहां पर देश में खुदरा कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं था। इस कदम का उद्देश्य केंद्र सरकार के लिए  1.6 ट्रिलियन रुपए का अतिरिक्त वाॢषक राजस्व जुटाना था। मगर क्योंकि बढ़ौतरी ने मई से प्रभाव दिखाने शुरू कर दिए। 2020-21 के बाकी के महीनों के दौरान अतिरिक्त राजस्व 1.46 ट्रिलियन से कम अपेक्षित था। पूर्व के प्रभाव को जोड़ते हुए मार्च में पैट्रोलियम उत्पादों पर उगाही 1.85 ट्रिलियन रुपए  ज्यादा होना अपेक्षित थी। यह इस क्षेत्र से कुल अतिरिक्त वार्षिक राजस्व है। 

केंद्र का तेल राजस्व कुछ ही महीनों में किस तरह का प्रदर्शन कर पाया? अप्रैल से लेकर अगस्त 2020 तक पैट्रोलियम उत्पादों से उत्पाद प्राप्तियां उछल कर एक ट्रिलियन रुपए हो गईं जोकि 2019 की अवधि की तुलना में 32 प्रतिशत ज्यादा है। यह एक अच्छी वृद्धि है और इसके लिए पैट्रोल तथा डीजल में वृद्धि के लिए उत्पाद, विशेष अतिरिक्त उत्पाद तथा अधिशेष जिम्मेदार हैं। 

सितम्बर माह के लिए उपभोग के आंकड़े दर्शाते हैं कि पैट्रोल में 2 प्रतिशत का उछाल देखा गया है जोकि इस वर्तमान वित्तीय वर्ष में पहली बार देखा गया है। इसके विपरीत डीजल में 7 प्रतिशत के घाटे की रिपोर्ट है।  ऐसे वर्ष में जब केंद्र सरकार के कर राजस्व में बहुत बड़ी गिरावट आई है जोकि बजट अनुमान से अलग है, उत्पाद प्राप्तियों में उछाल एक राहत भरा संदेश है। सरकारी वित्तीय के लिए यह तेल उपहार है। 

केंद्र ही नहीं कई राज्य सरकारें भी तेल की गिरती कीमतों का फायदा उठाने के लिए ऐसे ही कदम उठा रही हैं। कई राज्य सरकारों ने पैट्रोल तथा डीजल पर वैट में बढ़ौतरी की है। मगर सभी राज्यों ने इसका फायदा नहीं उठाया है।  मोदी सरकार के लिए तेल क्षेत्र काफी लक्की साबित हुआ है। इसने सरकार को एक मौका प्रदान किया है कि वह अपने वित्तीय राजस्व को सुधारें।-(साभार ‘बी.एस.’)-ए.के. भट्टाचार्य

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