दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट में दिए पुराने कपड़े और किताबें, रिटर्न गिफ्ट में मिले पौधे

Edited By ,Updated: 09 Feb, 2019 05:32 AM

old clothes and books given to the bride and groom gifts found in return gifts

असम के बक्सा जिले में स्थित कटालीगांव में गत दिवस एक अनोखी शादी देखने को मिली, जहां लोग दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट करने के लिए पुरानी चीजें लेकर पहुंच गए, वहीं दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट में पौधे दिए। दरअसल भूपेन राभा और बबीता बोरो ने...

असम के बक्सा जिले में स्थित कटालीगांव में गत दिवस एक अनोखी शादी देखने को मिली, जहां लोग दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट करने के लिए पुरानी चीजें लेकर पहुंच गए, वहीं दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट में पौधे दिए। 

दरअसल भूपेन राभा और बबीता बोरो ने अपनी शादी के कार्ड पर ‘सर्विस टू मैनकाइंड’ का एक संदेश लिखा था। इसमें दूल्हे ने रिसैप्शन पर आने वाले मेहमानों से जरूरतमंदों के लिए पुराने कपड़े और किताबें लाने का अनुरोध किया था। दूल्हे की इस गुजारिश के बाद सभी लोग इस नेक काम में योगदान देना चाहते थे। मुशालपुर के एक सरकारी कालेज में अंग्रेजी विभाग में सहायक प्रोफैसर के रूप में कार्यरत राभा ने कहा, ‘‘जब हम शादी की बात करते हैं तो यह आमतौर पर लोगों, गिफ्ट और खाने के बारे में होता है। मैंने इसे एक अवसर का रूप देने के बारे में सोचा। मेरा मानना था कि इस शादी में करीब 3000 लोग शामिल होंगे, इसलिए मैंने निमंत्रण कार्ड में एक संदेश लिखा था। 

हमारे गांव के लोग इस काम को एक अच्छे उदाहरण के रूप में ले सकते हैं और फिर से इसे दोहरा सकते हैं। इस माध्यम से मैं जागरूकता संदेश का प्रसार करना चाहता था।’’ 1 फरवरी को राभा के घर पर रिसैप्शन में 6000 से अधिक मेहमान पहुंचे। उनमें से लगभग 350 को स्थानीय प्रजाति के पेड़ों की पनीरी दी गई, जो अपने साथ पुराने कपड़ों का बंडल लाए थे। मुशालपुर में नं. 2 कटालीगांव को बक्सा जिले के सबसे स्वच्छ गांव की मान्यता दी गई थी। गांव की हर सड़क पर दोनों तरफ बैनर लगे हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और समाज के नियमों का पालन करने के बारे में कहा गया है। 

राभा ने बताया, ‘‘हमारे पास तीन सोसाइटियां हैं और गांव को साफ रखने के लिए उनके बीच काम विभाजित किया गया है। सोसाइटी के लोग हर तरह के काम करते हैं। सड़कों पर गोबर साफ करने से लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले किसी भी व्यक्ति पर नजर रखने तक का। हम आदिवासी हैं, फिर भी हमने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। शराब का सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति को 10,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ता है।’’ 

उन्होंने इनमें से एक सोसायटी के साथ अपने विचार को सांझा किया, हालांकि ग्रामीणों को इस तरह की पहल पर संदेह था लेकिन वे मदद करने के लिए एकजुट हुए। तब राभा ने एक यूरोपीय दोस्त की मदद से अपने घर के बाहर बैनर लगाए। उनके दोस्त ने इसके पहले भी शादी के मेहमानों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां उन्होंने अपने गांव के गाड़ी खींचने वालों को कपड़े बांटे थे। शादी में एकत्र किए गए कपड़ों के बंडल अब इन सोसायटीज द्वारा उन लोगों को बांटे जाएंगे और शादी में मिली हुई सारी किताबें ग्रामीणों के लिए एक ओपन लाइब्रेरी में रखी जाएंगी। राभा का मानना है कि गांव के लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना एक बड़ा कदम है।-आर. करमाकर

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