हर 20 में से एक भारतीय ‘डिप्रैशन’ का शिकार

Edited By ,Updated: 04 Apr, 2017 11:31 PM

one in every 20 victim of indian depression

बेंगलूर स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ‘निमहांस’ द्वारा करवाए गए ....

बेंगलूर स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ‘निमहांस’ द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण से खुलासा हुआ है कि प्रत्येक 20 में से एक भारतीय विषाद (डिप्रैशन) का शिकार है। महानगरों में रहने वाली 40-49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में तो यह समस्या सबसे अधिक पाई गई। डिप्रैशन के मामले में बड़ी आयु के लोग विशेषतौर पर प्रभावित होते हैं। 

सर्वेक्षण में खुलासा किया गया है कि भारत में 15 करोड़ लोगों की भारी-भरकम संख्या को सक्रिय इलाज की जरूरत है। देश की एक प्रतिशत आबादी को तो आत्मघाती प्रवृत्तियों का बहुत अधिक खतरा है। महानगरीय शहरी क्षेत्रों में स्किजोफ्रेनिया और अन्य सभी प्रकार के मानसिक विकार अपेक्षाकृत दो-तीन गुना अधिक संख्या में पाए गए। 

शोधकत्र्ताओं ने लोगों को उनकी तम्बाकू, अल्कोहल एवं नशीली दवाइयों पर निर्भरता के संबंध में सवाल किए थे और जो आंकड़े उनके सामने आए वे बहुत भारी चिंता का विषय हैं। जिन 12 राज्यों में सर्वेक्षण किया गया वहां सभी जगह 18 वर्ष से ऊपर के लोगों की कम से कम 22.4 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में अल्कोहल, तम्बाकू, नशीली व अवैध दवाइयों पर निर्भर है। यह सर्वेक्षण केरल, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, मणिपुर. प. बंगाल और तमिलनाडु में लगभग 39532 परिवारों पर किया गया था।    

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