बहुत बिगड़ गए हैं हमारे नेताओं के बोल

Edited By ,Updated: 16 May, 2019 03:19 AM

our leaders speak very badly

मैंने इस तरह का क्रोध पहले कभी नहीं देखा। देशभर की सभी राजनीतिक पाॢटयों के लिए यह चुनाव बहुत अहम हैं। मेरे लिए यह निराशाजनक समय भी है क्योंकि नेताओं के बोल बहुत बिगड़़ गए हैं। जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है और जिस तरह का व्यवहार नेता कर...

मैंने इस तरह का क्रोध पहले कभी नहीं देखा। देशभर की सभी राजनीतिक पाॢटयों के लिए यह चुनाव बहुत अहम हैं। मेरे लिए यह निराशाजनक समय भी है क्योंकि नेताओं के बोल बहुत बिगड़़ गए हैं। जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है और जिस तरह का व्यवहार नेता कर रहे हैं,वह जनता को हजम नहीं हो रहा। वरिष्ठ नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर अभद्र भाषा का प्रयोग और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। यह बहुत शर्मनाक स्थिति है। चाहे केजरीवाल को थप्पड़ मारने का मामला हो अथवा किसी दिवंगत राजनेता के बारे में बयानबाजी, ये दोनों शिष्ट व्यवहार की परिचायक बातें नहीं हैं।

हिन्दू धर्म में विश्वास करने वाले तथा अच्छी परवरिश में पले-बढ़े लोगों ने हमेशा कहा है कि जो व्यक्ति इस दुनिया में नहीं है उसके बारे में घटिया टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है। लेकिन इन चुनावों में इतना कुछ हो चुका है कि वह प्रत्येक भारतीय के लिए शर्म की बात है। सौभाग्य से, अभी भी ऐसे बहुत से नेता हैं जो नकारात्मक राजनीति में विश्वास नहीं रखते। ऐसे नेताओं में चंद्रबाबू नायडू, अमरेन्द्र सिंह, शीला दीक्षित और राजनाथ सिंह आदि शामिल हैं। ये सभी सामान्य लोग हैं जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में काफी काम किया है। इन लोगों में सत्ता की भूख नहीं है। ये लोग एक ऐसी विरासत छोड़ जाएंगे जिस पर आने वाली पीढिय़ों को गर्व होगा। 

शीला दीक्षित ने 15 साल में दिल्ली में जो काम किए हैं उससे वहां काफी बदलाव आया है। केजरीवाल ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश में आई.टी. के क्षेत्र में जो काम किया है उसे दुनिया जानती है। हम इस तरह के मुद्दों, नीतियों के बारे में बात क्यों नहीं कर सकते? हम व्यक्तिगत हमले क्यों करते हैं? ये नेता अब भी घटिया राजनीति नहीं करते और एक-दूसरे पर तथा उनके पारिवारिक सदस्यों पर हमले नहीं करते। 

व्यक्तिगत जीवन में किसको रुचि है? हमें तो नहीं है। हमारी रुचि इस बात में है कि कोई नेता हमारे लिए और हमारे बच्चों के लिए क्या करता है? वे लोग क्या विरासत पीछे छोड़ कर जाते हैं, जनता के लिए वे क्या तरक्की करते हैं। हमारा काम किसी व्यक्ति के चरित्र को आंकना अथवा  वह किसी दूसरे  व्यक्ति के बारे में क्या सोचता है, यह देखना नहीं है। हमारा काम किसी राजनेता को इस बात से आंकना है कि वह नीति निर्माण, शिक्षा और गरीबों के उत्थान तथा सार्वजनिक सुरक्षा और रोटी, कपड़ा तथा मकान के मामले में क्या काम करता है। सेना को राजनीति से दूर रखना चाहिए। वर्दी राजनीति और राजनीतिक दलों से ऊपर है।

भ्रष्टाचार के आरोप देश के लिए खतरा
भ्रष्टाचार के आरोप आज भी हमारे देश के लिए खतरा हैं। जब भी कोई संदेह हो तो उस व्यक्ति को न्यायालय के पास जाना चाहिए, चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए और उन्हें कार्रवाई करने के लिए कहना चाहिए। बदले की राजनीति, फूहड़ राजनीति एक नया चलन है। जब मेरे पिता और भाई चुनाव लड़ते थे, मैंने कभी भी उनके मुंह से कोई गलत शब्द नहीं सुने। यहां तक कि कई भाषणों में वे अपने विरोधियों की प्रशंसा भी करते थे। वे अपने चुनाव क्षेत्र में जनता से यही कहते थे कि उम्मीदवार के काम और उसके समर्पण को देख कर मतदान करो। 

उन दिनों में ईमानदारी का संकट नहीं था क्योंकि लगभग हर व्यक्ति ईमानदार था। लोगों में पैसे की भूख नहीं थी, हर कोई संतुष्ट था। यह सत्ता  की भूख, नम्बर वन बनने की भूख तथा सत्ता के लिए नीचे गिरने की भूख न केवल देश के नौजवानों के लिए एक गलत उदाहरण है बल्कि इससे दुनिया में भी देश की छवि खराब होती है। मैं जानती हूं कि आज का युवा इस तरह की बातें पसंद नहीं करता और मुझे उम्मीद है कि जब नौजवान वोट देंगे तो इस तरह की चीजों को नकार देंगे।

राजनीतिक परिवारों से आए मेरे जैसे लोगों के लिए यह बहुत डरावना है जिन्होंने पहले कभी भी इस तरह की राजनीति नहीं देखी है। जब बड़े नेता चुनाव लडऩे के दौरान अभद्र भाषा पर उतर आते हैं तो इससे काफी निराशा होती है। हिन्दू धर्म में हमें संस्कार और संस्कृति सिखाई जाती है। हमें बताया जाता है कि हमें अपने कर्मों का फल मिलता है। हमें यह भी सिखाया जाता है कि जो लोग मर चुके हैं उनके बारे में नकारात्मक बात नहीं करनी चाहिए। हमें यही पढ़ाया गया है कि आज हम जो बीज बो रहे हैं कल हमें वही काटना पड़ेगा।-देवी चेरियन

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