‘वैक्सीन पर राजनीति करने लगे हमारे नेता’

Edited By ,Updated: 06 Jan, 2021 04:24 AM

our leaders started doing politics on vaccine

कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 संपूर्ण विश्व के लिए खराब रहा है। इसने विश्व भर में स्वास्थ्य प्रणाली को झकझोर कर रख दिया, अर्थव्यवस्थाआें में भारी गिरावट देखने को मिली और अनेक नई चीजें सामने आईं। तथापि नव वर्ष में वैज्ञानिक

कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 संपूर्ण विश्व के लिए खराब रहा है। इसने विश्व भर में स्वास्थ्य प्रणाली को झकझोर कर रख दिया, अर्थव्यवस्थाआें में भारी गिरावट देखने को मिली और अनेक नई चीजें सामने आईं। तथापि नव वर्ष में वैज्ञानिक और डाक्टर इस महामारी के विरुद्ध मानव जीवन को बचाने के लिए सामने आए। उन्होंनेे दिन-रात परिश्रम कर चार वैक्सीन बनाईं। अमरीका में फाइजर और मॉडर्ना, ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रॉजनिका कोविशील्ड और अपनी देशी कोविशील्ड और कोवैक्सीन। इसके लिए पूरा देश और पूरा विश्व प्रतीक्षा कर रहा था। 

आप हमारे प्रधानमंत्री मोदी से प्रेम करें या घृणा करें, उनसे सहमत हों या असहमत हों किंतु वे साधुवाद के पात्र हैं। जिन्होंने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को इन सुखद परिणामों को देने के लिए धन्यवाद देने में संपूर्ण देश का नेतृत्व किया और उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा ‘‘भारत को बधाई हो। कोवैक्सीन और कोविशील्ड एक आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करती हैं’’। 

यह निर्णय एेसे समय पर आया जब कोरोना महामारी का एक नया स्वरूप एक नए खतरे के रूप में सामने आने लगा और इस महामारी पर नियंत्रण पाना और भी कठिन होने लगा। कोविशील्ड का विकास ऑक्सफोर्ड द्वारा किया गया और इसका विनिर्माण और वितरण सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया करेगा। कोवैक्सीन का विकास भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारत बायोटैक ने संयुक्त रूप से किया। इसके दूसरे चरण के परीक्षण जारी हैं और इसकी अनुमति केवल क्लिनिकल परीक्षण तथा आपात उपयोग के लिए दी गई है? 

हमारे नेतागण वैक्सीन पर भी राजनीति करने लगे हैं। कांग्रेस की प्रतिक्रिया कुछ अजीब-सी रही। कांग्रेसी नेताआें ने कहा, ‘‘सरकार को कोवैक्सीन को अनुमति देने के लिए अनिवार्य प्रोटोकॉल पूरा न करने के कारण देने चाहिएं क्योंकि यह हमारे फ्रंटलाइन वर्करों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा है जिन्हें सबसे पहले ये टीका दिया जाएगा। सरकार को परीक्षण के दौरान सुरक्षा और इसके प्रभावीपन के आंकड़ों को सार्वजनिक करना चाहिए’’।

तो समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘वे भाजपा की वैक्सीन को नहीं लगाएंगे। उनका भरोसा करूंगा मैं’’? जबकि कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि सरकार को प्रत्येक भारतीय को नि:शुल्क टीका लगाना चाहिए और कुछ लोगों का मत है कि कोवैक्सीन को जल्दबाजी में स्वीकृति देना खतरनाक है। सरकार ने इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकृत प्रोटोकोल को नजरंदाज क्यों किया? 

किंतु इस सबके बीच में एक सबसे महत्वपूर्ण बात अनकही रह गई। हमारे नेता लाइन तोड़ कर आगे बढऩा चाहते हैं और वे चाहते हैं कि उन्हें सबसे पहले टीका लगे। किंतु हमारे देशवासियों ने इन नेताआें को नजरंदाज किया और एकजुट होकर खड़े हुए क्योंकि सरकार ने इस महामारी का मुकाबला करने में मानव को प्राथमिकता दी। पहले चरण में तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्करों को यह टीका दिया जाएगा। इसके बाद उन लोगों का नंबर आएगा जो कोमोॢबटीज से ग्रस्त हैं और जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है। 

हमारे नेता जहां एक आेर मोदी को बदनाम करना चाहते हैं वहीं दूसरी आेर नेता और उनकी पाॢटयां इस वैक्सीन का उपयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए करेंगी। लोक स्वास्थ्य एक राजनीतिक मुद्दा है जो चुनावों के दौरान सामने आता है क्योंकि चुनावों के दौरान अनेक चिकित्सा सुविधाआें को नि:शुल्क उपलब्ध कराने का वायदा किया जाता है और चुनाव प्रचार की गहमागहमी में इनकी आर्थिक लागत को भुला दिया जाता है। 

किंतु मैं इस तू-तू, मैं-मैं से चिंतित नहीं हूं क्योंकि यह मुद्दा कुछ दिनों में शांत हो जाएगा किंतु इस बार जो बात मुझे सबसे अधिक परेशान कर रही है वह यह है कि ये संकीर्ण मानसिकता वाले नेता जाने-अनजाने स्वास्थ्य को गुल्ली-डंडा का खेल बना रहे हैं। चिंता की बात यह है कि हमारे नेता केवल राजनीतिक बढ़त प्राप्त करना चाहते हैं। कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि वैक्सीन के बारे में अप्रिय प्रश्न नहीं उठाए जाने चाहिएं किंतु यह बातें तब भी की जा सकती हैं जब यह तात्कालिक खतरा समाप्त हो जाए। 

वास्तव में विपक्ष को सरकार से यह पूछना चाहिए कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम कब लागू किया जाएगा? क्या इसकी पूरी लागत पीएम केयर फंड द्वारा वहन की जाएगी? हमारे संघीय ढांचे में इसका कार्यान्वयन कैसे किया जाएगा क्योंकि प्रत्येक राज्य में स्वास्थ्य क्षमता में अंतर है और इसका एक कारण यह भी है कि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है। 

कोवैक्सीन को स्वीकृति क्यों दी गई जबकि इसके परिणामों के बारे में यह स्पष्ट नहीं है कि यह इस रोग को रोकने में कितना प्रभावी है। इसका सुरक्षा परीक्षण भी सीमित संख्या में किया गया है। यह भी वाद-विवाद का मुद्दा होना चाहिए कि क्या देश की सारी जनता को नि:शुल्क टीका लगाया जाएगा? केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संकेत दिया है कि यह सभी लोगों के लिए नि:शुल्क नहीं होगा। यह उन लोगों के लिए होगा जो सरकारी अस्पताल में इसे लगवाना चाहेंगे और इसकी लागत केन्द्र और राज्यों द्वारा वहन की जाएगी।-पूनम आई. कौशिश 
 

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