पाक-चीन की कोशिशें नाकाम मालदीव में लोकतंत्र की बहाली

Edited By Pardeep,Updated: 27 Sep, 2018 04:05 AM

pak china attempts failed restoration of democracy in maldives

मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के  नतीजे घोषित हो गए हैं। नतीजों के मुताबिक भारत के समर्थक उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने जीत दर्ज कर मुल्क में नई सुबह की रोशनी फैला दी है। चुनाव में पाकिस्तान-चीन समर्थक अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम को मालदीव की...

मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के  नतीजे घोषित हो गए हैं। नतीजों के मुताबिक भारत के समर्थक उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने जीत दर्ज कर मुल्क में नई सुबह की रोशनी फैला दी है। चुनाव में पाकिस्तान-चीन समर्थक अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम को मालदीव की आवाम ने बेदखल कर उनके हिस्से में हार दे दी है। 

हालांकि चीन ने यामीन को जिताने के लिए हर तिकड़म अपनाई थी लेकिन काम न आ सकी। पाकिस्तान के कुछ नेताओं ने यामीन के समर्थन में रैलियां भी की थीं, वे भी काम नहीं आईं। चुनाव में धांधली की भी कोशिशें हुईं लेकिन फिर भी देश की जनता ने यामीन को हराकर अपने प्रिय और हिंदुस्तानी समर्थक इब्राहिम सोलिह को ही जिताया। चुनाव के रिजल्ट 23 सितम्बर यानी रविवार की सुबह जारी किए गए।

मालदीव छोटा-सा देश है लेकिन चुनाव रिजल्ट पर पूरे संसार की निगाहें थीं।दरअसल कुछ इस्लामिक मुल्क नहीं चाहते थे कि भारत के सहयोगी उम्मीदवार की जीत हो। ज्यादातर लोगों को उम्मीद थी कि यामीन दोबारा चुनाव जीतेंगे लेकिन जब परिणाम आया तो सोलिह की जीत से राजनीतिक पंडित भी आश्चर्यचकित रह गए। दरअसल पाकिस्तान और चीन ने माहौल ही इस तरह का बनाया हुआ था कि यामीन की ही जीत होगी लेकिन ऐसा लग रहा था कि मुल्क की आवाम अपने मन में कुछ और ही ठाने बैठी थी। 

मालदीव में करीब तीन दशक से भी ज्यादा तानाशाही का युग रहा है। वहां की जनता ने कई तरह के जुल्म सहे। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई थी लेकिन 2008 में वहां लोकतंत्र की बहाली हुई। बहाली के बाद मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद निर्वाचित हुए। वह मुल्क के चौथे राष्ट्रपति बने लेकिन उनके राष्ट्रपति बनने के दूसरे दिन से ही चुनौती शुरू हो गई। उन्होंने सबसे पहले भ्रष्टाचारियों पर वार करना चाहा लेकिन उनके उस कदम से सभी विपक्षी नेता उनके खिलाफ हो गए। उन्होंने मालदीव की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो सके। देश की जनता को अब वैसी ही उम्मीदें नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से हैं। 

सोलिह का झुकाव भारत की तरफ रहता है, इसलिए पूरा विपक्ष उनके लिए लामबंद हो सकता है। इसके अलावा चीनियों और पाकिस्तानियों की नापाक हरकतें भी उन्हें परेशान करती रहेंगी। इन सभी से उनको पार पाना होगा। इब्राहिम सोलिह को बड़े दिल वाला नेता माना जाता है। मुल्क हित में उनको कड़े फैसले लेने के लिए भी जाना जाता है। मालदीव काफी समय से कुंद राजनीति का शिकार रहा है। मुल्क दशकों तक तानाशाही के दौर से गुजरता रहा, उसके बाद उसने आपातकाल का दंश झेला। इसके अलावा भी वहां कई तरह के उतार-चढ़ाव आते रहे। अब मुल्क में नई सुबह हुई है, इस लिहाज से राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि इब्राहिम सोलिह की जीत के बाद मालदीव और भारत के रिश्ते अब पहले से प्रगाढ़ होंगे। 

एक समय ऐसा भी आया था जब दोनों देशों के रिश्ते काफी खराब हो गए थे। हालांकि उसके पीछे भी कई वजहें थीं लेकिन समय की मांग यही है कि अतीत में जो हुआ उसे याद करने का अब कोई फायदा नहीं। अब दोनों देशों को दोस्ती की नई इबारत लिखनी चाहिए, जिससे पाकिस्तान और चीन को यह संदेश मिले कि आतंकवाद फैलाने से कहीं बेहतर है कि दोस्ती की जाए। हालांकि राष्ट्रपति बनने जा रहे इब्राहिम सोलिह को हमेशा से ही दोस्ती का पक्षधर माना जाता रहा है। यही वजह है कि मुल्क की जनता ने उन्हें कुल वोट प्रतिशत के 58.3 वोट देकर विजयी बनाया है। देखिए, जनता ने अपना काम कर दिया है, अब बारी है सोलिह साहब की। उनको जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा। इब्राहिम सोलिह की जीत की घोषणा होने के साथ ही सड़कें उनके समर्थकों से पट गई थीं। सभी सोलिह की मालदीवियन डैमोक्रेटिक पार्टी (एम.डी.पी.) के पीले झंडे लेकर झूम रहे थे। इतने बड़े जनसमूह की एकजुटता बताती है कि लोग उनको कितना पसंद करते हैं। 

मालदीव के नए मुखिया सोलिह जीत के बाद भारत के साथ भविष्य में कैसे रिश्ते कायम रखेंगे, यह देखने वाली बात होगी क्योंकि पिछले कुछ सालों से दोनों देशों में काफी तल्खियां रहीं। दो मौकों पर भारत-मालदीव के रिश्तों में काफी तल्खी हुई। भारत और मालदीव के रिश्तों में इस साल सबसे ज्यादा कड़वाहट आई, जिसकी शुरूआत मालदीव की सर्वोच्च अदालत के फरवरी के एक फैसले से हो गई थी, जिसमें उसने निर्णय दिया था कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने विपक्ष के नेताओं को कैद करवाकर संविधान और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद समेत सभी विपक्षी नेताओं को रिहा करे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जो 45 दिनों तक चला। यामीन के इस फैसले का भारत ने पुरजोर विरोध किया था। देश में आपातकाल लगाने के यामीन के फैसले को जनविरोधी बताया था। भारत के इस विरोध को यामीन ने पूरी तरह से दरकिनार कर अपनी मनमानी दिखाई थी। तब भारत ने कहा था कि मालदीव में सभी संवैधानिक संस्थाओं को बहाल करना चाहिए और आपातकाल को तत्काल ख़त्म करना चाहिए। 

दोनों देशों के बीच तल्खी की दूसरी घटना को भी जन्म मालदीव ने दिया। गौरतलब है कि भारत ने कुछ साल पहले मालदीव को उपहार स्वरूप दो नेवी हैलीकॉप्टर दिए थे। मकसद यह था कि अगर देश में कोई आपदा आए तो ये हैलीकॉप्टर राहत बचाव का कार्य कर सकेंगे लेकिन यामीन ने खुन्नस में आकर भारत को संदेश भेज दिया कि आपने उपहार में हमें जो हैलीकॉप्टर दिए हैं उन्हें तुरंत ले जाएं, हमें भीख की जरूरत नहीं।

यामीन ने वापस ले जाने की तारीख भी मुकर्रर कर दी। हालांकि भारत ने उन हैलीकॉप्टरों को वापस नहीं लिया। इस समय दोनों हैलीकॉप्टर बंदरगाह के किनारे खड़े हैं। उम्मीद है कि अब इब्राहिम सोलिह इन हैलीकॉप्टरों का नवीनीकरण कराकर इस्तेमाल करेंगे। इन घटनाक्रमों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देशों के रिश्तों में किस कदर कड़वाहट आ गई थी। मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण रिश्तों में आगे भी दरार आ सकती है, इसके लिए इब्राहिम सोलिह को  सतर्क रहकर चलना होगा क्योंकि चीन-पाकिस्तान कतई नहीं चाहेंगे कि मालदीव और भारत लम्बे समय तक दोस्त बनें।-रमेश ठाकुर

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