पाकिस्तान के लिए ‘आगे कुआं पीछे खाई’

Edited By ,Updated: 24 Apr, 2019 03:51 AM

pakistan  dug wells behind

कुछ दिन पहले जब पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम. एफ.) और वल्र्ड बैंक  की बैठक से लौटे तो उनका सबसे पहला काम उन अफवाहों को विराम देना था जिनमें कहा जा रहा था कि उन्हें पैट्रोलियम मंत्री के तौर पर डिमोट...

कुछ दिन पहले जब पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम. एफ.) और वल्र्ड बैंक  की बैठक से लौटे तो उनका सबसे पहला काम उन अफवाहों को विराम देना था जिनमें कहा जा रहा था कि उन्हें पैट्रोलियम मंत्री के तौर पर डिमोट किया जा रहा है। उस समय ये अफवाहें रुक गईं लेकिन वीरवार को उन्हें पद से हटा दिया गया। 

असद को पैट्रोलियम मंत्रालय की पेशकश की गई थी जिससे उन्होंने इंकार कर दिया। (जनरल मुशर्रफ के कार्यकाल में सलाहकार रहे डा. अब्दुल हफीज को वित्तीय सलाहकार बनाया गया है जिससे वर्तमान सरकार में मुशर्रफ कैबिनेट का एक और अधिकारी इस सरकार का हिस्सा बन गया है।) ऐसे समय में जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है, उसके पास कोई वित्त मंत्री भी नहीं है। अब जो भी वित्त मंत्री बनेगा उसे कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना करना होगा जिनके लिए न तो वह तैयार होगा और न ही उसके पास ऐसा अनुभव होगा। 

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले 8 महीनों में तबाह हो गई है, जब से इमरान खान प्रधानमंत्री बने हैं और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार बनी है। अर्थव्यवस्था का प्रत्येक सूचक नीचे आ गया है। उदाहरण के लिए मुद्रास्फीति दर 9.4 प्रतिशत हो गई है जोकि पिछले साढ़े 5 वर्षों में सबसे अधिक है और अगले कुछ महीनों में इसके डबल डिजीट में पहुंचने की संभावना है। रुपए की कीमत लगातार गिर रही है जिससे महंगाई और बढ़ रही है। आने वाले समय में जब सरकार आई.एम.एफ. के कार्यक्रम को स्वीकार करेगी तो रुपए की कीमत में और कमी आने की संभावना है। 

वित्तीय घाटे के कारण जी.डी.पी. को  नुक्सान हो सकता है और विकास कार्यों पर होने वाले खर्च में कटौती करने के बावजूद स्थिति में सुधार होने की संभावना नजर नहीं आती क्योंकि रक्षा खर्च और ब्याज अदायगियां बढ़ती जा रही हैं। सरकार की बिजली उत्पादक कम्पनियों के प्रति काफी देनदारी है जिसका ब्याज भी बढ़ रहा है। पाकिस्तान स्टेट बैंक ने हाल ही में जी.डी.पी. वृद्धि दर की संभावनाओं  को कम करके 3.5 प्रतिशत आंका है जिसे आई.एम.एफ. ने इस वित्त वर्ष के लिए और घटा कर 2.9 प्रतिशत कर दिया है। पिछले वर्ष जी.डी.पी.  5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछले 13 वर्षों में सबसे अधिक थी। 

संकट के मुख्य कारण
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जिससे देश की जी.डी.पी. एक वर्ष के भीतर ही आधे पर आ गई है। इसके लिए मुख्य तौर पर पाकिस्तान सरकार और उसकी आर्थिक टीम का कुप्रबंधन जिम्मेदार है। इस स्थिति के लिए इमरान खान की हेकड़ी भी जिम्मेदार है। इमरान खान कहा करते थे कि वह आई.एम.एफ. की शरण में जाने की बजाय आत्महत्या करना पसंद करेंगे। अब पाकिस्तान को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान की आर्थिक समस्या के दो पहलू हैं। देश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए मुख्य तौर पर खान का घमंड जिम्मेदार है जिसका अनुपालन उनकी वित्तीय टीम ने भी किया। 8 महीने तक अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन किया गया और नई सरकार ने अगस्त में वह कार्य नहीं किया जो उसे करना चाहिए था। यह पहले से ही निश्चित था कि जो भी सरकार सत्ता में आएगी वह आई.एम.एफ. को लोन एडजस्टमैंट के लिए आग्रह करेगी लेकिन इमरान खान सरकार ने ऐसा नहीं किया। तब सरकार की रणनीति अपने मित्र देशों से आर्थिक सहायता लेकर देश को चलाने की थी। वह आई.एम.एफ. के सामने सिर नहीं झुकाना चाहते थे। अर्थव्यवस्था में जरूरी सुधार भी नहीं किए गए जिस कारण स्थितियां और खराब हो गईं। 

बार-बार आई.एम.एफ. के पास नहीं जाने की बात दोहराने के बावजूद एक साल बाद आखिरकार इमरान सरकार को वापस आई.एम.एफ. की शरण में जाना पड़ा। सभी विकल्पों में असफल रहने के बाद वित्त मंत्री को आई.एम.एफ. को यह विश्वास दिलाना पड़ा कि पाकिस्तान को उसकी जरूरत है। वित्त मंत्री को पद से हटाए जाने के लिए अर्थव्यवस्था को चलाने में उनके खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार माना जा रहा था लेकिन बाद में इसका तात्कालिक कारण यह भी बना कि कुछ दिन पहले जब वह वाशिंगटन में थे तो आई.एम.एफ. से डील फाइनल नहीं कर सके। इसके अलावा अमरीका के वित्त सचिव तथा आई.एम.एफ. के मुखिया से नहीं मिल पाने को भी उनकी नाकामी समझा गया। 

भविष्य की कठिन डगर
आई.एम.एफ. के नए प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को 6 से 10 बिलियन डालर मिलने की संभावना है लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानियों के लिए स्थितियां बदतर होने वाली हैं जहां लोग पहले ही आर्थिक मंदी और महंगाई की मार झेल रहे हैं। आई.एम.एफ. पाकिस्तान सरकार पर खर्चों में कमी के लिए भी दबाव डालेगा। पिछले 4 दशकों में पाकिस्तान के लिए आई.एम.एफ. का यह 13वां राहत पैकेज होगा। जब कभी भी पाकिस्तान आर्थिक संकट में घिरा है तब आई.एम.एफ. और वल्र्ड बैंक ने उसका बचाव किया है।

अमरीका से नजदीकी का भी पाकिस्तान को हमेशा फायदा मिलता रहा है लेकिन अब परिस्थितियां बदलने से उसके लिए मुश्किल हो सकती है। इस डील में एक अड़चन आई.एम.एफ. की  इस बात को लेकर भी आ रही है कि वह चाहता है कि पाकिस्तान चीन से लिए गए कर्जों तथा चीन-पाकिस्तान आॢथक गलियारे के बारे में स्थिति को स्पष्ट करे। यदि पाकिस्तान आई.एम.एफ. से लोन नहीं लेता है तो संकट में घिरता है और यदि लेता है तो और ज्यादा संकट में घिरता है। ऐसे में उसके लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति बन गई है।-एस.ए. जैदी

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!