पाकिस्तान सरकार का पसंदीदा रिमोट बटन ‘म्यूट’

Edited By ,Updated: 12 Jul, 2019 03:36 AM

pakistan government s favorite remote button mute

एक रूढि़वादी इस्लामिक देश में एक ताकतवर महिला एंकर होने के नाते मुनीजा जहांगीर रात को प्रसारित होने वाले अपने ‘स्पॉटलाइट’ कार्यक्रम में साक्षात्कारों के लिए संघर्ष करने तथा मीठी बातें करके अपने मेहमानों से खुलासे करवाने की आदी हो चुकी हैं। मगर हाल...

एक रूढि़वादी इस्लामिक देश में एक ताकतवर महिला एंकर होने के नाते मुनीजा जहांगीर रात को प्रसारित होने वाले अपने ‘स्पॉटलाइट’ कार्यक्रम में साक्षात्कारों के लिए संघर्ष करने तथा मीठी बातें करके अपने मेहमानों से खुलासे करवाने की आदी हो चुकी हैं। मगर हाल ही में उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा-अपने साक्षात्कारों के दौरान आवाज बंद (म्यूट) करने का। उन्हें मछली की तरह होंठ हिलाने, जबकि दर्शकों को उनके हिलते होंठों को पढऩे के लिए छोड़ दिया जाता है। 

सभी पाकिस्तानी चैनलों की तरह आज टी.वी. के पास भी म्यूट बटन के साथ एक व्यक्ति है जो किसी भी चीज को प्रसारित करने से 90 सैकेंड पूर्व देखता है और किसी भी ऐसी चीज को चुप कराने को तैयार रहता है, जो पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए संवेदनशील समझी जाती हो। जहांगीर ने बताया कि ‘लोगों का लापता होना-म्यूट, पश्तून युवा आंदोलन-म्यूट, बलूचिस्तान में गड़बड़-म्यूट, सेना की आलोचना-म्यूट’। जहांगीर ने बताया कि म्यूटिंग कितनी आम हो गई है कि ‘म्यूट करने वाला व्यक्ति मेरे पास आया और कहा कि आप इन विषयों को परे रखें क्योंकि मैं इतने लम्बे समय तक अपनी उंगली को नीचे नहीं रख सकता।’ 

मीडिया द्वारा सैल्फ सैंसरशिप 
सैल्फ सैंसरशिप मीडिया पर बढ़ते जा रहे हमलों का एक हिस्सा है जिसके बारे में पत्रकारों का कहना है कि 1980 के दशक की सैन्य तानाशाही के बाद यह सर्वाधिक खराब स्थिति है। यहां (पाकिस्तान में) सख्ती गत वर्ष चुनावों के बाद शुरू हुई जब पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाया गया। ऐसा माना जाता था कि परिणामों को उनके हक में करने में सेना की बड़ी भूमिका थी। जब से इमरान खान ने पदभार सम्भाला है मीडिया संगठनों को वित्तीय प्रतिबंधों का निशाना बनाया गया तथा वितरण नैटवक्र्स के कार्य में व्यवधान डाला और पत्रकारों को धमकाया जा रहा है। देश के सबसे बड़े अंग्रेजी समाचार पत्र ‘डॉन’, जिसे सेना के प्रभाव बारे साहसपूर्ण लेखन के लिए जाना जाता है, की कॉलमनवीस सिरिल अलमेडा सरकारी जांच के दायरे में हैं और उनकी विदेश यात्राओं पर रोक है। उनके कॉलम जनवरी में छपने बंद हो गए थे। उन्होंने कहा कि दबाव दशकों के दौरान सर्वाधिक है और असैन्य सरकारों के काल में अप्रत्याशित है।

लोकतंत्र या मार्शल-लॉ
हालांकि सेना दखलअंदाजी से इंकार करती है मगर जहांगीर का कहना है कि आपके सामने एक लोकतंत्र के लिए जरूरी सभी चीजें हैं लेकिन यह है नहीं। वे मार्शल-लॉ के अन्तर्गत रह रहे हैं और इन लोगों ने इमरान खान को एक आड़ की तरह इस्तेमाल किया है। उनके तरीके अधिक परिष्कृत बन गए हैं। वे बहुत चतुर हैं। मीडिया खुद को सैंसर कर रहा है। यदि आप ‘ऑन एयर’ रहना चाहते हैं तो आपको उनकी बात माननी होगी। हमारे पास 3 विकल्प हैं-छोड़ दो, उनके साथ चलो तथा संवेदनशील मुद्दों को न छेड़ो अथवा अपना काम सही तरीके से करो और उन्हें इसे म्यूट करने दो। गत सप्ताह इमरान खान अथवा सेना की आलोचना करने वाले प्रमुख पत्रकारों तथा टी.वी. एंकर्स के अंतर्गत पाकिस्तान में ट्विटर पर एक हैशटैग ‘रैस्ट एंटी पाक जर्नलिस्ट्स’ ट्रैंड करना शुरू हुआ। एक ट्वीट में कहा गया कि ‘ये वे लोग हैं जो गड़बड़ी, अराजकता, जोड़-तोड़ के लिए जिम्मेदार हैं। वे देश के वास्तविक दुश्मन हैं।’ एक अन्य ट्वीट में आह्वान किया गया कि ‘उन सभी को फांसी पर लटका दो।’ 

पत्रकारों के लिए खतरा
खतरा निरर्थक नहीं है। जनवरी में अवार्ड विजेता रिपोर्टर ताहा सिद्दीकी लंदन जाने के लिए इस्लामाबाद हवाई अड्डे जा रहे थे कि एक कार ने जबरदस्ती उनकी टैक्सी को रोक लिया। सशस्त्र लोगों ने उनकी पिटाई की और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। जून में 23 वर्षीय ब्लॉगर मोहम्मद बिलाल खान की शक्तिशाली सैन्य खुफिया सेवा आई.एस.आई. की आलोचना के लिए इस्लामाबाद से अपहृत कर हत्या कर दी गई। गत सोमवार प्रसारकों पर दबाव और बढ़ा दिया गया जब पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ एक इंटरव्यू बीच में ही रोक दी गई। हत्या कर दी गई पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति जरदारी धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिनसे वह इंकार करते हैं। 

पाकिस्तान के सर्वाधिक जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने बताया कि उन्होंने जिओ न्यूज के रात्रिकालीन कार्यक्रम में जरदारी की पहले से ही रिकार्ड इंटरव्यू को प्रसारित करना शुरू ही किया था जब स्टेशन के प्रबंधन को बुला लिया गया। उन्होंने उनसे कहा कि उन पर इसे रोकने का दबाव है। मीर ने कहा कि प्रसारण शुरू हो चुका है, वह कैसे इसे रोक सकते हैं? इंटरव्यू शुरू होने के 5 मिनट बाद ही स्क्रीन ब्लैंक हो गई और बिस्कुटों तथा मोबाइल फोन्स के विज्ञापन दिखाए जाने लगे। स्क्रीन के नीचे पट्टी पर लिखा आ रहा था कि ‘यह इंटरव्यू आज प्रसारित नहीं होगी।’ मीर ने जोर से हंसते हुए कहा कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन की इंटरव्यू की है लेकिन वह अपने पूर्व राष्ट्रपति का इंटरव्यू नहीं कर सकते। मीर ने कहा कि वे दिन-ब-दिन अपनी स्वतंत्रता खो रहे हैं। यदि ऐसा उनके तथा पाकिस्तान के सबसे बड़े निजी चैनल के साथ हो रहा है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सामान्य पत्रकारों के साथ क्या हो रहा होगा? 

ईशनिंदा के आरोप में 9 वर्षों तक मौत की सजा के खौफ में रहने वाली ईसाई महिला आसिया बीबी का मामला उठाने वाले लार्ड एल्टन ने बताया कि पाकिस्तान ब्रिटेन की सबसे अधिक विदेशी सहायता पाने वाला देश है। उन्होंने कहा कि किसी देश की सम्पन्नता, इसकी अर्थव्यवस्था की मजबूती, इसके लोगों के स्वास्थ्य तथा बोलने व धर्म की स्वतंत्रता जैसी मूलभूत स्वतंत्रताओं के बीच सीधा संबंध होता है। पाकिस्तान में इन अधिकारों को रोज रौंदा जाता है और वे अपनी ङ्क्षचताओं को उठा रहे हैं। इसकी बजाय ब्रिटेन ने गत एक दशक के दौरान पाकिस्तान को 2.6 अरब पौंड दिए हैं। एक संसदीय समिति पाकिस्तान को ब्रिटिश सहायता की जांच करेगी, जिसे एल्टन ने ‘स्वागतयोग्य तथा लम्बे समय से विलंबित’ बताया है।-क्रिस्टीना लैम्ब

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