पाकिस्तान के ‘मिसाइल’ परीक्षण को गम्भीरता से लेने की जरूरत

Edited By ,Updated: 31 Aug, 2019 03:32 AM

pakistan s  missile  test needs to be taken seriously

भारत जब घोषित तारीख के हिसाब से करतारपुर साहिब कारिडोर और ननकाना साहिब के लिए सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तानी वीजा मिलने पर बातचीत की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा था, तभी पाकिस्तानी मेजर जनरल आसिफ गफूर ने बलोचिस्तान की सोनमियाई फ्लाइट टैस्ट रेंज से...

भारत जब घोषित तारीख के हिसाब से करतारपुर साहिब कारिडोर और ननकाना साहिब के लिए सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तानी वीजा मिलने पर बातचीत की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा था, तभी पाकिस्तानी मेजर जनरल आसिफ गफूर ने बलोचिस्तान की सोनमियाई फ्लाइट टैस्ट रेंज से छोटी दूरी तक मार करने वाली गजनवी मिसाइल के सफल परीक्षण की खबर दी और 30 सैकेंड का वीडियो जारी किया। 

पाकिस्तान के मुख्य मिसाइल टैस्ट स्टेशनों नूरीबाद और गोठ पियाऊ से इस पर नजर रखी गई जो सिन्ध प्रांत मेें स्थित हैं। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि वह पहले गौरी और शाहीन नाम की शृंखला में 2750 कि.मी. तक मार करने वाली मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है। बुधवार रात को हुई इस बार की टैस्टिंग का खास महत्व यह है कि यह मिसाइल हर किस्म के वारहैड्स अर्थात मारक बम को ले जा सकती है। 

पाकिस्तान द्वारा सीधे-सीधे एटमी जंग की धमकी देने के बाद हुआ यह सफल परीक्षण इसी के चलते खास ध्यान खींचता है। अब इस अवसर और इस काम की कई तरह से व्याख्या की जा सकती है, पर सावधान रहने की जरूरत को पहले रेखांकित करना जरूरी है और इस चेतावनी का यह मतलब नहीं है कि पुलवामा और बालाकोट के बाद हमारी चौकसी में कोई कमी आई है, बल्कि कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बाद से तो पूरी सैन्य शक्ति बिना पलक झपकाए पाकिस्तानी हरकतों पर ही नजर रखे हुए है। पाकिस्तान की बेचैनी और छटपटाहट को देखने के लिए किसी दूरबीन की भी जरूरत नहीं है। पर पाकिस्तान को, खासकर बौखलाहट और आंतरिक परेशानियों से जूझते पाकिस्तान की ऐसी हरकतों और धमकियों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। 

पाकिस्तान की दो तरफा रणनीति
भले ही अभी तक दुनिया में सबसे ताकतवर अमरीका ने ही जापान के खिलाफ एटम बम का इस्तेमाल किया है पर इसका मतलब यह नहीं है कि पाकिस्तान के इमरान खान और उत्तर कोरिया के किम जोंग जैसे कमजोर देश के कमजोर शासक इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। बल्कि पैर के नीचे आया नाग ही ज्यादा डसता है। अब यह जरूरत है कि पाकिस्तानी टैस्टिंग की खबर जानकर भी भारत ने राजनयिक बातचीत की तैयारी नहीं छोड़ी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिट इंडिया अभियान की शुरूआत करके इसका एकदम नए किस्म का जवाब दिया। 

मिसाइल की टैस्ट फायरिंग को पाकिस्तान की दो तरफा रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पाकिस्तान बालाकोट और पुलवामा के बाद तो अलग-थलग पड़ा ही था, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के फैसले के बाद बौखला भी गया है। उसकी आर्थिक हालत खराब है (उसकी तुलना हमारे यहां दिखने वाली मंदी से नहीं की जा सकती) और भारत के हाथों बार-बार पिटने को लेकर वहां की अवाम और राजनीतिक पार्टियां सरकार के खिलाफ हंगामा कर रही हैं। 

अब उसे सही मायनों में यह डर भी सताने लगा है कि कल को भारत उसके कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने की पहल कर सकता है। अत:ह इसे कूटनीतिक स्तर से उठाने के साथ ही सैनिक स्तर से भी शोर मचाकर अपने लोगों को शांत करना चाहता है और भारत पर दबाव बनाकर आगे के लिए ‘सुरक्षित होना’ चाहता है। इन्हीं कोशिशों के तहत उसने सबसे पहले कश्मीर मसले को यू.एन. की सुरक्षा परिषद में उठाया जहां उसे कोई खास समर्थन नहीं मिला, बल्कि उसे इस मसले में सहयोग करने वाला चीन भी एक सीमा से आगे नहीं बढ़ा तो मामला शांत हो गया। विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी द्वारा जेनेवा स्थित यू.एन. मानवाधिकार परिषद में मामला उठाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है जहां इस पर अगले महीने चर्चा होगी। पाकिस्तान इसी रणनीति के तहत कश्मीर में भारतीय फौज और शासन की कथित ज्यादतियों के किस्से भी प्रचारित करवा रहा है। 

कश्मीर विवाद से पाक को मदद
दूसरी रणनीति भारत के साथ युद्ध का डर दिखाने की है जो पहले इमरान खान की ओर से सीधे-सीधे और पुलवामा व बालाकोट दोहराने की धमकी के रूप में आ चुका है। इमरान लगातार वही भाषा बोल रहे हैं। अपनी अमरीका यात्रा के बाद न्यूयार्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में भी उनकी जुबान इसी तरह की थी। पाकिस्तानी कैबिनेट के सीनियर सदस्य और रेल मंत्री शेख रसूल अहमद ने भी कहा है कि इस साल अक्तूबर या नवम्बर में दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है।

इसी क्रम में अगर टी.वी. चैनलों की चर्चा या अखबारी बयानबाजी में पाक नेताओं, रिटायर फौजी हुक्मरानों और पत्रकारों द्वारा बार-बार एटम बम की धमकी देने को भी जोड़ लिया जाए तो इन्हें सिर्फ अपने अवाम को शांत रखने की चाल मान लेना भूल होगी। इसे गीदड़भभकी भी नहीं मानना चाहिए। पाकिस्तान जरूर अपनी कूटनीति तथा चीन जैसे ‘मित्रों’ और भारत विरोधी हर किसी को इकट्ठा करके इस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बना रहा है। कश्मीर का पहले भी विवादों में रहना उसे मदद कर रहा है पर आज भारत ने कूटनीतिक स्तर पर इस सवाल का जवाब दे दिया है जो फाइनल माना जा सकता है। 

यह पाकिस्तान भी समझता है कि अब कोई भी शक्ति उसे कश्मीर में पर मारने नहीं दे सकती। अत: वह युद्ध और वह भी परमाणु युद्ध की धमकी देकर दुनिया को डरा रहा है क्योंकि आज की तारीख में परमाणु युद्ध का मतलब नुक्सान का नागासाकी और हिरोशिमा में हुए नुक्सान तक सिमटना नहीं होगा (वहां भी क्या बर्बादी हुई और कितने समय तक जारी रही, यह सोच देखकर ही दुनिया में उसके बाद एटमी हथियार का इस्तेमाल नहीं हुआ है)। इस डर से उसे भारत पर दबाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है। पर कई बार लगता है कि मामला सिर्फ धमकी और दबाव बनाने से आगे बढ़ा तो क्या होगा। इसलिए मिसाइल टैस्टिंग की खबर को ज्यादा गम्भीरता से लेने की जरूरत है।-अरविन्द मोहन 

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