‘अप्रैल 1948 में पाक ने अपने बाकायदा फौजी कश्मीर भेजे’

Edited By ,Updated: 19 Nov, 2020 04:14 AM

pakistan sent its troops to kashmir in april 1948

‘‘अप्रैल 1948 के मध्य में कश्मीर में भारत द्वारा एक बड़ा हमला किए जाने की संभावना थी। पिछले कई हफ्तों से घाटी में अतिरिक्त फौजें पहुंच रही थीं हमारे मुखबिरों के द्वारा प्राप्त रोके गए संदेशों, खबरों और प्रचंड भारतीय प्रचार यह सभी बड़ी घटनाओं का...

‘‘अप्रैल 1948 के मध्य में कश्मीर में भारत द्वारा एक बड़ा हमला किए जाने की संभावना थी। पिछले कई हफ्तों से घाटी में अतिरिक्त फौजें पहुंच रही थीं हमारे मुखबिरों के द्वारा प्राप्त रोके गए संदेशों, खबरों और प्रचंड भारतीय प्रचार यह सभी बड़ी घटनाओं का इशारा दे रहे थे।’’ 

‘‘सुरक्षा परिषद् ने हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दोनों से प्रार्थना की थी कि वह कश्मीर की समस्या पर विचार किए जाने के दौरान स्थिति को और बिगड़ने से रोकें। परन्तु भारतीय नेता इस बात से संतुष्ट नहीं थे। उनकी शुरू की घोषणाओं का निचोड़ यह था कि वह केवल बगावत को रोकना चाहते हैं लेकिन अब उनका स्टैंड यह हो गया कि किसी न्यायपूर्ण रायशुमारी कराए जाने की जरूरत नहीं है, न ही भारत की यह इच्छा है कि पाकिस्तान द्वारा दिए गए दखल पर उसे सजा दी जाए बल्कि इसका पूरा जोर अपने विशाल खुले उद्देश्य के तहत कश्मीर की पूरी मिल्कियत  हासिल करना है।’’

‘‘अत: कुछ देर बाद पंडित नेहरू ने इस बात को संविधान सभा के सामने इस प्रकार पेश किया था : ‘हम निश्चित रूप से ऐसे फैसले पर दिलचस्पी रखते हैं जिसका रियासत फैसला करेगी (विलय से संबंधित)। अपनी  भौगोलिक स्थिति के कारण से पाकिस्तान, सोवियत यूनियन, चीन और अफगानिस्तान की सीमाओं से सीधे तौर पर जुड़े होने के आधार पर कश्मीर का संबंध भारत की सुरक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्कों से करीबी तौर पर जुड़ा हुआ है’ (जवाहर लाल नेहरू, आजादी और उसके बाद, पृष्ठ 60)।’’

‘‘मिस्टर गोपाल के शब्दों में हम इस बात को अधिक स्पष्ट तौर पर देखते हैं कि यह 40 लाख कश्मीरियों के हितों में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मध्य एशिया के सियासी नक्शे में इसके अपने सपने हैं जो इसे सक्रिय रखे हुए हैं। मिस्टर गोपाल कहते हैं कि ‘कश्मीर के बगैर भारत मध्य एशिया के सियासी नक्शे में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने से वंचित हो जाएगा। युद्ध नीति के रूप से कश्मीर भारत की सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, इतिहास के आरम्भ से ही इसका यह महत्व रहा है। इसके उत्तरी प्रांत हमें पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी सूबे और उत्तरी पंजाब की ओर सीधा दाखिला उपलब्ध करते हैं। यह उत्तर में भारत के लिए मध्य एशियाई लोकतंत्र यू.एस.एस.आर., पूर्व में चीन और पश्चिम में अफगानिस्तान की ओर खिड़की है। (कारवान-नई दिल्ली फरवरी 1950, पृष्ठ 67)।’’ 

‘‘अत: 20 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना के कमांडर इन चीफ जनरल ग्रेसी ने इन शब्दों में पाकिस्तान की सरकार को सूचना दी : ‘‘भारतीय सेना की विशेष रूप से मुजफ्फराबाद के इलाके में एक आसान जीत कबायली लोगों में पाकिस्तान के द्वारा उनको ज्यादा सीधे सहयोग करने में असफलता से पाकिस्तान के खिलाफ नफरत पैदा होना लगभग यकीनी है, यह बात इन्हें पाकिस्तान के खिलाफ होने पर तैयार कर सकती है।’’ 

उन्होंने तजवीज पेश की कि ‘अगर पाकिस्तान को 25 लाख लोगों को उनके घरों से निकाले जाने के नतीजे में एक और गंभीर शरणार्थी समस्या का सामना नहीं करना, तो भारत को पाकिस्तान के पिछली ओर के दरवाजे पर बैठने की इजाजत नहीं देनी है, अगर शहरी और फौजी हौसले को एक खतरनाक हद तक प्राप्त नहीं करना है, अगर विघटनकारी राजनीतिक शक्तियों की हौसला अफजाई नहीं करनी है और इन्हें पाकिस्तान के अंदर आजाद नहीं छोडऩा है तो यह बात लाजिमी है कि भारतीय सेना को उड़ी, पुंछ, नौशहरा से आगे बढऩे की इजाजत न दी जाए (सुरक्षा परिषद् एस/वी 464, पृष्ठ 36, फरवरी 1950)।’’ ‘‘कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने निजी बचाव की कार्रवाई के तौर पर कुछ फौजियों को कश्मीर भेज दिया, यह फरवरी के अंत तक संभावित भारतीय सेना के साथ किसी भी सीधी झड़प को टालने के लिए थी’’(क्रमश:)-पेशकश: ओम प्रकाश खेमकरणी
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!