पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) ‘बन रही एक डूबता जहाज’

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2019 04:17 AM

people s democratic party pdp a sinking ship

महबूबा मुफ्ती हमेशा अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के कंधे से कंधा मिलाकर राजनीति में सक्रिय रहीं और पिता तथा पुत्री ने 1999 में मिल कर ‘पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी’(पी.डी.पी.) बनाई जिसकी अब वह अध्यक्ष हैं। अपने जीवन में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मजबूती से...

महबूबा मुफ्ती हमेशा अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के कंधे से कंधा मिलाकर राजनीति में सक्रिय रहीं और पिता तथा पुत्री ने 1999 में मिल कर ‘पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी’(पी.डी.पी.) बनाई जिसकी अब वह अध्यक्ष हैं। 

अपने जीवन में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मजबूती से पार्टी पर अपना नियंत्रण बनाए रखा परंतु उनके देहांत के बाद यह स्थिति न रही तथा पार्टी और सरकार पर से महबूबा का नियंत्रण ढीला होता चला गया। 19 जून, 2018 को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद तेजी से बदलते घटनाक्रम में पी.डी.पी. के अंदर महबूबा मुफ्ती की कार्यशैली को लेकर असहमति की आवाजें उठने लगीं। 

पी.डी.पी. की बदहाली के लिए महबूबा की नीतियों को जिम्मेदार करार देते हुए अनेक वरिष्ठ पी.डी.पी. नेताओं ने महबूबा के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया तथा जून में महबूबा की सरकार गिरने के बाद अब तक पूर्व मंत्रियों, विधायकों एवं वरिष्ठ नेताओं सहित अनेक नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें इमरान रजा अंसारी,आबिद अंसारी, मोहम्मद अब्बास वानी, डा. हसीब द्राबू, बशारत बुखारी तथा मध्य कश्मीर में पार्टी का खास चेहरा समझे जाने वाले जावेद मुस्तफा मीर आदि मुख्य हैं। 

उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनावों में 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 28 सीटें जीत कर पी.डी.पी. सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी, परन्तु राज्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग करने के बाद पी.डी.पी. से नेताओं के पलायन का सिलसिला तेज़ हुआ है जो अब थमने का नाम नहीं ले रहा। पी.डी.पी. का ‘थैंक टैक’ माने जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने 6 दिसम्बर, 2018 को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और उसके 2 दिन बाद ही 8 दिसम्बर को पूर्व विधायक आबिद अंसारी ने भी पार्टी छोड़ दी। इस अवसर पर आबिद अंसारी ने खुल कर कहा : ‘‘पार्टी ने प्रदेश के लोगों को नीचा दिखाया है इसलिए मैं इसके झूठ और छल का हिस्सा नहीं रहना चाहता।’’ 

11 दिसम्बर को तंगमर्ग से पी.डी.पी. के पूर्व विधायक अब्बास वानी ने पार्टी छोडऩे की घोषणा कर दी और अगले ही दिन 12 दिसम्बर को उत्तर कश्मीर के उड़ी निर्वाचन क्षेत्र से पी.डी.पी. के वरिष्ठ नेता एवं स्टेट सैक्रेटरी राजा एजाज अली खान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 5 जनवरी, 2019 को पी.डी.पी. के वरिष्ठ नेता जावेद मुस्तफा मीर ने पार्टी छोडऩे की घोषणा कर दी जो महबूबा सरकार गिरने के बाद पार्टी छोडऩे वाले चौथे मंत्री हैं। उनके अलावा 2 पूर्व विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं। यही नहीं, पार्टी में मची उथल-पुथल के बीच 19 जनवरी को अमीरा कदल निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व विधायक अल्ताफ बुखारी को पी.डी.पी. द्वारा निष्कासित करने के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र के जोन अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ डार ने भी 20 जनवरी को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। 

इसके बाद तो पार्टी में त्यागपत्र देने की लाइन ही लग गई और अमीरा कदल जोन समिति में जनरल और नियुक्त सभी सदस्यों ने पी.डी.पी. से त्यागपत्र दे दिया। त्यागपत्र देने वालों में हाजी अली मोहम्मद बगव (उप जोन अध्यक्ष), शेख सजाद (उपाध्यक्ष), हिलाल अहमद तांत्रे (महासचिव), अमान उल्ला शाह (आयोजन सचिव), इमरान अली (प्रचार सचिव) और बशीर अहमद लोन (कोषाध्यक्ष) शामिल हैं। इस बीच श्रीनगर के हब्बा कदल विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी मुदस्सर अमीन खान ने भी पी.डी.पी. की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। हब्बा कदल से पार्टी के जोनल प्रधान जिलानी कुमार ने भी त्यागपत्र दे दिया है। 

पार्टी छोडऩे वालों नेताओं ने जहां महबूबा मुफ्ती पर परिवार पोषण के आरोप लगाए हैं, वहीं उनका यह भी कहना है कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद से पार्टी में जो हालात हैं, उनसे साफ है कि अब पार्टी मुफ्ती साहब के सिद्धांतों पर नहीं चल रही है और पार्टी में जमीन से जुड़े वास्तविक नेताओं के स्थान पर चापलूसों का बोलबाला हो गया है। स्पष्टïत: महबूबा की परिवार पोषण वाली नीतियों तथा अन्य कारणों से पार्टी आंतरिक कलह का सामना कर रही है और यदि ऐसे ही चलता रहा तो इसे बचाना महबूबा के लिए आसान नहीं होगा।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!