पाक में आम चुनाव से पूर्व हिन्दू अल्पसंख्यकों का दिल जीतने की ‘राजनीतिक कवायद’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Apr, 2018 04:22 AM

political exercise for winning the hearts of hindu minorities in pak

पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवारको सांसदों व अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोपों में अपदस्थ करने के बाद उम्रभर किसी भी पद पर कार्य करने की मनाही का सीधा प्रभाव 1990 से अब तक तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्रवाचक...

पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवारको सांसदों व अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोपों में अपदस्थ करने के बाद उम्रभर किसी भी पद पर कार्य करने की मनाही का सीधा प्रभाव 1990 से अब तक तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्रवाचक चिन्ह खड़ा करता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पाबंदी उम्रभर के लिए होगी। दूसरी ओर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेताओं का कहना है कि यदि कुछ माह बाद होने जा रहे आम चुनाव में उनकी पार्टी पुन: सत्तारूढ़ हुई तो संविधान में संशोधन करके इस पाबंदी का प्रावधान निरस्त किया जा सकता है। 

अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी पार्टी के साथ जोडऩे के अभियान के अंतर्गत नवाज शरीफ ने 15 जनवरी, 2017 को पंजाब प्रदेश के जिला चकवाल के कस्बे चोआ सैदन शाह में स्थित प्राचीन श्री कटासराज के अमरुकुंड पर आर.ओ. फिल्टर प्लांट का उद्घाटन करते समय निर्देश जारी किए थे कि वहां श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास 32 कमरों वाले यात्री निवास का निर्माण उनके वर्तमान कार्यकाल में पूरा किया जाए। 

सिंध में हिंदू नेताओं के संग दीवाली मनाते हुए नवाज शरीफ ने होली पर पिचकारी व गुलाल के वातावरण से हर्षित होने की इच्छा भी व्यक्त की थी। कट्टरपंथियों के प्रलाप से वह नहीं डगमगाए लेकिन श्री कटासराज में यात्री निवास का निर्माण भी उनकी कोशिश के बावजूद अधूरा रहा। इस बीच सीमैंट फैक्टरियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए अमरकुंड के आस-पास लगाए गए ट्यूबवैलों ने कुंड का जल ही सुखा दिया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘डान’ में प्रकाशित समाचारों का संज्ञान लेने के कारण न केवल सरकार की खिंचाई हुई बल्कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सिद्दीक-उल-फारुख की भी छुट्टी हो गई। 

फारुख साहब पी.एम.एल. (नवाज) के मुख्य प्रवक्ता रहे और नवाज शरीफ के निकट साथी भी। नि:संदेह उन्होंने अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों के विकास में रुचि ली लेकिन अमरकुंड में जल स्तर एकदम गिरने से उनका प्रशासकीय कद भी बौना हो गया। लगभग पौने 21 करोड़ आबादी वाले पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या साढ़े 44 लाख बताई जाती है। इनमें 93 प्रतिशत से अधिक सिंध प्रांत में बसे हुए हैं। बंटवारे के कारण सबसे ज्यादा पलायन पश्चिमी पंजाब से हुआ। इस प्रदेश में हिंदू जनसंख्या 4.76 प्रतिशत है। फिर भी अब पाकिस्तान में इस्लाम के बाद सर्वाधिक हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। पूरी दुनिया में हिंदू जनसंख्या के हवाले से पाकिस्तान का 5वां स्थान है। सिंध में बसे हिंदुओं को अपने साथ जोडऩे के लिए पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेेटे बिलावल भुट्टो जरदारी ने फरवरी माह में अहम कदम उठाते हुए थारपरकर की सामाजिक कार्यकत्र्ता कृष्णा कुमारी कोहली को सीनेट (राज्यसभा) की प्रथम हिंदू दलित महिला के रूप में सामान्य क्षेत्र से विजयी बनवाकर इतिहास रचा। 

अब इसी क्षेत्र में जनप्रतिनिधि डा. रमेश वंकवाणी को मुस्लिम लीग (नवाज) से अलग करते हुए नामवर क्रिकेट कप्तान रहे इमरान खान ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी में शामिल कर लिया है। डा. रमेश मूल रूप से मिट्टी तहसील के इस्लामाबाद क्षेत्र के निवासी हैं। वह 2002 से 2007 तक सिंध असैम्बली के सदस्य रहे और जून 2013 से नैशनल असैम्बली (लोकसभा समकक्ष) के सदस्य चले आ रहे हैं। बीते शनिवार उन्होंने अपने निवास स्थान पर इमरान खान की मौजूदगी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पनामा पेपर्ज लीक होने के बाद पी.एम.एल. (नवाज) के नेताओं ने न्यायपालिका के विरुद्ध जो प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं उनसे मन खिन्न हो उठा। डा. वंकवाणी का कहना था कि उन्होंने पाकिस्तान इंटरनैशनल एयरलाइंस का निजीकरण करने का विरोध किया। 

पाकिस्तान हिन्दू कौंसिल के सलाहकार डा. रमेश ने सिद्दीक-उल-फारुख को वक्फ बोर्ड अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का विरोध किया था। सर्वोच्च न्यायालय में अमरकुंड प्रकरण की सुनवाई के दौरान इसकी पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि बोर्ड का अध्यक्ष अल्पसंख्यक समुदाय में से ही होना चाहिए। यह मुद्दा पार्टी नेतृत्व के समक्ष कई बार उठाया लेकिन किसी ने कान नहीं धरा। समझा जाता है कि सिंधी हिन्दू नेता डा. रमेश के शामिल होने से इमरान खान के नेतृत्व वाली पार्टी पी.टी.आई. सिंध में पांव पसार सकती है। इमरान का कहना है कि कायदे आजम जिन्ना साहब ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए पाकिस्तान बनाया। अब हमारा भी नैतिक दायित्व है कि यहां बसे अल्पसंख्यकों को समान अधिकार प्राप्त हों और सुरक्षा भी। 

इमरान की पार्टी का दबदबा मुख्यत: खैबर पख्तूनख्वा प्रदेश में माना जाता है। अभी 2 माह पूर्व इमरान ने मेरे पैतृक शहर पाकपट्टन में वट्टू परिवार की शादीशुदा बेटी बुशरा से तीसरा निकाह किया। वह पीरों के खानदान से सम्बद्ध है। उसे लोग बुशरा दीदी व पिंकी पीर के नाम से जानते हैं। इमरान उससे आध्यात्मिक चर्चा के लिए मुलाकात किया करते थे। अब शादी के बाद इमरान पश्चिमी पंजाब में भी अपनी राजनीति की चादर पसारने की तैयारी में हैं और अल्पसंख्यक तक पहुंचना मुश्किल नहीं होगा।-राज सदोष  
                   

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