Edited By ,Updated: 23 Dec, 2020 03:15 AM
राजनीति के रंग न्यारे हैं। यहां अधिकांश लोगों का उद्देश्य सत्ता और उससे जुड़ी सुविधाएं प्राप्त करना होता है। इसीलिए ऐसे उदाहरण सामने आते रहते हैं जब एक ही परिवार में रहने वाले सगे अलग-अलग विचारधाराओं की पाॢटयों से जुड़ कर चुनाव लड़ते हैं। जैसे इन...
राजनीति के रंग न्यारे हैं। यहां अधिकांश लोगों का उद्देश्य सत्ता और उससे जुड़ी सुविधाएं प्राप्त करना होता है। इसीलिए ऐसे उदाहरण सामने आते रहते हैं जब एक ही परिवार में रहने वाले सगे अलग-अलग विचारधाराओं की पाॢटयों से जुड़ कर चुनाव लड़ते हैं। जैसे इन दिनों बंगाल में एक ऐसे राजनीतिज्ञ पति-पत्नी की जोड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है जिसमें पत्नी द्वारा पति की पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी से जुड़ जाने पर दोनों के रिश्तों में दरार आ गई है। पश्चिम बंगाल में ‘प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा’ के अध्यक्ष तथा बांकुड़ा से सांसद ‘सौमित्र खां’ की पत्नी ‘सुजाता मंडल खां’ द्वारा भाजपा छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से उनके पति ‘सौमित्र खां’ इस कदर खफा हुए कि नौबत रिश्ता टूटने तक पहुंच गई है।
भीगी हुई आंखों के साथ ‘सौमित्र खां’ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं बहुत दुखी हूं। मेरा दिल टूट गया है और तृणमूल कांग्रेस ने मेरे परिवार की ‘लक्ष्मी’ को चुरा लिया है।’’उन्होंने ‘सुजाता मंडल’ को तलाक का नोटिस भेजते हुए लिखा, ‘‘कृपया अब मेरे सरनेम ‘खां’ का इस्तेमाल मत करना। तुम भूल गई हो कि तुम उन्हीं लोगों के साथ जा मिली हो जिन्होंने मेरे भाजपा में शामिल होने के बाद 2019 में तुम्हारे माता-पिता के घर पर हमला किया था। दस वर्ष का रिश्ता खत्म होने के बाद अब मैं भाजपा के लिए अधिक मेहनत से काम करूंगा।’’
‘सुजाता मंडल खां’ ने ‘सौमित्र खां’ पर पलटवार करते हुए कहा है कि : ‘‘मैंने अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध सौमित्र से विवाह किया था। मैं उनसे प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी। मैं अभी भी अपनी मांग में उनके नाम का सिंदूर भरती हूं पर क्या एक निजी रिश्ता भी राजनीति के कारण तलाक में बदल सकता है? मुझे तो तृणमूल कांग्रेस के किसी नेता ने नहीं कहा कि पार्टी में शामिल होने के लिए मुझे सौमित्र को तलाक देना होगा।’’
‘‘जो व्यक्ति पार्टी के लिए अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है, अपने 10 वर्ष के विवाहित रिश्ते को भूल सकता है ऐसे व्यक्ति के ‘त्याग’ को उसकी पार्टी को स्वीकार करना चाहिए। लिहाजा भाजपा यदि बंगाल का चुनाव जीतने पर मेरे पति को राज्य का मुख्यमंत्री बनाती है तो मुझे बहुत खुशी होगी परन्तु बंगाल जीतने का भाजपा का यह सपना मात्र सपना ही रहेगा।’’‘‘भाजपा लुभावने सपने दिखाकर दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपनी ओर खींच रही है।
कुछ नेताओं को अच्छी पोस्ट देने और कुछ नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने का वायदा किया जा रहा है। वहां 6 मुख्यमंत्री और 13 डिप्टी सी.एम. के चेहरे हैं।’’‘‘भाजपा में उन लोगों का सम्मान नहीं हो रहा है जो सचमुच इसके योग्य हैं। मैं अब खुली सांस लेना और सम्मान चाहती हूं। अपनी प्यारी दीदी (ममता बनर्जी) और दादा (बड़े भाई) अभिषेक बनर्जी (ममता के भतीजे) के साथ काम करना चाहती हूं। वही राज्य को बांटने की राजनीति से बचा सकते हैं। भाजपा की गंदी राजनीति की वजह से मैंने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है।’’
इसके साथ ही सुजाता मंडल ने यह भी कहा, ‘‘मुझे भाजपा में कोई सम्मान नहीं दिया गया, हालांकि मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की। भाजपा में वफादार कार्यकत्र्ताओं के स्थान पर केवल भ्रष्टï और गले-सड़े मिसफिट नेताओं को अधिक महत्व दिया जा रहा है।’’ ‘‘भाजपा ऐसे अति महत्वाकांक्षी नेताओं को ही हांक-हांक कर अपने पाले में ला रही है।
‘सौमित्र खां’ अब क्या करेंगे यह तो वही बताएंगे परन्तु मुझे आशा है कि ‘सौमित्र खां’ को सद्बुद्धि आएगी और वह देर-सवेर तृणमूल कांग्रेस में ही लौट आएंगे।’’ इसके जवाब में ‘सौमित्र खां’ ने कहा, ‘‘भाजपा ने ‘सुजाता खां’ को घर की बेटी जैसा सम्मान दिया है। कोई भी पार्टी पति-पत्नी दोनों को न तो एक साथ सांसद बनाती है और न ही पार्टी में कोई पद दे सकती है।’’ ‘‘भाजपा में परिवारवाद नहीं चलता, तृणमूल कांग्रेस उन्हें क्या देगी! ‘सुजाता खां’ ने किसी ज्योतिषी की सलाह पर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते ही पार्टी बदलने का फैसला किया है।’’
यह एक विडम्बना ही है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने एक पति-पत्नी के बीच इतनी दूरी पैदा कर दी है। ‘सौमित्र खां’ और ‘सुजाता मंडल खां’ इन दोनों के इस विवाद में कौन सही है और कौन गलत यह तो समय ही बताएगा, अलबत्ता उनकी इस नोक-झोंक से प्रैस और मीडिया को चर्चा का एक दिलचस्प विषय अवश्य मिल गया है। —विजय कुमार