Edited By ,Updated: 09 Jul, 2019 03:59 AM
पुरानी फिल्म का एक गाना याद होगा ‘गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा।’ लोकसभा चुनावों में भाजपा को करीब 22 करोड़ वोट मिले और संयोग ही है कि मोदी सरकार की ‘उज्ज्वला’ से लेकर ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के लाभाॢथयों की...
पुरानी फिल्म का एक गाना याद होगा ‘गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा।’ लोकसभा चुनावों में भाजपा को करीब 22 करोड़ वोट मिले और संयोग ही है कि मोदी सरकार की ‘उज्ज्वला’ से लेकर ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के लाभाॢथयों की संख्या भी 22 करोड़ के आस-पास ही थी। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष कह रहा है कि मोदी पाकिस्तान का डर दिखा कर, छद्म राष्ट्रवाद का कार्ड चलाकर, ङ्क्षहदुत्व को जगाकर और झूठे सब्जबाग दिखाकर फिर से प्रधानमंत्री बन गए।
उधर मोदी और अमित शाह वोटरों से कैमिस्ट्री बिठाने की बात कर रहे हैं, लेकिन एक सच यह है कि राजनीतिक दलों के नेता जातियों का गणित ही बिठाते रह गए और विकास योजनाओं की चाशनी को भूल ही गए। हम प्रधानमंत्री आवास योजना की भूमिका की पड़ताल करते हैं। इसके लिए चलते हैं राजस्थान के टोंक जिले की निवाई पंचायत समिति के जोधपुरिया गांव।
योजना की भूमिका
जोधपुरिया गांव में 1104 वोटर हैं और एक ही बूथ है। दिसम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव और मई 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान यहां जिस तरह की वोटिंग हुई, उससे साफ संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की कितनी बड़ी भूमिका रही। यहां रहती हैं आशा प्रजापत, जिनके पति छोटी-मोटी मजदूरी कर घर चलाते हैं। आशा कहने लगीं कि पहले इसी जगह कच्चा घर था लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना में एक लाख बीस हजार रुपए मिले तो कुछ कर्ज लेकर घर बनवा लिया। आशा का कहना है कि एक लाख बीस हजार में घर नहीं बनता, पैसा बढ़ाया जाना चाहिए। यही बात इनकी पड़ोसन अनीता देवी ने भी कही, जिन्हें भी आवास योजना में घर मिला और बदले में मोदी को पूरे परिवार के वोट। ऐसी ही बात राजंती देवी, सुरेश और नीतू ने कही। नीतू का कहना था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया था लेकिन लोकसभा में मोदी को दिया।
पड़ोस में ही रहते हैं छीतर, जिन्हें पी.एम. आवास योजना में घर नहीं मिला है लेकिन घर मिलने का वायदा किया गया है और इसी उम्मीद में मोदी को वोट दे दिया। कहने लगे कि राजस्थान में तो हर पांच साल में सरकार पलट देनी है और वैसे भी अशोक गहलोत राज्य के लिए बेहतर हैं लेकिन देश के लिए मोदी जरूरी हैं और कच्चा घर होने के बाद भी मोदी को वोट दिया। मीसा देवी भी कच्चे घर में रह रही हैं। गांव के स्थानीय भाजपा नेताओं ने उन्हें बताया कि उनका नाम भी पी.एम. आवास योजना में आ गया है और घर की फोटो भी ङ्क्षखचवा ली गई है। लिहाजा पूरे घर ने मोदी को वोट दिया। गांव के श्रवण गुर्जर ने सारी राजनीति समझाई।
श्रवण के अनुसार भाजपा की बम्पर जीत के पीछे कांग्रेस के आपसी झगड़े थे, वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत नाराजगी थी, सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से वोटर खफा थे लेकिन इन सब कारणों से ही वोटर मोदी की तरफ नहीं झुका। आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजना ने प्रेरक का काम किया। यहां हमें मिले उमाशंकर गुप्ता जो निवाई पंचायत समिति में ग्राम विकास अधिकारी हैं और जोधपुरिया गांव में आवास योजना वही चला रहे हैं। उनका कहना था कि कुल 281 की लिस्ट भेजी गई। 78 नाम रिजैक्ट हुए, 203 के नाम तय हुए घर के लिए। 2017-18 में 30 का लक्ष्य था जो पूरा हुआ। 2018-19 में 90 घर बनाने थे, इसमें से 17 ही बचे हैं। अगला लक्ष्य 83 घर बनाने का है। इनमें से 26 का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया, जियो टैग हो चुका है।
कहानी आंकड़ों की जुबानी
चुनाव के आंकड़े सारी कहानी बयान कर रहे हैं। जोधपुरिया गांव में कुल 1104 वोटर हैं। दिसम्बर के विधानसभा चुनाव में कुल 855 वोट पड़े। इनमें से कांग्रेस को 757 और भाजपा को सिर्फ 81 वोट मिले लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल वोट पड़े 899, इनमें से कांग्रेस को सिर्फ 88 मिले और भाजपा के हिस्से 804 वोट आए। अब गांव में कुल 103 लोगों को घर मिल चुका है। अगर एक परिवार में 4 वोट भी माने जाएं तो भाजपा को मिले 804 वोटों में से 412 वोट तो सिर्फ आवास योजना के कारण मिले। उसी तरह 17 घर बन रहे हैं और 26 का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। ये लोग भी मोदी को ही वोट देने की बात करते हैं। इनके कुल वोट होते हैं करीब 172 (43 कुल हुए, एक परिवार में 4 तो 172) यानी 804 वोटों में से भाजपा को 584 पी.एम. आवास योजना के कारण मिले।
लक्ष्य पूरा भी नहीं हुआ
एक बूथ की पड़ताल बताती है कि किस तरह प्रधानमंत्री आवास योजना ने भाजपा की झोली वोटों से भर दी। यह हाल तब है जब मोदी सरकार गांवों में घर बनाने के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकी। दरअसल 2011 के सामाजिक-आर्थिक सर्वे में देश भर में 2 करोड़ 53 लाख कच्चे घर ग्रामीण क्षेत्रों में बताए गए थे। नवम्बर 2016 में पी.एम. आवास योजना शुरू हुई तो एक करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया लेकिन यह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पूरा नहीं हो सका। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार इस दौरान 80 लाख घर ही बनाए जा सके। अगर एक घर में औसत रूप से 4 वोट भी माने जाएं तो 3 करोड़ के लगभग वोट आवास योजना से मिल गए। इससे विपक्ष को भी सबक लेना चाहिए।
उधर मोदी सरकार ने तो प्रधानमंत्री आवास योजना की सफलता से उत्साहित होकर अगले 3 सालों में ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ 80 लाख मकान बनाने का लक्ष्य रखा है। 2022 में यू.पी. में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसको देखते हुए यू.पी. पर जोर दिया जा रहा है। एक करोड़ 80 लाख तीन साल में यानी 60 लाख एक साल में यानी 5 लाख एक महीने में यानी 16 हजार से ज्यादा घर रोज अगले 3 सालों तक पी.एम. आवास योजना के तहत बनाए जाने हैं। इसके लिए मोदी सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रखे हैं। मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ आपको याद होगी, यह फिल्म हिट साबित हुई थी। मोदी सरकार की नई फिल्म है शौचालय, गैस कनैक्शन और मकान। फिलहाल तो फिल्म हिट हो रही है।-विजय विद्रोही