दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने दी गोरे लोगों से जमीन छीनने की धमकी

Edited By ,Updated: 02 May, 2017 11:21 PM

president jacob zuma threatens to snatch land from white people

गोरे नस्लवाद के विरुद्ध आंदोलन चलाने वाले दक्षिण अफ्रीका के इलाके के ऐन.....

गोरे नस्लवाद के विरुद्ध आंदोलन चलाने वाले दक्षिण अफ्रीका के इलाके के ऐन बीचों-बीच शहर सोवेतो के स्टेडियम में मंच पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति हरी और सुनहरी लैदर जैकेट पहने जुल्लु कबीले का युद्ध नृत्य कर रहे थे। 

पूर्व चरवाहा रह चुके राष्ट्रपति जैकब जूमा के कथित घृणित भाषणों के संबंध में एक अदालत ने आदेश जारी किया है जिसके कारण उन्हें अपना पसंदीदा मुक्ति गीत ‘ब्रिंग मी माई मशीनगन एंड शूट द बोइर’ गाने से मना कर दिया गया है। उनके चापलूस बेशक उन्हें नेलसन मंडेला के अंग-संग अफ्रीका के नेताओं की कतार में खड़ा करते हैं और उनके 75वें जन्म दिन के उत्सवों दौरान कुछ दिन पूर्व बहुत ही आग उगलने वाले भाषण और नफरत फैलाने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। ऐसा करके उन्होंने मंडेला के ‘इंद्रधनुष देश’ की परिकल्पना की मौत की घंटी बजा दी। 

20 हजार से भी अधिक लोगों और पार्टी समर्थकों तथा मुफ्त भोजन एवं ‘जूमा टी-शर्ट’ का लालच दिखाकर बुलाए गए पेटुओं के समक्ष जूमा ने गोरे लोगों को चेतावनी दी कि वह अब उनसे जमीन छीनेंगे। काले चश्मे और काले सूट में सजे सशस्त्र बाडीगार्ड मंच पर से पूरी भीड़ का निरीक्षण कर रहे थे, जब जूमा ने अपने गोरे प्रतिद्वंद्वियों पर यह कहते हुए हल्ला बोला, ‘‘वे हमें कहते हैं कि हम कानून तोड़ रहे हैं, मैं पूछता हूं कि जब उन्होंने हमारी जमीन चुरा ली थी क्या तब कोई कानून नहीं टूटा था?’’ 

उन्होंने आगे कहा, ‘‘कोई सामान्य व्यक्ति भी अपनी भूमि चुराए जाने पर आराम से नहीं बैठेगा और मैं भी भूमि के मुद्दे पर मौन क्यों रहूं? गोरे लोग मुझसे नफरत करते हैं क्योंकि मैंने उनकी दुखती रग को छेड़ दिया है।’’ उन्होंने काले लोगों में मौजूद अपने आलोचकों पर भी हल्ला बोला और उन्हें बुजदिल एवं विश्वासघाती करार दिया और कहा कि जो कोई भी उनका विरोध करता है वह नस्लवादी है। जूमा ने इससे पहले दक्षिण अफ्रीकी संसद को सूचित किया था कि वह एक नया कानून प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिसके अंतर्गत बिना कोई मुआवजा दिए गोरे लोगों से जमीनें छीनी जा सकती हैं। उन्होंने सभी काले लोगों को आह्वान किया कि वे अपनी भूमि वापस लेने के लिए एकजुट हो जाएं। 

सत्तारूढ़ अफ्रीकन नैशनल कांग्रेस के जाने-माने सदस्य मझ्वांदिले मसीना  भी भड़काऊ भाषण करने के मामले में पीछे नहीं रहे और चेतावनी दी कि वह हर उस व्यक्ति का कचूमर निकाल देंगे जो राष्ट्र निर्माण के उनके अभियान के आड़े आएगा। दक्षिण अफ्रीका की कुल 5 करोड़ आबादी में से 40 लाख आबादी गोरे लोगों की है तथा उन्हें यह आशंका सता रही है कि परिस्थितियां और भी दुश्वार बन सकती हैं। मसीना ने चेतावनी दी और काले लोगों को कहा कि ‘‘गोरे लोग’’ गिनती में मुठ्ठी भर हैं जबकि हम उनकी तुलना में बहुत अधिक हैं। मैं इन गोरे लोगों को कहना चाहता हूं कि वे बहुत फूंक-फूंक कर कदम उठाएं। ये गोरे लोग आत्मविश्वास से बहुत इतराए हुए हैं और बात-बात पर हमें ठेंगा दिखाते हैं। उनका यह आत्मविश्वास हर हालत में समाप्त होना चाहिए। हम कोई बंदर नहीं हैं, हम भी इंसान हैं। 

अपनी पार्टी की घोषित नीतियों से जूमा का नीचे गिर जाना और पार्टी को ठेंगा दिखाते हुए दक्षिण अफ्रीका में जिम्बाब्वे की तर्ज पर ङ्क्षहसा का मार्ग अपनाने की संभावना व्यक्त किए जाने के मद्देनजर दोनों समुदायों ने अपने-अपने हथियार भांजने शुरू कर दिए हैं। गोरा नस्लवाद समाप्त होने के 23 वर्ष बाद देश को दरपेश समस्याओं के मद्देनजर दक्षिण अफ्रीका के कारोबारी जगत के नेताओं ने अभी-अभी दक्षिण अफ्रीकी अखबार संडे टाइम्स में पेज 3 पर विज्ञापन देकर कहा है कि जूमा जैसे कुछ लोगों ने अवैध ढंग से न केवल दक्षिण अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों और वित्तीय सम्पतियों पर कब्जा जमा लिया है, बल्कि उन्होंने सत्ता तंत्र का भी अपहरण कर लिया है इसलिए दक्षिण अफ्रीका संकट में है। जूमा की सरकार अपने आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए जोरदार प्रापेगंडे, नारेबाजी, नस्लवाद तथा निर्लज्ज झूठ का सहारा ले रही है। अर्थव्यवस्था निश्चय ही संकट में है और सरकारी हुंडियों की कोई बुक्कत नहीं रह गई। 

उल्लेखनीय है कि कभी दक्षिण अफ्रीका खाद्य पदार्थों का विशुद्ध निर्यातक था, बिल्कुल वैसे ही जैसे राष्ट्रपति मुगाबे से पहले जिम्बाब्वे की हालत थी। मुगाबे ने गोरे किसानों (यानी बोइर लोगों) से जमीन छीननी शुरू कर दी तो देश को अब अपनी ही जनता का पेट भरने के लिए खाद्यान्न आयात करने पड़ रहे हैं। कुछ शहरों में बेरोजगारी 90 प्रतिशत तक बढ़ गई है और दंगे रोजमर्रा की बात हो गए हैं। अब तो अखबारों वाले भी दंगों के समाचार देने से परहेज करने लगे हैं। अपराधी दनदनाते फिर रहे हैं और हर रोज 50 से भी अधिक हत्याएं हो रही हैं। जबकि दक्षिण अफ्रीका में बलात्कारों की आंधी-सी आई हुई है और हर 23 सैकेंड बाद किसी महिला पर यौन हमला होता है।     

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