पाकिस्तान द्वारा आतंकी घुसपैठ को बढ़ावा भारतीय सुरक्षा बलों के लिए ‘खतरे की घंटी’

Edited By ,Updated: 16 Feb, 2017 12:03 AM

promote infiltration by pakistani militants   warning bell

2016 में जब जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से होने वाली आतंकवादियों

2016 में जब जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ 5 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई तो सुरक्षा बलों के लिए खतरे की घंटियां बजनेलगीं। अधिकृत सरकारी आंकड़ों से खुलासा होता है कि 2016 में घुसपैठ के 364 प्रयास हुए थे जबकि 2015 में यह आंकड़ा 121 था। सबसे अधिक घुसपैठ 2012 में रिकार्ड की गई थी जब आतंकियों ने घुसपैठ के 264 प्रयास किए थे जिनमें से 121 में उन्हें सफलता हासिल हुई थी। इसके बाद के वर्षों में सेना द्वारा एल.ओ.सी. के साथ-साथ स्थापित किए गए मजबूत घुसपैठ रोधी तंत्र के कारण घुसपैठ में काफी कमी आई थी।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक एस.पी. वैद्य ने बताया, ‘‘गत वर्ष पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ का बहुत अधिक दबाव बनाया गया था। सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था और पाकिस्तानियों ने घुसपैठियों के लिए हालात काफी आसान बना दिए थे।’’ आतंकियों की साजिशों को विफल करने और न केवल सीमा पर बल्कि अंदरूनी क्षेत्रों में भी शांति बनाए रखने  की तैयारी कर रहे सुरक्षा बलों को 2017 में काफी बड़ी चुनौतियां दरपेश आएंगी। वैद्य ने कहा, ‘‘जब अधिक मात्रा में घुसपैठिए आते हैं तो स्वाभाविक ही इससे समूचा राष्ट्र प्रभावित होता है।’’

घुसपैठ में रिकार्ड वृद्धि तब हुई है जब सरकार यह रिपोर्ट दे रही है कि गत 8 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बमदूरा गांव में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के परिणामस्वरूप शुरू हुई बेचैनी से लेकर  अब तक 59 स्थानीय युवक आतंकवादियों में शामिल हुए। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में लगभग 250-300 उग्रवादी सक्रिय हैं। इनमें से लगभग 225 स्थानीय हैं। घाटी में सक्रिय इन आतंकियों में से लगभग 100 पाकिस्तानी नागरिक हैं। इनमें से अधिकतर हाफिज मोहम्मद सईद नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तोएबा से संबद्ध हैं।

हिजबुल मुजाहिद्दीन दूसरे नम्बर पर है और घाटी में इसके 90 से अधिक उग्रवादी सक्रिय हैं। जैश-ए-मोहम्मद और अल बदर जैसे आतंकी गुटों की भी घाटी में थोड़ी-बहुत उपस्थिति है। 2 दिसम्बर 2016 तक लगभग 146 आतंकी मार गिराए गए थे जबकि 76 को गिरफ्तार किया गया था। इसी अवधि दौरान 60 से भी अधिक सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए जबकि 197 मुठभेड़ों में 104 जवान घायल हुए।                              

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