महिला हॉकी का स्तर उठाने के लिए पंजाब सरकार विशेष योजना बनाए

Edited By ,Updated: 05 Aug, 2021 07:06 AM

punjab govt should make a special plan to raise the level of women s hockey

भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में अच्छी कारगुजारी का प्रदर्शन किया है। अब वह ब्रिटेन के साथ कांस्य पदक के लिए भिड़ेगी। यह पहला मौका है जब महिला हॉकी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग

भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में अच्छी कारगुजारी का प्रदर्शन किया है। अब वह ब्रिटेन के साथ कांस्य पदक के लिए भिड़ेगी। यह पहला मौका है जब महिला हॉकी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। टोक्यो ओलंपिक 2021 में खेलने गई महिला हॉकी टीम में 8 खिलाड़ी हरियाणा से संबंधित हैं जबकि एक खिलाड़ी गुरजीत कौर पंजाब से संबंधित है। आज भारतीय हॉकी टीम में हरियाणा, झारखंड तथा मध्यप्रदेश इत्यादि राज्य अग्रणी हैं जबकि पंजाब महिला हॉकी में बुरी तरह से पिछड़ गया है। 

ऐसा भी समय था जब पंजाब की लड़कियों की भारतीय हॉकी में सरदारी होती थी। टोक्यो ओलि िपक 2021 से पहले 1974 के विश्व कप में तथा 1980 के मास्को ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने चौथा स्थान हासिल किया था। 80 के दशक में मास्को ओलि िपक खेलने गई खिलाडिय़ों हरप्रीत कौर गिल, निशा, रूपा सैनी, शरणजीत कौर के अलावा अजिन्द्र कौर, सतिन्द्र वालिया, निर्मला कुमारी, प्रेमा सैनी, पुष्पिन्द्र कौर और उसके बाद गोल्डन गर्ल राजबीर कौर, सरोज बाला, मनजिंद्र कौर, अमनदीप कौर, रेनु बाला, अमनदीप कौर तखानबद्ध इत्यादि कई अन्य ऐसी पंजाब की खिलाड़ी थीं जिनका हॉकी का हुनर दुनिया में सिर चढ़ कर बोला। भारतीय महिला हॉकी टीम ने बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। 

नेहरू गार्डन जालन्धर और कैरों हॉकी सैंटरों का पंजाब की लड़कियों की हॉकी की तरक्की में बड़ा योगदान है। पर समय-समय की राज्य सरकारों ने कभी भी पंजाब की हॉकी तथा अन्य लड़कियों के खेलों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि पंजाब की महिला खिलाडिय़ों को नौकरियां हासिल करने के लिए मजबूरन दूसरे राज्यों या फिर अन्य विभागों का मुंह देखना पड़ता है। वर्तमान में हरियाणा खेल के क्षेत्र में पंजाब से कहीं आगे निकल चुका है। उसका एक बड़ा कारण यह है कि शाहाबाद मारकंडा और सोनीपत हॉकी सैंटर लड़कियों की हॉकी की तरक्की में अपना बहुमूल्य योगदान डाल रहे हैं। इसके अलावा वहां की खेल नीति महिला खिलाडिय़ों के हित में है। 

मगर दूसरी ओर पंजाब में जो लड़कियों के हॉकी सैंटर थोड़े-बहुत चलते हैं वह भी सरकार की मेहरबानियों के सदके बंद पड़े हैं। पंजाब की खेल नीति में लड़कियों के साथ हर तरह का पक्षपात होता है। यदि पंजाब में लड़कियों की हॉकी को बचाना है तो स्कूलों  और कालेजों  में सहूलियतों सहित हॉकी सैंटर खोलने पड़ेंगे। लड़कियों के लिए सरकार को विशेष प्रोग्राम बनाने पड़ेंगे। लड़कियों के लिए रोजगार के मौके भी पैदा करने पड़ेंगे। स्कूली स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की विजेता खिलाडिय़ों को नकद राशि तथा पुरस्कार दिए जाएं। लड़कियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एस्ट्रोटर्फ मैदानों का निर्माण किया जाए और बड़े स्तर पर हॉकी कोचों की नियुक्ति की जाए। 

सुरजीत हॉकी अकैडमी जालन्धर, जरखड़ अकैडमी, अमरगढ़ हॉकी सैंटर, कैरों, रामपुर हॉकी सैंटर हॉकी की तरक्की में अपना बहुमूल्य योगदान डाल रहे हैं। हॉकी सैंटरों को स्थायी ग्रांट तथा लड़कियों के हॉकी विंग भी अलॉट किए जाएं। इतना सब कुछ यदि पंजाब की हॉकी को मिल जाए तो यकीनन पंजाब की लड़कियां 2024 के पैरिस ओलंपिक्स तथा 2028 के लॉस एंजल्स ओलि िपक खेलों में अपने हॉकी के हुनर का रंग बिखेर कर पंजाब का नाम दुनिया में रोशन कर सकती हैं। आज लड़कियों का हॉकी के लिए जुनून सिर चढ़ कर बोल रहा है। पंजाब सरकार आज ही यह मौका संभाल ले नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।-जगरूप सिंह जरखड़

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