‘दिशाहीन है पंजाब का बजट’

Edited By ,Updated: 13 Mar, 2021 03:35 AM

punjab s budget is directionless

कभी भी पूरे न होने तथा जनता को भरमाने वाले वायदों से 4 वर्ष पूर्व सत्ता में आई कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कांग्रेस सरकार की अति नीरस तथा गैर-जिम्मेदाराना कारगुजारी से दुखी पंजाब का प्रत्येक वर्ग इस सरकार को सत्ता में से 2022 के विधानसभा चुनावों के समय...

कभी भी पूरे न होने तथा जनता को भरमाने वाले वायदों से 4 वर्ष पूर्व सत्ता में आई कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कांग्रेस सरकार की अति नीरस तथा गैर-जिम्मेदाराना कारगुजारी से दुखी पंजाब का प्रत्येक वर्ग इस सरकार को सत्ता में से 2022 के विधानसभा चुनावों के समय अलविदा करने का मन बना चुका है। एक मशहूर कहावत है कि, ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’। इसलिए न तो पंजाब और पंजाबियों का अपमान करते हुए मुख्यमंत्री पंजाब के प्रमुख सलाहकार प्रशांत किशोर की नियुक्ति से और न ही वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की  ओर से पेश किया गया राज्य का  2021-22 का वार्षिक बजट पंजाबियों के सत्ता परिवर्तन संबंधी इरादे बदल सकता हैं। 

‘जय जवान जय किसान’ के शीर्षक के अन्तर्गत जारी पंजाब बजट के अंदर न तो पंजाब के सैनिकों और न ही किसानों के लिए कुछ ऐसा कार्यक्रम दर्ज है, जो उनकी कुर्बानियों भरे जीवन में कोई सुखद पल ला सके। हिन्दुस्तान को ‘रोता हिन्दुस्तान’ बनाने वाली भाजपा के पंजाब से संबंधित नेता तरुण चुघ ने बजट पर सटीक टिप्पणी करते हुए इसे ‘रोंदा पंजाब बजट’ करार दिया है जो 100 प्रतिशत सही है। जिस समय वित्त मंत्री पंजाब में बजट प्रस्तुत कर रहे थे तब पंजाब के कर्मचारी विलाप कर रहे थे और पंजाब की गैर-मानवीय मारने-पीटने तथा दुव्र्यवहार करने वाली पंजाब पुलिस को हाथों-पैरों की पड़ी हुई थी। 

जब विधानसभा के पवित्र सदन में मनप्रीत सिंह बादल बजट पेश करते समय विधायकों को यह कह कर विश्वास दिला रहे थे कि, ‘‘मैं हाऊस में झूठ नहीं बोलता।’’ तो कुछ संवेदनशील विधायकों ने उनके चेहरे की ओर भावपूर्ण नजरों से देखते हुए मन ही मन में यह गुनगुनाया कि, ‘‘मैं हाऊस के टेबल से झूठ बोलता हूं।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तथा उनकी सरकार में शामिल मंत्रियों ने राज सत्ता के लिए आखिर कौन-कौन-सा झूठ नहीं बोला। गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर और शपथ ग्रहण कर लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया गया। वित्त मंत्री का बजट पंजाब तथा पंजाबियों की आॢथक मंदी, सामाजिक लाचारी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बढ़ रही गरीबी तथा निराशा, दिन-ब-दिन गिर रहा स्वास्थ्य स्तर, शिक्षा, सड़कें, बिजली, स्वच्छ पानी, सिंचाई तथा स्वच्छता संबंधी सेवाओं के स्तर को दूर करने के लिए कोई प्रोग्राम पेश नहीं करता है। 

उन्होंने यह इकरार किया है कि वह पंजाब को आने वाली मुश्किलों को दूर करने या उनका समाधान ढूंढने के लिए पूरी तरह नाकाम तथा असमर्थ हैं। इसलिए वह भविष्य में यह पद स्वीकार नहीं करेंगे। यह उनका आखिरी बजट है। पिछले 4 वर्ष से पंजाब का खजाना खाली होने का रोना रोने वाले वित्त मंत्री सिर्फ लिखती तौर पर पंजाब के विभिन्न वर्गों को भरमाने का प्रयत्न करते दिखाई दिए। वास्तविकता यह है कि 2.73 लाख करोड़ के ऋण के नीचे दबा हुआ पंजाब अगले साल तक साढ़े 3 लाख करोड़ के ऋण के नीचे दब कर रह जाएगा। इस ऋण का ब्याज देने और हर माह काम चलाने के लिए सरकार को बाजार से उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 

बजट में पंजाब के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़ी 49989 रिक्तियां भरने की घोषणा दर्शाती है कि किस तरह पिछले 4 सालों से विभिन्न विभाग सार्वजनिक सेवाएं देने में बुरी तरह नाकाम थे। मुफ्त बस सेवा महिलाओं तथा विद्यार्थी वर्ग के लिए करने की घोषणा पूरी तरह से ढोंग है। जब गांवों तथा कस्बों के रूटों पर पंजाब रोडवेज बसें चलती ही नहीं तो फिर किस महिला तथा किस विद्यार्थी के लिए मुफ्त बस सेवा कार्य करेगी? बुढ़ापा पैंशन 750 रुपए प्रति माह से बढ़ा कर 1500 रुपए की गई है। शगुन स्कीम 51,000 रुपए की गई है। कागजों में यह एक बढिय़ा घोषणा है। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए 7500 से बढ़ा कर 9400 रुपए प्रति माह पैंशन की गई है। शिरोमणि साहित्य और शिरोमणि पत्रकारों के लिए क्रमश: 10 से 20 तथा 5 से 10 लाख के पुरस्कार बढ़ाए गए हैं। 4-5 साल बाद ही यह किसी सरकार ने देने हैं। तब तक महंगाई और बढ़ चुकी होगी। 

किसानों का कर्ज चुकाने के लिए 1186 करोड़,श्रमिकों का कर्जा चुकाने के लिए 526 करोड़ रु. रखे गए हैं। मगर कैप्टन साहब आपने तो शपथ खाई थी कि सभी आढ़तियों, बैंकों तथा को-आप्रेटिव का ऋण चुकाएंगे, यह सब बातें कौन पूरी करेगा। किसानों की ओर से रासायनिक खादों, कीटनाशक दवाइयों, यंत्र, ट्रैक्टर खरीदे जाने की कीमतों में कटौती की मांग थी। केंद्र सरकार जो एक रुपए प्रति लीटर और पंजाब सरकार 27 रुपए जो वैट तेल की कीमतों पर लगाती है उसमें पंजाब ने एक पैसा कटौती न कर किसानों को कोई बड़ी राहत नहीं दी। ऐसी ही राहत निजी वाहन, बसों, ट्रक, टैंपो आदि के मालिकों को दी गई है। 

अमरीका, कनाडा और यूरोप द्मह्य हर शहर, कस्बे और गांवों के साथ-साथ छोटी फूड प्रोसैसिंग, तकनीकी और औद्योगिक यूनिटह्य3 मौजूद हैं जहां पर स्थानीय लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। दूध संबंधी मिल्क प्लांट लगे हुए हैं। इसके साथ-साथ पनीर और बटर प्लांट भी लगे हुए हैं। मगर वित्त मंत्री ने बटाला में देगी, जालन्धर में स्पोटर््स, लुधियाना में हौजरी, मंडी गोङ्क्षबदगढ़ में स्टील उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए एक पैसा नहीं दिया। फिर नौजवानों को आखिर कहां से रोजगार मिलेगा? 

सरकारी कर्मचारी सरकार की आंखें, कान तथा नाक होते हैं मगर कैप्टन की सरकार ने इनकी कभी भी कोई सुध नहीं ली। पंजाब के छात्रों का विदेशों में यह मूल्य है कि वे वहां पर ट्रक, टैक्सी चालक, चौकीदार, होटल, फैक्टरी या स्टोर या फिर सफाई कर्मचारी का कार्य करते हैं, फिर चाहे वे बी.टैक, एम. टैक, एम.बी.ए. या फिर एम.एस.सी. हों। स्वास्थ्य विभाग का इतना बुरा हाल है कि स्वास्थ्य मंत्री कोरोना होने पर प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाते हैं। शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, भाजपा और बसपा ने ही नहीं बल्कि पंजाब के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों और कारोबारी संगठनों ने भी इस बजट की ङ्क्षनदा की है और इसे दिशाहीन बताया है।-दरबारा सिंह काहलों
 

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