Edited By ,Updated: 31 Mar, 2021 04:17 AM
हाल में सम्पन्न चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) शिखर सम्मेलन में कुछ खास विचारों और नई बहस ने जन्म लिया है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमरीका के बीच अनौपचारिक
हाल में सम्पन्न चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) शिखर सम्मेलन में कुछ खास विचारों और नई बहस ने जन्म लिया है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमरीका के बीच अनौपचारिक रणनीतिक बिंदुओं पर एक सांझा नीति का आधार बना।
इस नीति का विश्व राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री योशीहाइड सुगा के बीच ऐतिहासिक वर्चुअल चतुर्थ शिखर सम्मेलन में दक्षिण और पूर्वी चीन समुद्र, उत्तर कोरिया परमाणु मुद्दे, नेविगेशन सहित प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दे, एशिया में वितरण के लिए 2022 तक वैक्सीन की एक अरब खुराक का निर्माण जैसे मुख्य विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स को देखते हुए इस तरह के संगठन को गैर-जरूरी बताया है और कहा है कि ऐसे संगठन की कोई उपयोगिता नहीं है और न ही इसका कोई प्रभाव होगा। उसने यह भी कहा है कि चीन की चुनौती या खतरे को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
यह सच है कि विश्व की समस्याएं बदलती रहती हैं और प्रत्येक राष्ट्र उसके समाधान की पूरी कोशिश करता है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को तय करने के लिए कोई भी घटना सर्वोच्च नहीं है लेकिन महत्वपूर्ण अवसरों से छिपे महत्वपूर्ण संदेशों को समझना चाहिए। यह तय है कि क्षेत्रीय स्तर पर क्वाड की इस बैठक का एक महत्वपूर्ण असर होगा। लोकतंत्र के आधार पर वैश्विक शासन की आवश्यकता और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों के माध्यम से मानवता की प्रगति के लिए सुधारों के संदर्भ में भी समझना होगा।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण राष्ट्र के रूप में उभरा है। सॉफ्ट पावर- तकनीक, स्वास्थ्य आदि मसलों पर भारत ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। क्वाड में भारत की उपस्थिति चीन की क्षेत्रीय योजनाओं और वैश्विक स्थिति के लिए सीधी चुनौती है। वर्तमान समय में कूटनीति की गतिशीलता बेहद जटिल है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नए सुरक्षा के खतरे भी हैं। कोविड के बाद के दौर में अर्थव्यवस्था को पुन: आरंभ करना किसी भी राष्ट्र के लिए सरल नहीं है। किसी भी देश के सामने व्यापार या उससे जुड़ी अनेक प्रक्रियाओं में जहां चीन शामिल है, विश्वास की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है। विश्वास राष्ट्रीय और वैश्विक शासन के लिए एक जरूरी कारक है।
फिलीपींस और वियतनाम ने अक्सर चीन के विश्वास तोडऩे के खिलाफ नाराजगी जताई है। जाहिर है जब आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ शांति और सुरक्षा को लेकर यही पड़ोसी मुल्क भारत पर यकीन करते हैं, तब यह चीन के लिए ङ्क्षचता का कारण बन जाता है। एशिया पैसिफिक क्षेत्र में आक्रामक चीन सभी के हितों को प्रभावित करता है। इसी क्षेत्र में चीन का बढ़ता सैन्य युद्धाभ्यास, साथ ही आक्रामकता और जबरदस्ती का उपयोग करके पारदर्शिता की कमी का मुकाबला करना एक पुरानी रणनीति हैै। चीन के इस व्यवहार पर कई देशों ने उससे नाराजगी भी जताई है। इस क्षेत्र में इस भयावहता पर नियंत्रण रखने के लिए यह समूह एक महत्वपूर्ण मंच हो सकता है।
किसी भी राष्ट्र के आर्थिक मॉडल का प्रकार, उसकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। समृद्धि , समता और पारदर्शिता के आधार पर नियमों की आवश्यकता होती है। व्यापार समझौते बहु-आयामी हैं जहां एक पक्ष की ओर से नियमों को न कहना, दूसरे के लिए भारी समस्या पैदा कर सकता है। व्यापार युद्ध ने सबको दिखाया कि चीन कैसे टैरिफ,सस्ते विनिर्माण रणनीति के साथ खिलवाड़ करता है और किसी भी नियम का पालन नहीं करता है। हाल में अमरीकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक के साथ बात की है और भविष्य के लिए इसकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए इसके भीतर सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा भी की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में ‘नए प्रकार के मानव-केंद्रित वैश्वीकरण’ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है। विश्व शासन का विचार जो सुधारों पर आधारित हो, एक राष्ट्र द्वारा आक्रामक व्यवहार और जबरदस्ती उपयोग के कारण बंधक नहीं बनाया जा सकता है। महामारी के सबक से हमें सीखने की जरूरत है। क्वाड हमारे वैश्विक मुद्दों को फिर से परिभाषित करने के लिए एक ठोस मंच प्रदान करता है। क्वाड ने यह रेखांकित किया है कि आने वाले समय के लिए लोकतांत्रिक मूल्य एशिया के परिप्रेक्ष्य को परिभाषित करेगा, जो निश्चित रूप से चीन के लिए समस्या का सबब बनेगा।-डा. आमना मिर्जा