‘क्वीन’ को महाराष्ट्र सरकार ने ‘हीरो’ बना दिया

Edited By ,Updated: 18 Sep, 2020 03:05 AM

queen  has been made maharashtra by maharashtra government

अपनी बात मैं कुछ कहावतों से पाठकों के सामने रखता हूं। ‘तू कौन- मैं खामख्वाह’, ‘सद्दी न सदाई-मैं मुंडे दी ताई’, ‘आ बैल मुझे मार’, ‘अंडे किते ते कुड़-कुड़ किते’, ‘लैणी इक न देणी दो’। ये सारी कहावतें शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार ने अपने ऊपर

अपनी बात मैं कुछ कहावतों से पाठकों के सामने रखता हूं। ‘तू कौन- मैं खामख्वाह’, ‘सद्दी न सदाई-मैं मुंडे दी ताई’, ‘आ बैल मुझे मार’, ‘अंडे किते ते कुड़-कुड़ किते’, ‘लैणी इक न देणी दो’। ये सारी कहावतें शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार ने अपने ऊपर सत्य सिद्ध कर लीं। पूछो क्यों? क्योंकि फिल्म एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या आत्महत्या केस में कानून अपना काम कर रहा था।

मुम्बई पुलिस या बिहार पुलिस अपना-अपना ढंग अपना कर केस की तह तक जाने में लगी हुई थीं। सिने-उद्योग के एक्टर-एक्ट्रैसिस एक-दूसरे पर छींटाकशी कर रहे थे। करते रहते। रिया चक्रवर्ती ने क्या किया, क्या नहीं किया यह जांच का विषय है। कंगना रनौत ने यदि कह ही दिया कि फिल्मी दुनिया में भाई-भतीजावाद चलता है, इसमें नशे का कारोबार जोरों पर है और मुझे ऐसा लगता है जैसे ‘पाक-अकुपाइड कश्मीर’ हो  तो कौन-सा आसमान महाराष्ट्र सरकार पर टूट पड़ा? 

कोई भी सच्चे मन से बताए शिवसेना की इसमें क्या हेठी हुई? मराठा अस्मिता को कहां चोट लगी? व्यापारिक राजधानी मुम्बई का क्या घटा? एक साधारण सी एक्टर कंगना रनौत के दो वाक्यों से महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार तो गिरने से रही? परन्तु महाराष्ट्र सरकार के माननीय संसद सदस्य संजय राउत कंगना रनौत के दो वाक्यों से इतने बिफरे कि अपनी ही सरकार की किरकिरी करवा बैठे। राजनीति की मर्यादित भाषा ही भूल बैठे? एक महिला को ‘हरामखोर’ की उपाधि दे दी? यही नहीं, शिवसेना जैसे संगठन को कंगना का विरोध करने के लिए सड़कों और हवाई अड्डे पर उतार दिया। धमकी दे डाली कि मुम्बई में घुसने नहीं देंगे। यह भी कह दिया कि वह पाकिस्तान चली जाए? संजय राउत ने एक महिला के हठ को चुनौती दे डाली। 

कंगना तो पहले ही चुनौतियों से पंगा लेती रही थी। तत्काल 9 सितम्बर को मुम्बई आने की घोषणा कर दी। मैं हिमाचल प्रदेश के राजपूत घरानों को जानता हूं। ठान लिया तो ठान लिया। हिमाचल के माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कंगना को हिमाचल की बेटी कह उसे ‘वाई प्लस’ सुरक्षा प्रदान कर दी। केंद्र से गृहमंत्री अमित शाह, कंगना रनौत की पीठ पर खड़े हो गए। कंगना ‘शहंशाह’ बन गई। 

कंगना रनौत अपने तयशुदा प्रोग्राम अनुसार मुम्बई आई। शिवसेना ने भरपूर विरोध किया। उसका बंगला नेस्तोनाबूद कर दिया। पहले कंगना रनौत हीरोइन थी शिवसेना के विरोध ने उसे ‘हीरो’ बना दिया। शिवसेना को क्या मिला? जगहंसाई। महिला संगठनों  द्वारा देशभर में महाराष्ट्र सरकार का विरोध? ‘कंगना अगे नहीं सी मान, हुण ओह जा चढ़ी आसमान, केवल महाराष्ट्र सरकार की नासमझी के कारण। मैं पूछता हूं राजनीति में महाराष्ट्र सरकार के विरोधी इस घटना का लाभ क्यों न उठाएं? उन्होंने शिवसेना के ‘कंगना कांड’ को खूब भुनाया। बिहार विधानसभा के अगले महीने होने वाले चुनाव में और भुनाएंगे। 

मैं तो कंगना रनौत को एक फिल्मी एक्ट्रैस ही समझता था परन्तु जब उसकी पृष्ठभूमि देखी तो दंग रह गया। कंगना रनौत कला क्षेत्र में भारत गणराज्य का चौथा सर्वोच्च अलंकार ‘पद्मश्री’ छोटी आयु में ही प्राप्त कर चुकी हैं। तीन-तीन तो अंतर्राष्ट्रीय सिने अकादमी पुरस्कार पा चुकी है। चार बार यह अभिनेत्री फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त कर चुकी है। तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने का भी गौरव पा चुकी है। सुना है कि सारा बॉलीवुड इस कंगना रनौत को ‘क्वीन’ कह कर पुकारता है। ऐसा सम्मान तो मैं समझता हूं एक्ट्रैस नरगिस, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, आशा पारिख, सुरैया या नूतन जैसी सिने तारिकाओं को भी नहीं मिला होगा। 

ऊपर से कंगना पूरी बिंदास महिला। कला के क्षेत्र की बात न भी करें तो कंगना रनौत अपने रोमांस को भी कभी छिपाती नहीं दिखी। महज 15-16 साल की आयु में जिस लड़की ने अपने ‘आर्थोडोक्स’ परिवार की रूढि़वादी मान्यताओं को ठुकरा कर दिल्ली या मुम्बई जैसे शहरों की चुनौतियों को स्वीकार किया, भला वह शिवसेना सरकार की चुनौती को क्यों स्वीकार न करे? शिवसेना ने समझा होगा कि हिमाचल के मंडी-मनाली जैसे पिछड़े से गांव की लड़की हमारे जाहो-जलाल का क्या मुकाबला करेगी? कंगना रनौत ने न केवल हिमाचल के मुख्यमंत्री को अपनी ओर किया बल्कि केंद्र सरकार को भी अपने पक्ष में खड़े होने को बाध्य कर दिया। सारे देश की दृष्टि को अपनी ओर आकॢषत कर लिया। शायद शिवसेना नेता संजय राउत को इस सबका आभास न था। सारे देश में प्रीसैप्शन यह गया कि महाराष्ट्र सरकार ने एक लड़की से ज्यादती की है। 

मुम्बई के सिने-उद्योग में 2006 से 2020 के चौदह वर्षों में कंगना-रनौत ने नाम, पैसा, शोहरत और प्रसिद्धि के सारे आयाम छू लिए। मैंने तो कंगना को महज एक बार रजत शर्मा के शो ‘आपकी अदालत’ में ही देखा था। मैं  उस बेबाक सिने एक्ट्रैस के जवाबों से दंग रह गया। ‘हां, मैंने अपने से बीस साल बड़े, विवाहित आदित्य पंचोली से प्यार किया, शेखर सुमन के बेटे अध्ययन के निकट रही, ऋतिक रोशन जैसे विवाहित एक्टर के साथ ‘लिव इन रिलेशन’ में रही, पर धौंस किसी की स्वीकार नहीं की। अपनी शर्तों पर जिंदगी को जिया और बॉलीवुड में एक मुकाम हासिल किया। 

महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने कंगना पर कोई उपकार नहीं किया। अलबत्ता एक जुझारू महिला के नाम से प्रसिद्ध कर दिया। कंगना ने अपना फिल्मी करियर एक थ्रिलर फिल्म ‘गैंगस्टर’ से 2006 में शुरू किया और अपनी पहली ही फिल्म से महिला पात्र के श्रेष्ठ अभिनय का पहला खिताब जीत लिया। फिल्म अदाकारा प्रवीण बॉबी और महेश भट्ट की जीवनी पर बनी फिल्म ‘वो लम्हे’ से सिने प्रेमियों के दिलों को जीत लिया। फिल्म ‘लाइफ इन मैट्रो’ से ‘स्टार डस्ट’ के अवार्ड से अलंकृत हुई। 2008 में आई फिल्म ‘फैशन’ में नशे में धुत्त एक सुपर माडल के किरदार से सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने लगी। वैसे तो कंगना ने कई फिल्में कीं, परन्तु प्रसिद्धि मिली फिल्म ‘क्वीन’, ‘तनु वैड्स मनु रिटन्र्स’, ‘पंगा’, ‘मणिकॢणका’ और तमिलनाडु की स्वर्गीय मुख्यमंत्री जयललिता के जीवन पर बनने वाली फिल्म ‘थलाइवी’ से। 

बॉलीवुड में समय चलता गया और कंगना रनौत इतिहास रचती चली गई। पर यह तो किसी के ख्वाब में भी नहीं था कि कंगना रनौत के  फिल्म एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या आत्महत्या पर बोले गए दो वाक्य उसे ‘शेरनी’ बना देंगे। शिवसेना की महाराष्ट्र सरकार से टक्कर लेने पर बाध्य कर देंगे। कंगना रनौत को फिल्मी हीरोइन से वास्तविक हीरो बनाने का काम यदि किसी ने किया है तो वह है महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार या उसके संसद सदस्य संजय राउत ने। आज महाराष्ट्र सरकार कटघरे में खड़ी है और देशभर की सहानुभूति कंगना के साथ है।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!