प्रश्र नीयत और नीति का

Edited By ,Updated: 23 Nov, 2021 05:46 AM

question of intent and policy

महाराजा रणजीत सिंह की नीयत थी हलेमी राज के गुरमत सिद्धांत, जो स्पष्ट रूप से राज्य की ताकत, न्याय, समाज सेवा, प्रगति और दया पर आधारित हों। महाराजा रणजीत सिंह की नीतियां भी

महाराजा रणजीत सिंह की नीयत थी हलेमी राज के गुरमत सिद्धांत, जो स्पष्ट रूप से राज्य की ताकत, न्याय, समाज सेवा, प्रगति और दया पर आधारित हों। महाराजा रणजीत सिंह की नीतियां भी इसे स्पष्ट करती हैं। भारत में राज्य की अवधारणा राम राज पर आधारित रही है लेकिन देश की गुलामी ने इन दो राज्य अवधारणाओं को आगे नहीं बढऩे दिया! देश की आजादी के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी देने वाले सिख समुदाय को आजादी के बाद समानता की उम्मीद थी लेकिन मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट ने साफ कर दिया था कि सिख समुदाय को आजादी के बाद भी कुछ विशेष नहीं मिलेगा। 

सिख गुरुओं के बलिदान के बाद से मुगल नीति सिख समुदाय के खिलाफ रही है। आजादी के बाद ब्रिटिश सिख विरोधी पि_ू कांग्रेस में शामिल हो गए और पंजाब के साथ अन्याय और वायदों के उल्लंघन की कहानी शुरू हो गई। पंजाब के साथ अन्याय की एक लंबी कहानी है। पंजाबी बोली, पंजाबी राज्य,  पंजाब की नदियां और राजधानी भी पंजाबियों के लिए मुद्दे रहे हैं। 

आप्रेशन ब्ल्यू स्टार, दिल्ली और अन्य जगहों पर हुए नरसंहार के मामले में न्याय की जिम्मेदारी किसकी थी!‘चोर मचाए शोर’ वाली कहावत पंजाब पर भी लागू हुई। पंजाब के विरोधियों ने मीडिया पर कब्जा करके केवल पंजाब और सिख समुदाय से प्यार करने वाले संगठन और राजनीतिक पार्टी को सिख विरोधी और पंजाबी विरोधी साबित करने की कोशिश की। 1984 में श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहादत समागम के दिन कांग्रेस पार्टी की सरकार ने स्वर्ण मंदिर के निकट कफ्र्यू लगाकर कई निर्दोष सिख श्रद्धालुओं की हत्या कर दी। कुछ को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया। 

गुरु गोलवलकर ने पंजाबियों को अपनी मातृभाषा पंजाबी लिखवाने को कहा, जो कि रिकॉर्ड का हिस्सा है। भारतीय जनसंघ के केंद्रीय नेताओं ने भी अपनी पार्टी के पंजाब के नेताओं को इस नीति का पालन करने का निर्देश दिया था। यह भी सच है कि जब भी जरूरत पड़ी, जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी ने अपने अधिकारों का बलिदान दिया और पंजाब में ङ्क्षहदू-सिख समुदाय के विकास के लिए शिरोमणि अकाली दल का समर्थन किया। 

कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं, इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है कि ये अच्छे हैं या बुरे। यह नीयत की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि अधिनियम को निरस्त करने की घोषणा के लिए जिस दिन और पद्धति का चयन किया गया, उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। श्री गुरु नानक देव जी की 552वीं जयंती पर गुरु चरणों में विनम्रतापूर्वक इस कानून को वापस लेने की पेशकश की गई और सेहरा सिख समुदाय के सिर पर बांधा, जो देश की आबादी के 2 प्रतिशत से भी कम हैं। कोई और दिन चुनकर किसी और को भी खुश किया जा सकता था! 

एक सरकार और उसके प्रधानमंत्री ने श्री गुरु अर्जुन देव जी की पुण्यतिथि पर सेना भेज कर स्वर्ण मंदिर पर हमला किया और एक प्रधानमंत्री ने प्रकाश पर्व के अवसर पर विनम्रता से गुरु नानक देव जी के चरणों में कृषि अधिनियम वापस करने का प्रस्ताव रखा। गुरु साहिबों में किसकी आस्था है? सिख समुदाय से कौन प्यार करता है? ये प्रश्न पाठकों पर छोड़ता हूं। मैं काली सूची को समाप्त करने, लंगर पर जी.एस.टी. को समाप्त करने, गुरुपर्व के एक विश्वव्यापी उत्सव और अन्य बहुत से किए गए कामों का उल्लेख नहीं करूंगा और न ही मैं भाजपा द्वारा अल्पसंख्यक आयोग की अध्यक्षता एक सिख को सौंपने की बात करूंगा। 

मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं और मैं सिख समुदाय के लिए उनकी सोच और प्यार के बारे में बात करना जारी रखूंगा। केवल भारतीय जनता पार्टी ही सिख समुदाय का भला कर सकती है, यह बात सत्य है।-अजयवीर सिंह लालपुरा

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