मोदी के लिए चुनौती बनकर उभर रहे हैं राहुल गांधी

Edited By Pardeep,Updated: 05 Dec, 2018 04:14 AM

rahul gandhi is emerging as a challenge for modi

क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक चुनौती बन कर उभरेंगे? वह बन सकते हैं, यदि भाग्य उनका साथ देता है तथा कांग्रेस वर्तमान में जारी 5 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम...

क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक चुनौती बन कर उभरेंगे? वह बन सकते हैं, यदि भाग्य उनका साथ देता है तथा कांग्रेस वर्तमान में जारी 5 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम तथा तेलंगाना में जारी विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति में सुधार करती है। ये राज्य कुल मिलाकर 83 लोकसभा सीटें बनाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व इन चुनावों को सैमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है और ये इस बात का भी संकेत देंगे कि भाजपा कहां खड़ी है। पहले तीन राज्य भाजपा शासित हैं जबकि मिजोरम में कांग्रेस का तथा तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति का शासन है। इन दो राज्यों में भाजपा निम्र स्थिति में है। 

राहुल के नेतृत्व में पहला ‘मिनी चुनाव’
कांग्रेस के साथ-साथ इसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी ऊंचे दाव लगे हैं, जोकि बहुत जोरदार प्रचार कर रहे हैं। मार्च में पार्टी की कमान सम्भालने के बाद उनके नेतृत्व में यह पहला मिनी आम चुनाव होगा। 2014 में मात्र 44 सीटें प्राप्त कर सर्वाधिक खराब स्थिति में आने के बाद सोनिया गांधी ने अपना पद छोड़ दिया था और अब यदि कांग्रेस सुधार कर सकी तो यह युवा गांधी के लिए एक बड़ी लाभ की स्थिति होगी। 

शुरूआत में राहुल ने जमीनी स्तर के नेताओं को प्रोत्साहित करने तथा शीर्ष स्तर पर नए खून का संचार करने का प्रयास किया मगर पुराने कांग्रेसियों ने सफलतापूर्वक उनका विरोध किया। उपाध्यक्ष होने के नाते उन्होंने मधुसूदन मिस्त्री, सी.पी. जोशी तथा मोहन प्रकाश जैसे कम अनुभवी नेताओं के साथ अपना खुद का केन्द्रीय समूह बनाने का प्रयास किया लेकिन जब वह एक बार अध्यक्ष बन गए तो उन्होंने उन्हें हटा दिया तथा आजमाए हुए व विश्वसनीय पुराने नेताओं की ओर मुड़ गए। 

इससे भी बढ़ कर, 2014 के बाद से पहली बार कांग्रेस ने चुनावों के इस दौर में प्रबल दावेदार के तौर पर शुरूआत की। बहुत कुछ इन चुनावों के परिणामों पर निर्भर करता है जैसे कि 2014 में छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सभी 11, मध्य प्रदेश में 29 में से 26 तथा राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीटें जीती थीं। भाजपा की जोरदार जीत को मोदी के जादू के जारी रहने के तौर पर देखा जाएगा। लेकिन मोदी तथा राहुल के बीच चुनौती काफी दिलचस्प है। जहां भाजपा को इन पांच राज्यों में बहुमत जीतना होगा, वहीं पार्टी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए गांधी को मात्र एक राज्य जीतना होगा। भाजपा के लिए हिन्दी पट्टी में विजय बरकरार रखना यह संदेश देने के लिए महत्वपूर्ण है कि 2019 से पूर्व इसका आधार बरकरार है। 

कोई लहर नहीं
दिलचस्प बात यह है कि इन चुनावों में कोई लहर नहीं है। मुख्यमंत्रियों को गम्भीर सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। मुद्दे न्यूनाधिक राज्य से ही संबंधित हैं लेकिन कुल मिलाकर बिजली की कमी, पानी, जनजातीय कल्याण, नक्सलवाद, सत्ता विरोधी लहर, कृषि संकट, पैट्रोल की कीमत में वृद्धि, राफेल, नोटबंदी तथा जी.एस.टी. को लेकर है। यद्यपि राजस्थान तथा तेलंगाना में अभी चुनाव होने हैं, चुनावी तथा राजनीतिक पंडित भाजपा के पतन से लेकर कांग्रेस की विजय तक चुनाव परिणामों के विभिन्न परिदृश्यों की भविष्यवाणी कर रहे हैं। सी वोटर के अनुसार कांग्रेस राजस्थान में बड़ी विजय प्राप्त कर सकती है, तेलंगाना में जीत सकती है और सम्भवत: कम अंतर से मध्य प्रदेश भी। 

यहां तक कि छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना में कांग्रेस को करीबी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। सट्टा बाजार, जिसमें प्रत्येक चुनावों में करोड़ों रुपयों के दाव लगते हैं, राजस्थान में कांग्रेस की विजय तथा मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ इसकी करीबी लड़ाई, 50:50 के अवसरों का अनुमान लगा रहा है। कांग्रेस के लिए बेहतरीन स्थिति तो 5-0 या 4-0 से जीत होगी। भविष्यवाणियों से उत्साहित, पार्टी में आशावादियों ने पहले ही यह कहना शुरू कर दिया है कि वे सभी राज्यों में अप्रत्याशित जीत प्राप्त कर सकते हैं। इससे भी बढ़कर, ऐसी विजय विपक्ष में एक नई जान फूंकेगी तथा भाजपा विरोधी दलों को राहुल गांधी के नेतृत्व में एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित करेगी। पहले ही 2019 के चुनावों से पूर्व विपक्षी एकता के लिए प्रयास जारी हैं। 

कांग्रेस अध्यक्ष का नया अवतार 
कुछ गड़बडिय़ों के बावजूद राहुल गांधी मोदी के लिए प्रमुख चुनौतीदाता के रूप में उभरे हैं जैसे कि कुछ हालिया सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि मोदी को चुनौती देने वाले के तौर पर गांधी की स्वीकार्यता बढ़ रही है। भाजपा के हिन्दुत्व का सामना करने के लिए कांग्रेस के रणनीतिकार गांधी को एक नए अवतार में पेश करने में व्यस्त हैं। एक नरम हिन्दुत्व अपनाते हुए गांधी एक के बाद एक मंदिरों में जा रहे हैं तथा खुद को भगवान शिव के श्रद्धालु के तौर पर पेश कर रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें एक जनेऊधारी तथा खालिस कश्मीरी ब्राह्मण घोषित किया है। 

इस समय सब कुछ कांग्रेस के पक्ष में दिखाई देता है जैसे कि 3 राज्यों में सत्ता विरोधी लहर, स्थानीय स्तर के नेतृत्व का उभरना तथा मोदी के भाषणों का विरोध। इसकी रणनीति कृषि संकट, बेरोजगारी तथा 2014 में किए गए चुनावी वायदों का पूरा न होने जैसे मुद्दों के माध्यम से भाजपा को घेरने की है। भाजपा ने गांधी की आलोचना को गम्भीरतापूर्वक लेना तथा प्रत्येक टिप्पणी से निपटना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनावों से पूर्व हिन्दी पट्टी में कांग्रेस के लिए हार एक और बड़ा झटका साबित होगी। भाजपा को अपनी छवि बचाने के लिए 3 बड़े राज्यों में से कम से कम एक में विजय प्राप्त करनी होगी। पार्टी के लिए सबसे खराब स्थिति सभी 3 राज्यों में पराजय होगी क्योंकि इसका 2019 के चुनावों पर व्यापक असर होगा। एक मिश्रित परिणाम दोनों पाॢटयों के लिए छवि बचाने वाला साबित होगा। इससे 2019 के चुनावों का प्रश्र खुला रहेगा।-कल्याणी शंकर

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