राहुल गांधी सोशल मीडिया पर एक नए अवतार में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 01:00 AM

rahul gandhi on social media in a new incarnation

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोशल मीडिया में एक नए अवतार में सामने आए हैं, अब वह मोदी सेना को उनकी ही भाषा में जवाब देने में सिद्धहस्त होते जा रहे हैं, आखिर कौन है वह जिसने सोशल मीडिया में कांग्रेस के कुंद हथियार को एक नई धार मुहैया करा दी है,...

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोशल मीडिया में एक नए अवतार में सामने आए हैं, अब वह मोदी सेना को उनकी ही भाषा में जवाब देने में सिद्धहस्त होते जा रहे हैं, आखिर कौन है वह जिसने सोशल मीडिया में कांग्रेस के कुंद हथियार को एक नई धार मुहैया करा दी है, बहुत से लोग अब इस नाम को जानने लगे हैं, यह कन्नड़ फिल्मों की पूर्व अभिनेत्री दिव्या स्पंदन उर्फ रमैया है, जिन्होंने गुजरात चुनाव की पूर्व बेला में कांग्रेस बनाम भाजपा की वर्चुअल जंग को बेहद मारक और आक्रामक बना दिया है। 

अपनी अमरीका यात्रा से पूर्व ही राहुल गांधी ने कांग्रेस के आई.टी. सैल के प्रमुख दीपेंद्र हुड्डा को चलता कर उसकी जगह रमैया को पार्टी के आई.टी. सैल की कमान सौंपी है। दिव्या उर्फ  रमैया पहले भी दीपेंद्र हुड्डा की टीम में थीं पर उनकी बातों को अब तलक कान नहीं दिया जा रहा था, दीपेंद्र हुड्डा अपने तरीके से आई.टी. सैल को हैंडल कर रहे थे। राहुल मंडली को भी पिछले काफी समय से ऐसा लग रहा था कि दीपेंद्र प्रतिक्रिया देने में देर कर रहे हैं, शायद यही वजह है कि मोदी की आर्मी राहुल को सोशल मीडिया पर आसानी से ट्रोल कर देती थी, पर जब से रमैया ने मोर्चा संभाला है राहुल की सोशल मीडिया के पंख निकल आए हैं।

रमैया ने इसका आगाज गुजरात चुनाव की पृष्ठभूमि में इस जुमले को उछाल कर किया कि- ‘विकास, गांदो थायो छे’ यानी गुजरात में विकास पगला गया है। उसके बाद तो मोदी की तर्ज पर राहुल ने भी जुमलेबाजी की नई मिसाल गढ़ दी, जिसमें जी.एस.टी. को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ पुकारना भी शामिल था। कांग्रेस का यह दाव चल निकला है और दिव्या की गाड़ी भी चल पड़ी है। राहुल ने दिव्या को फ्री-हैंड दे दिया है ताकि वो आई.टी.सैल को मनचाहा आकार और विचार दे सके, चुनांचे कांग्रेस के आई.टी. सैल में पहले जहां 10-15 फीसदी लड़कियां या महिलाएं काम करती नजर आती थीं, आज करिश्माई रूप से यह तादाद बढ़कर 70-80 फीसदी तक पहुंच गई है। आई.टी. सैल का आकार भी लगभग दोगुना हो गया है। अपनी नई साइबर सेना से लैस राहुल अब न केवल बेहद हमलावर मुद्रा में हैं, बल्कि वह भाजपा को उसी की बोली में जवाब देना भी सीख गए हैं। 

योगी का मीडिया योग
यू.पी. में अखिलेश और मायावती राज में पत्रकारों की पौ-बारह थी, पर मौजूदा योगी सरकार में पत्रकारों की हालत खस्ता हो गई है। योगी ने महज सरकारी विज्ञापनों के लिए कुकरमुत्तों की तरह राज्य में उग आए गिनती के छपने वाले पत्र-पत्रिकाओं को अपनी सरकार के विज्ञापन देने बंद कर दिए हैं। इसके अलावा योगी ने राज्य के वैसे पत्रकारों की पूरी लिस्ट निकाल ली है जिनका लखनऊ में अपना घर है, बावजूद वे वर्षों से सरकारी कोटे के घरों में कुंडली मारे बैठे हैं। 

योगी को तब आश्चर्य हुआ जब उन्होंने देखा कि कई पत्रकारों की तो संभ्रांत कॉलोनियों में आलीशान कोठियां हैं, जिन्हें उन्होंने मोटे किराए पर चढ़ा रखा है। एक पत्रकार ने तो अपना घर एक बैंक को लीज कर रखा है जहां से उन्हें महीने के साढ़े 3 लाख रुपए मिल रहे हैं, तो कइयों ने अपने घर स्पॉ और रैस्टोरैंट चलाने के लिए किराए पर दे रखे हैं। ऐसे पत्रकारों से सरकारी घर खाली कराए जा रहे हैं, अधाए-खाए-बुढ़ाए कई वरिष्ठ पत्रकार राज्य की योगी सरकार से बेतरह नाराज हैं, उनकी कलम आग उगल रही है और वे पानी-पानी हैं। 

वेंकैया का दक्षिण-प्रेम
वेंकैया नायडू भले ही देश के उप राष्ट्रपति पद पर शोभायमान हो गए हों, पर रगों में दौडऩे-फिरने की कायल राजनीति से उनका मोहभंग होता नहीं दिख रहा, कभी उन्हें यह गुमान था कि वह दक्षिण में एकमात्र स्वीकार्य भगवा चेहरे हैं, पर जब दिल्ली का निजाम बदला तो सियासत के दस्तूर भी बदले और वेंकैया नायडू को एक संवैधानिक पद पर गाजे-बाजे के साथ बिठा दिया गया पर कुछ तो वजह है कि आज भी वह दक्षिण का मोह नहीं छोड़ पा रहे, सप्ताह के पांचों दिन वह दिल्ली में होते हैं तो शनिवार व रविवार के बचे 2 दिन वे अपने गृह प्रदेश में गुजारते हैं। 

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो भाजपा की दक्षिण भारत की राजनीति की बागडोर बस दो हाथों में है, इनमें से एक वेंकैया स्वयं हैं, तो दूसरे भाजपा महासचिव राम माधव हैं। स्वदेशी जागरण मंच के मुरलीधर राव भले ही पार्टी महासचिव हों पर उनके पास काम नहीं है, पूछे जाने पर भोलेपन से सफाई देते हैं कि वह अब भी कर्नाटक देख रहे हैं तो सवाल उठता है कि फिर कर्नाटक के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर क्या देख रहे हैं? 

जानना मना है!
दिल्ली का जब से निजाम बदला है, शासन के दस्तूर भी बदले हैं और इसके कायदे-कानून भी, चुनांचे पत्रकारों की खबरों की भूख पर भी शिकंजा कसा है, ज्यादा जानकारी लेने या निकालने को भी शक की नजरों से देखा जा रहा है। जो सीनियर पत्रकारगण बेरोक टोक साऊथ ब्लॉक चले जाते थे और जिस अधिकारी से उनका मिलना तय होता था, आते-जाते वे कई अन्य परिचित अधिकारियों से भी बतिया लिया करते थे, उनके साथ चाय-वाय भी पी लिया करते थे। पर अब नहीं, अब साऊथ ब्लॉक के बाहर मुलाकातियों के लिए सख्त लहजे में नोटिस लगा दिया गया है कि आप सिर्फ  और सिर्फ  उसी व्यक्ति से मिल सकते हैं, जिनके साथ आपकी मुलाकात तय है और उस तय मुलाकात के अलावा आप किसी और से नहीं मिल सकते। यह भी बताया गया है कि आप सी.सी.टी.वी. की जद में हैं, और आपकी कोई भूल चूक आपको कानूनी पचड़ों में डाल सकती है। यानी कि नए निजाम की दीवार पर लिखी ये इबारत साफ  है कि ज्यादा जानने की भूख आपको मुसीबत में डाल सकती है। 

नए रूप में प्रणव दा
प्रणव दा जब से राष्ट्रपति भवन से लुटियंस जोन के 10 राजाजी मार्ग के बंगले में शिफ्ट हुए हैं, वह पूरी तरह से एक फैमिली मैन हो गए हैं। उनके इस डुप्ले बंगले की पहली मंजिल पर इनकी पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी रहती हैं जो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता हैं। नीचे दादा स्वयं रहते हैं, जहां दो कमरों में उन्होंने अपना ऑफिस और रीडिंग रूम बना रखा है। सनद रहे कि प्रणव दा को पढऩे का बहुत शौक है और उनकी अपनी लाइब्रेरी भी बहुत समृद्ध है। जब प्रणव दा राष्ट्रपति भवन में रहते थे तो उनकी पुत्री चाहकर भी उनके साथ नहीं रह सकती थी, क्योंकि वह देश के एक प्रमुख राजनीतिक दल की पदाधिकारी थीं। प्रणव दा हमेशा से प्रोटोकॉल के पक्के रहे हैं, चुनांचे उन्होंने कभी ऐसी परंपराओं को पोषित नहीं किया, जिससे उनके ऊपर कोई सवाल उठा सके। अब प्रणव दा अपनी मर्जी से मुलाकातियों की लिस्ट को फाइनल कर रहे हैं, इस कार्य में उनकी पुत्री उनका हाथ बंटा रही हैं और यही वक्त है जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी प्रणव दा के अनुभवों की सख्त दरकार है। 

हर्षवद्र्धन पर साइबर बम!
सियासत के भगवा रंग को पढऩे में और इसे अपने ललाट पर सजाने में कभी-कभी चूक कर जाते हैं पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवद्र्धन, कभी दिल्ली की भगवा राजनीति पर उनका परचम लहराता था, पर मोदी के अभ्युदय ने उनके हौसलों के पंख कतर दिए। इस बार दीवाली के मौके पर वह संघ और ङ्क्षहदूवादी संगठनों के अनायास ही निशाने पर आ गए। सनद रहे कि हर्षवद्र्धन लंबे समय से ग्रीन दीवाली और पटाखे मुक्त दीवाली की वकालत करते रहे हैं और जब इस दफे सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली व एन.सी.आर. में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया तो इससे उत्साहित होकर मंत्री जी ने अपने ट्विटर हैंडल से कोर्ट के इस अहम निर्णय का स्वागत कर डाला। 

मंत्री जी ने ट्वीट किया कि ‘उनके ग्रीन दीवाली अभियान के लिए बड़ा सपोर्ट है यह फैसला’ पर इस ट्वीट के कुछ मिनटों बाद ही ङ्क्षहदूवादियों के गुस्से का बम मंत्री जी पर फूटने लगा। तब तक संघ के शीर्ष नेतृत्व ने भी कोर्ट के इस फैसले को लेकर अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी। फिर क्या था, मंत्री जी पर अपने ही लोगों ने साइबर हमला बोल दिया। इतना बवाल मचा कि 5 घंटे के अंदर ही मंत्री जी को अपना यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा, तब कहीं जाकर उन्हें दीपावली की बधाइयां मयस्सर हो पाईं। 

सैयां भये कोतवाल...
छत्तीसगढ़ सी.डी. कांड की गुत्थियां सुलझाए नहीं सुलझ रहीं, कंगूरे पर आग है और मंजर धुआं-धुआं। छत्तीसगढ़ पुलिस की मुस्तैदी तो देखिए, सूचना मिलते ही दिल्ली हाजिर, उस वीडियो स्टूडियो में भी वह आनन-फानन में दबिश दे गई जहां कथित तौर पर 500 वीडियो सी.डी. बनाने का ऑर्डर आया हुआ था, सीनियर पत्रकार विनोद वर्मा धर लिए गए, उन पर छत्तीसगढ़ के एक मंत्री को ब्लैकमेल करने के आरोप लगे और छत्तीसगढ़ सरकार का शक उनके ऊपर इसलिए भी गहरा गया क्योंकि कथित तौर पर वह छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल का सोशल मीडिया हैंडिल कर रहे थे। वीडियो स्टूडियो वालों से पुलिस ने पूछा कि उन्हें यह डी.वी.डी. छापने का ऑर्डर किसने दिया तो विनोद वर्मा का नाम सामने आया और महज इसी आधार पर उन्हें धर लिया गया।-त्रिदीब रमण

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