‘जनमत संग्रह’ कोई अच्छा विचार नहीं

Edited By Pardeep,Updated: 13 Aug, 2018 02:21 AM

referendum  is not a good idea

राष्ट्र सामान्यत: सीधे तौर पर निर्णय नहीं लेते हैं। लोकतांत्रिक देश यह काम अपने एजैंटों अर्थात कानून निर्माताओं के माध्यम से करते हैं। अमरीका जैसे देशों में ताकतवर निर्णय लेने वाला व्यक्ति किसी बात या काम को करने के इरादे की घोषणा करता है और यह...

राष्ट्र सामान्यत: सीधे तौर पर निर्णय नहीं लेते हैं। लोकतांत्रिक देश यह काम अपने एजैंटों अर्थात कानून निर्माताओं के माध्यम से करते हैं। अमरीका जैसे देशों में ताकतवर निर्णय लेने वाला व्यक्ति किसी बात या काम को करने के इरादे की घोषणा करता है और यह घोषणा पत्र उसको चुनने का आधार बन जाता है। एक बार सत्ता में आने के बाद उनसे उम्मीद की जाती है कि वे घोषणा पत्र में किए गए अपने वायदों पर अमल करेंगे। अमरीकी मतदाताओं की अक्सर यह शिकायत रहती है कि ‘वाशिंगटन’ बदलता नहीं और उनकी बात नहीं सुनता है। उम्मीदवार वायदे करते हैं परन्तु उन पर अमल नहीं करते। 

इसका कारण यह नहीं कि राजनेता मतदाताओं की उपेक्षा करते हैं लेकिन एक बार चुने जाने के बाद उसके घोषणा पत्र का सामना हकीकत से होता है। परिपक्व लोकतांत्रिक देशों में बड़े बदलाव की सम्भावना बहुत कम रहती है क्योंकि यहां पर किसी एक व्यक्ति के हिसाब से काम नहीं किया जाता। राष्ट्र सीधे तौर पर निर्णय केवल जनमत संग्रह के माध्यम से लेते हैं। जनमत संग्रह किसी एक राजनीतिक प्रश्र पर सामान्य मत होता है जिसमें राष्ट्र को हां/ नहीं में उत्तर देना होता है। 2016 में यूनाइटिड किंगडम के नागरिकों (अर्थात इंगलैंड, स्काटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के निवासी) ने एक जनमत संग्रह में भाग लिया था। उन्हें जिस प्रश्र का जवाब देना था वह यह था ‘‘क्या यूनाइटिड किंगडम को यूरोपियन यूनियन का सदस्य बने रहना चाहिए अथवा यूरोपियन यूनियन को छोड़ देना चाहिए?’’ 

मतदाता को दो बाक्स वाला पत्र उपलब्ध करवाया गया जिसमें उसे दो में से एक विकल्प पर टिक करना था : ‘‘यूरोपियन यूनियन में रहना’’ और ‘‘यूरोपियन यूनियन को छोडऩा’’। पाठक जानते भी होंगे कि ब्रिटिशर्ज ने 48 प्रतिशत के मुकाबले 52 प्रतिशत मतों से यूरोपियन यूनियन को छोडऩे का निर्णय लिया जिसके वे 1973 से हिस्सा थे। ब्रिटिशर्ज दो कारणों से यूरोप को छोडऩा चाहते थे। पहला उनके ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्वी यूरोप, मुख्य तौर पर पोलैंड से काफी प्रवास हुआ था। यह वैध प्रवास था। यूरोपियन यूनियन का विचार चार स्वतंत्रताओं के इर्द-गिर्द घूमता है। ये चार स्वतंत्रताएं हैं वस्तुओं, सेवाओं, लोगों और पूंजी का स्वतंत्र स्थान परिवर्तन। 

यूरोप के नागरिक यूरोप में बिना बाधा के किसी भी जगह रुक सकते हैं, काम कर सकते हैं तथा कहीं भी निवेश कर सकते हैं। वे किसी भी यूरोपीय देश से बिना कस्टम के आयात-निर्यात कर सकते हैं। पोलैंड 2004 में यूरोपियन यूनियन में शामिल हुआ और अब इस देश के 8 लाख लोग यूनाइटिड किंगडम में रहते और काम करते हैं। इनमें से बहुत सारे अकुशल या अद्र्धकुशल वर्कर हैं जो खेतों में काम करते हैं। इन लोगों के प्रति कुछ नाराजगी थी, खास तौर पर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में, जिन्होंने यूरोपियन यूनियन छोडऩे के पक्ष में अथवा ब्रेग्जिट के पक्ष में जोर-शोर से मतदान किया था। 

दूसरा कारण जिससे ब्रिटिशर्ज को नाराजगी थी यह था कि यूरोपियन यूनियन में सामान्य नियम और कानून लागू होते थे, जिनका सदस्य देशों को पालन करना पड़ता था। उदाहरण के लिए मानवाधिकार। उदाहरण के लिए यूरोपियन यूनियन का कोई भी देश मृत्युदंड नहीं दे सकता है। व्यापार के क्षेत्र में यूरोपियन यूनियन ने सामान्य नियमों की सूची बनाई हुई थी, जिसका सभी सदस्य देशों को पालन करना होता था। बाहरी तौर पर देखने से ऐसा लगता है कि यह लाभदायक चीजें हैं परन्तु कुछ ब्रिटिशर्ज ने यह महसूस किया कि यह उनकी संप्रभुता में दखलअंदाजी थी। इन कारणों से यूनाइटिड किंगडम ने यूरोपियन यूनियन को छोडऩे का निर्णय लिया। 

ब्रेग्जिट वोट 2 साल पहले जून 2016 में हुआ परंतु यूनाइटिड किंगडम अभी तक यूरोप के साथ अपने संबंधों के नियम तय नहीं कर पाया है। एक सबसे पेचीदा मामला उत्तरी आयरलैंड के बारे में है। जैसा कि हम जानते हैं, इंगलैंड एक आईलैंड का हिस्सा है, जोकि पश्चिमी यूरोप तट के बाईं तरफ स्थित है। इंगलैंड के बाईं ओर आयरलैंड नामक एक अन्य आईलैंड है। यह दो भागों में बंटा है। इस देश का करीब 80 प्रतिशत भाग आयरलैंड गणराज्य है जोकि एक स्वतंत्र देश है और यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। लगभग 20 प्रतिशत उत्तरी आयरलैंड है जोकि यूनाइटिड किंगडम का हिस्सा है। उत्तरी आयरलैंड में प्रोटैस्टैंट्स और कैथोलिक्स रहते हैं, जबकि आयरलैंड गणराज्य में लगभग सभी कैथोलिक हैं। यूनाइटिड किंगडम लगभग सारा प्रोटैस्टैंट (इंगलैंड की चर्च के अधीन) है। कई मायनों में यह मामला भारत, कश्मीर और पाकिस्तान के मामले से मिलता-जुलता है। 

बहरहाल, 1998 में, यानी 20 साल पहले, कई दशकों तक चली लड़ाई और कई मौतों के बाद, तीनों पार्टियों ने एक शांति समझौता कर लिया, जिसे गुड फ्राइडे समझौता कहा जाता है। इस समझौते के तहत आयरलैंड गणराज्य और उत्तरी आयरलैंड के बीच सीमाएं खोल दी गईं और लोगों का एक-दूसरे देश में आने-जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया क्योंकि दोनों आयरलैंड और यूनाइटिड किंगडम यूरोपियन यूनियन के सदस्य थे, ऐसे में यह और भी उचित था। करीब 20 साल तक इस समझौते पर अमल हुआ और शांति बरकरार रही। अब जबकि यूनाइटिड किंगडम यूरोपियन यूनियन तथा इसके एकल बाजार को छोडऩा चाह रहा है, ऐसे में यूनाइटिड किंगडम (उत्तरी आयरलैंड सहित) और यूरोपियन यूनियन (आयरलैंड गणराज्य सहित) के बीच सीमा का प्रश्र एक बार फिर उभर आया है। 

एक बार जब यूनाइटिड किंगडम यूरोपियन यूनियन को छोड़ देगा, और यह 29 मार्च 2019 को प्रात: 11 बजे होगा, तब दोनों देशों के बीच कस्टम और वीजा संबंधी पाबंदियां शुरू हो जाएंगी। इससे उसी तरह का गुस्सा उभरेगा जैसा कि पहले हुआ था, जब कुछ आयरलैंड निवासियों ने सोचा कि उन्हें जानबूझ कर अलग किया जा रहा है। यह एक ऐसी बात है जिस पर यूनाइटिड किंगडम की जनता ने उस समय ध्यान नहीं दिया जब उन्होंने यूरोपियन यूनियन छोडऩे के लिए वोट देने का निर्णय लिया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि यूनाइटिड किंगडम इस समस्या से कैसे पार पाता है और कुछ माह बाद जब वह अकेला रह जाएगा तो दुनिया के बाजार में कैसे खुद को स्थापित करता है। कोई राष्ट्र जोश और उत्साह में आकर त्वरित निर्णय ले सकता है, जो लम्बे समय में उसे नुक्सान पहुंचा सकता है। यही कारण है कि, आमतौर पर, मैं यह सोचता हूं कि जनमत संग्रह एक अच्छा विचार नहीं है।-आकार पटेल

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