आरक्षण लोगों के उत्थान का एकमात्र उपाय नहीं

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2021 04:46 AM

reservation is not the only way to uplift the people

भारत के लोगों को तमाशा देखने की आदत बन गई है और चुनाव आते ही हमारे राजनेता आरक्षण और सबसिडी के उपहार बांटने लग जाते हैं। वे अपना वोट बैंक बढ़ानेे के लिए उन्हें मूंगफलियों की तरह बांटते हैं क्योंकि कोटा अर्थात आरक्षण यानी वोट भारत की राजगद्दी पर...

भारत के लोगों को तमाशा देखने की आदत बन गई है और चुनाव आते ही हमारे राजनेता आरक्षण और सबसिडी के उपहार बांटने लग जाते हैं। वे अपना वोट बैंक बढ़ानेे के लिए उन्हें मूंगफलियों की तरह बांटते हैं क्योंकि कोटा अर्थात आरक्षण यानी वोट भारत की राजगद्दी पर बैठने के लिए एक जिताऊ मिश्रण है। केन्द्र सरकार की समस्याएं इसलिए भी बढ़ीं कि उच्चतम न्यायालय ने शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र के निर्णय में रोड़ा डाल दिया है। 

उच्चतम न्यायालय ने सरकार से कहा है कि वह इस मानदंड की पुन: जांच करने के लिए 4 सप्ताह के भीतर एक विशेषज्ञ समिति का गठन करे और इस बात की जांच करे कि क्या 8 लाख रुपए प्रति वर्ष आय वाले लोग इस आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। न्यायालय ने हैरानी व्यक्त की कि क्या सरकार असमान लोगों को समान बनाने का प्रयास कर रही है। 

सरकार ने मैडीकल कॉलेज में प्रवेश के अखिल भारतीय कोटा में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की और उसी अनुपात में मैडीकल कालेजों में सीटें बढ़ाईं। अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण 1993 में शुरू किया गया था और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण वर्ष 2019 में चुनावों से पूर्व जनवरी 2019 में एक संविधान संशोधन द्वारा शुरू किया गया और इसका कारण यह था कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में उच्च जातियों की नाराजगी और बढ़ती बेरोजगारी के कारण भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ा था। विपक्ष ने भी इस निर्णय का समर्थन किया क्योंकि वे भी इससे लाभान्वित होते और उन्हें इस विधेयक को अस्वीकार करने वाले के रूप में नहीं देखा जाता। 

सरकार का मूल उद्देश्य गरीब और वंचित वर्गों का उत्थान, उन्हें शिक्षित करना तथा उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराना और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना है। यदि सरकार के लोकप्रिय कदमों और अविवेकशील तदर्थवादी घोषणाओं से वंचित और दलित वर्गों का उत्थान होता तो लोग वास्तव में हमारे नेताओं को माफ  कर देते, किंतु पिछले 7 दशकों में भारत में उनके उत्थान के लिए किसी भी तरह के कानून और जाति/उपजाति के आधार पर आरक्षण प्रदान करने से लाभ नहीं मिला है। आरक्षण के माध्यम से यदि कुछ लोगों को शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश मिल भी जाता है तो इससे गरीब लोगों का उत्थान कैसे होगा? 

यही नहीं, आरक्षण उपलब्ध कराने के बाद इस तथ्य का पता लगाने के लिए भी कोई अध्ययन नहीं किया गया कि जिन लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण दिया गया है, क्या इससे उनका मनोबल बढ़ा है? यह इस बात को रेखांकित करता है कि आरक्षण शैक्षिक व्यवस्था में गड़बड़ी का समाधान नहीं है या वह बेहतर जीवनशैली उपलब्ध नहीं करा सकता। उनके लिए न तो कोई कल्याण कार्यक्रम है और न ही कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा। 

क्या आरक्षण अपने आप में एक साध्य है? बिल्कुल नहीं। क्या इस बात का आकलन किया गया है कि जिन लोगों को आरक्षण दिया गया है उनको लाभ मिल रहा है या वे खो रहे हैं? नहीं, बिल्कुल नहीं। क्या भारत के सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने का समाधान आरक्षण है? बिल्कुल नहीं क्योंकि यह भारत के लोगों में मतभेद पैदा करता है और राष्ट्रीय एकता को नुक्सान पहुंचाता है। क्या यह तर्कसंगत है कि यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है तो वह दवाइयां बेचे और यदि दलित छात्र 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है तो वह डाक्टर बन जाए और इस व्यवस्था का कारण सिर्फ आरक्षण है। उस आरक्षण का क्या लाभ, जब छात्र या अधिकारी निर्णय लेने की प्रक्रिया के दबाव को सहन नहीं कर पाए। 

पिछड़ापन संविधान के अनुच्छेद 15 (1) द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार पर कब से हावी होने लगा है? वर्ष 2021 का भारत 1989 का भारत नहीं है, जब एक 18 वर्षीय छात्र राजीव गोस्वामी ने सार्वजनिक रूप से आत्मदाह कर लिया था। हमारे नेतागणों को यह समझना होगा कि वे आज जैन-एक्स और जैन-वाई का सामना कर रहे हैं और 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग में उनकी जनसंख्या लगभग 50 प्रतिशत है और वे कार्यों में विश्वास करते हैं न कि प्रतिक्रिया में। वे योग्यता के आधार पर रोजगार लेना चाहते हैं। 

हमारा रोजगार बाजार पहले ही अत्यधिक भीड़-भाड़ भरा है। देश में श्रम शक्ति में प्रति वर्ष 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है, जबकि रोजगार वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत है, जिससे बेरोजगारी 7.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है। किसी ने भी इस बारे में नहीं सोचा है कि रोजगार बाजार में प्रति वर्ष प्रवेश कर रहे 1 करोड़ 20 लाख लोगों को किस तरह रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इस परिदृश्य में आरक्षण कहां फिट होता है? आरक्षण का दायरा निरंतर बढ़ाना उचित नहीं है। आरक्षण के इस अविवेकपूर्ण विस्तार से विभिन्न समूह अपनी पहचान के लिए संघर्ष करने लग गए हैं, जिसके चलते आज ऐसी स्थिति बन गई है कि चुनावी रूप से महत्वपूर्ण समूह अन्य की कीमत पर लाभ उठा रहे हैं। 

अन्याय तब बढ़ता है जब समान लोगोंं के साथ असमान रूप से व्यवहार किया जाता है और जब असमान लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। इसके दो उदाहरण हैं। शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि आई.आई.टी. से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के 48 प्रतिशत और आई.आई.एम. से इन वर्गों के 62 प्रतिशत छात्र बीच में ही शिक्षा छोड़ देते हैं क्योंकि वे इन पाठ्यक्रमों को चुनौतीपूर्ण मानते हैं। इस मामले में आई.आई.टी. गुवाहाटी का रिकार्ड बहुत खराब है जहां पर उसके 25 ड्राप आऊट्स में से 88 प्रतिशत छात्र आरक्षित श्रेणी के हैं। उसके बाद दिल्ली आई.आई.टी. में ऐसे छात्रों की संख्या 76 प्रतिशत है। 

आई.आई.टी’का में 23 आई.आई.टी. के 6043 शिक्षकों में से अनुसूचित जाति के 149 और अनुसूचित जनजाति के 21 शिक्षक हैं जिनकी संख्या 3 प्रतिशत से कम है तथा 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से अधिकतर में अन्य  पिछड़े वर्गों से कोई शिक्षक नहीं है। आरक्षण लोगों के उत्थान का एकमात्र उपाय नहीं है न ही यह ग्रामीण समाज में बदलाव लाएगा, जिसका ढांचा अशिक्षा और अज्ञानता पर बना हुआ है और जिसके चलते आज भी जाति प्रथा विद्यमान है। 

वस्तुत: समय आ गया है कि हमारे राजनेता सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए रचनात्मक ढंग से सोचें। अब पदोन्नति में आरक्षण से उत्कृष्टता नहीं आएगी। इसके लिए हमारेे राजनेताओं को अनुसूूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को योग्य बनाने के लिए नए-नए उपाय करने होंगे ताकि वे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। दूसरी ओर उन्हें सेवा में उच्च पदों के योग्य भी बनाया जाए अन्यथा वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे।-पूनम आई. कौशिश 
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!