आधुनिक तकनीक से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

Edited By ,Updated: 24 Mar, 2021 02:52 AM

revolutionary change in the field of education with modern technology

देश भर में बोर्ड परीक्षाओं की घोषणा के साथ ही वर्तमान शिक्षण सत्र समाप्ति की ओर है। आजाद भारत के इतिहास में यह पहला ऐसा सत्र है जो स्कूल से नहीं बल्कि ऑनलाइन संचालित हुआ है। दरअसल कोरोना काल वाकई में सभी के लिए चुनौतीपूर्ण

देश भर में बोर्ड परीक्षाओं की घोषणा के साथ ही वर्तमान शिक्षण सत्र समाप्ति की ओर है। आजाद भारत के इतिहास में यह पहला ऐसा सत्र है जो स्कूल से नहीं बल्कि ऑनलाइन संचालित हुआ है। दरअसल कोरोना काल वाकई में सभी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, हमारे बच्चों के लिए भी, उनके शिक्षकों के लिए भी और उनके अभिभावकों के लिए भी। लेकिन इसके बावजूद आज अगर हम पीछे मुड़कर बीते हुए साल को एक सकारात्मक नजरिए से देखें तो हम कह सकते हैं कि कोरोना काल भले ही हमारे सामने एक चुनौती के रूप में आया हो परन्तु यह काल अनजाने में शिक्षा के क्षेत्र में हमारे छात्रों के लिए अनेक नई राहें और अवसर भी लेकर आया है। 

देखा जाए तो जीतने वाले और हारने वाले में यही तो अंतर होता है कि हारने वाला संकट के आगे घुटने टेक देता है जबकि जीतने वाला उस संकट में अवसर तलाश लेता है। इसलिए आज अगर यह कहा जाए कि कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि आधुनिक तकनीक के दम पर आज हमारे छात्रों के सामने शिक्षा हासिल करने के विभिन्न मंच और माध्यम उपलब्ध हैं।

स्कूल की कक्षाएं जो ऑनलाइन चल रही थीं उसके अलावा छात्रों के पास आज ये विकल्प हैं कि वे किस विषय को किस से और कब पढऩा चाहते हैं। यू-ट्यूब पर विभिन्न विषयों के विभिन्न जानकारों द्वारा अनेक वीडियो आसानी से उपलब्ध हैं वह भी बिना किसी शुल्क के। इतना ही नहीं बल्कि यू-ट्यूब पर तो एक ही टॉपिक पर अनेकों शिक्षकों के अनेकों वीडियो बेहद सरलता से मिल जाते हैं।

कल्पना कीजिए जो छात्र पहले स्कूल जाता था फिर घर आकर खाना भी मुश्किल से खा पाता था कि उसके कोचिंग क्लास जाने का समय हो जाता था। आने जाने में समय लगने के अलावा वापस आने के बाद उसे स्कूल और कोचिंग दोनों का होमवर्क करना होता था।

इसके अलावा कोचिंग क्लास में अगर किसी शिक्षक का पढ़ाने का तरीका पसंद नहीं आ रहा तो भी मजबूरी में उसी से पढऩा पड़ता था क्योंकि सालभर की फीस जो पहले से दे दी होती थी। लेकिन आज वह छात्र घर बैठे अपनी सुविधानुसार समय पर अपनी पसंद के शिक्षक से पढ़ सकता है और तो और,अगर वह चाहे तो दूसरे लिंक पर जाकर किसी अन्य शिक्षक से भी पढ़ सकता है जिसके लिए उसे कोई शुल्क भी नहीं देना। सोचिए कि एक छात्र के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है? शायद कुछ नहीं। शायद इसलिए हमारे छात्रों ने भी इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया। लेकिन यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि आज आधुनिक तकनीक से शिक्षा हासिल करने के लिए सिर्फ यू-ट्यूब ही एकमात्र प्लेटफार्म नहीं रह गया है।

सरकार ने भी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए और विशेष रूप से उन छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जो आर्थिक रूप से उतने सक्षम नहीं हैं या फिर जिन्हें लैपटॉप, स्मार्ट फोन, इंटरनैट, ब्रॉडबैंड जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उन तक भी शिक्षा की उपलब्धता हो इस हेतु अनेक सरल माध्यमों से शिक्षा देने के उद्देश्य से विभिन्न कदम उठाए हैं। जैसे ई-पाठशाला पोर्टल जिसमें कक्षा एक से बारहवीं तक की एन.सी.ई.आर.टी. की किताबें और संबंधित सामग्री उपलब्ध है। स्वयं पोर्टल जिस पर 9वीं कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रैजुएशन तक पढ़ाए जाने वाले विभिन्न एकैडमिक कोर्सेस और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। 

इसी प्रकार प्रधानमंत्री ई विद्या योजना के तहत डिजिटल शिक्षा एजुकेशन चैनल, कम्युनिटी रेडियो जैसे माध्यमों से दी जाएगी जिसमें हर कक्षा के लिए एक चैनल होगा। दिल्ली सरकार ने तो विश्व का पहला वर्चुअल स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है जहां ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी और इसमें देश भर के बच्चे पढ़ सकेंगे। लेकिन पढ़ाई के अलावा कोविड 19 की मौजूदा परिस्थितियों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ‘मनोदर्पण’ पहल की भी शुरूआत की गई है जो छात्रों,शिक्षकों और अभिभावकों के मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण के लिए एक स्थायी मनोसामाजिक सहायता प्रणाली के रूप में कार्य करेगा। इन परिस्थितियों ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है।-डा. नीलम महेंद्र
 

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