32 सालों से क्रास पर कील ठुकवा रहे रयूबेन को नहीं होता अब दर्द

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Apr, 2018 03:03 AM

ruben does not want to have a nail on the cross for 32 years

एक फिलीपीनी व्यक्ति, जिसे गत 32 वर्षों से जीसस क्राइस्ट को स्लीब पर चढ़ाने की अभिव्यक्ति के तौर पर प्रत्येक ईस्टर पर कील ठोंक कर क्रास पर टांगा जाता है, ने बताया कि अब उसे जख्मों से दर्द का कोई एहसास नहीं होता। फिलीपींस की राजधानी मनीला से लगभग 76...

एक फिलीपीनी व्यक्ति, जिसे गत 32 वर्षों से जीसस क्राइस्ट को स्लीब पर चढ़ाने की अभिव्यक्ति के तौर पर प्रत्येक ईस्टर पर कील ठोंक कर क्रास पर टांगा जाता है, ने बताया कि अब उसे जख्मों से दर्द का कोई एहसास नहीं होता। 

फिलीपींस की राजधानी मनीला से लगभग 76 कि.मी. दूर क्यूटुड गांव में एक पारम्परिक धार्मिक रस्म के अन्तर्गत गत शुक्रवार को 58 वर्षीय रयूबेन एनाजे ने एक बार फिर क्राइस्ट का रूप धरा। तेज धूप में आयोजित रस्म के बाद एनाजे ने बताया कि अतीत में वह जख्मी हालत में और लंगड़ाते हुए घर जाया करता था, लेकिन इस वर्ष उसे बहुत अच्छा महसूस हुआ। उसने बताया कि कैथोलिक मत में उसके अथाह विश्वास के कारण उसे पीड़ा सहने में मदद मिली। परमात्मा की ओर इशारा करते हुए उसने कहा कि उसे ऐसा महसूस होता है जैसे ‘वह’ उससे कह रहे हों कि आगे बढ़ो और बढ़ते रहो। ईस्टर को क्राइस्ट को सूली पर चढ़ाने के बाद फिर से जी उठने की स्मृति में मनाया जाता है। 

फिलीपींस, जो एक पूर्व स्पैनिश कालोनी था, के 10.5 करोड़ लोगों में से 80 प्रतिशत कैथोलिक हैं। एनाजे ने कहा कि वह अभी खुद को इतना मजबूत महसूस कर रहा है कि दो-तीन बार और सूली पर चढ़ सकता है जब तक कि वह 60 वर्ष का नहीं हो जाता। एनाजे गत शुक्रवार को लकड़ी के क्रास पर लटकाए जाने वाले तीन लोगों में से एक थे, जिनमें एक महिला भी थी, जो सातवीं बार इसमें भाग ले रही थी। रोमन सैनिकों जैसे परिधान पहने हुए अभिनेताओं ने श्रद्धालुओं को उनके हाथों तथा पैरों में 2 इंच लंबे कील, जिन्हें एल्कोहल में डुबोकर रखा गया था, ठोंक कर लकड़ी के क्रास पर लटका दिया और फिर देशी तथा विदेशी पर्यटकों से भरे मैदान में तीनों क्रास खड़े कर दिए। 

फिलीपींस में कैथोलिक चर्च इस रस्म को सहन करता है, मगर उसका कहना है कि वह इस तरह के रक्तमय प्रदर्शन का समर्थन नहीं करता। वह इसे ईसाई मत की ‘गलत व्याख्या’ बताता है। फिलीपींस में ईस्टर के पवित्र सप्ताह के दौरान प्रार्थना तथा दुआ के तौर पर बहुत से कैथोलिक तपस्या के धार्मिक कार्य करते हैं। कुछ का मानना है कि तपस्या करने से पाप धुल जाते हैं, बीमारियां ठीक हो जाती हैं और यहां तक कि इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं। 

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