‘लातों के भूत बातों से नहीं मानते’ महिलाओं के लिए खराब सोच रखने वाले पुरुषों को कड़ी सजा ही एकमात्र इलाज

Edited By ,Updated: 13 Jan, 2017 12:48 AM

rude people don t understand soft language

मैं लंदन में थी और मुझे अपनी मित्र की बेटी तथा उसकी सहेलियों की मेजबान की भूमिका निभाने का प्रस्ताव मिला, यदि वे...

मैं लंदन में थी और मुझे अपनी मित्र की बेटी तथा उसकी सहेलियों की मेजबान की भूमिका निभाने का प्रस्ताव मिला, यदि वे भारत की यात्रा करती हैं। वे बहुत डरी हुई थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि वे कभी भी भारत नहीं जाएंगी क्योंकि यह लड़कियों के लिए बहुत असुरक्षित है।

उन्होंने मुझे जानकारी दी कि कैसे उनकी दो सहेलियों के साथ राजस्थान में छेड़छाड़ की गई। उनके साथ हर किस्म की प्रताडऩा की गई। मैं बहुत शर्मिन्दा हुई और नहीं जान पाई कि कैसे अपनी प्रतिक्रिया दूं। उन्होंने बताया कि उन दो पर्यटकों की स्थिति ऐसे बयां कर रही थी कि जैसे विदेश में अकेले यात्रा करने पर उनसे छेडख़ानी की जाएगी।

बलात्कार, महिलाओं के साथ छेडख़ानी तथा अशिष्टता की विभिन्न कहानियां बाहरी दुनिया में आज मेरे देश की एक छवि बन चुकी हैैं। इसे देवियों की धरती के तौर पर जाना जाता है, नवरात्रि के दौरान कन्याओं का पूजन करने वाली धरती के रूप में। जहां हम पुरुष तथा महिलाएं काली, दुर्गा तथा देवी के कई रूपों की पूजा करते हैं।

हमारे देश में हजारों देवी मंदिर हैं, जहां दर्शन करने के लिए पुरुष दिन भर कतारों में खड़े रहते हैं। यह वह जगह है, जहां जब एक लड़की पैदा होती है, तो हम कहते हैं कि लक्ष्मी आई है अथवा देवी खुद पधारी हैं। हमें लड़कों के मुकाबले लड़कियों के लालन-पालन में अधिक मजा आता है।

मैं एक दादी हूं, सौभाग्यवश मेरी पोती तथा पोता दोनों हैं। मेरी पोती अधिक बातूनी, तीक्ष्ण बुद्धि तथा शरारती है, जिस कारण घर में अधिक रौनक बनी रहती है। उसे पता है कि  कैसे प्यार प्रदॢशत करना है। पोता अधिक चौकस तथा चुप रहने वाला है और ज्यादा बात नहीं करता।

आजकल अभिभावक बेटियों के लिए प्रार्थना करते हैं। वे अधिक परवाह और प्रेम करने वाली 
होती हैं तथा हमेशा अपने माता-पिता की देखभाल करती हैं। बेटों के बारे में हम जानते ही हैं कि दुनिया की रीत है कि शादी के बाद उनका व्यवहार पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी पत्नियां उनके अभिभावकों के बारे में क्या सोचती हैं। इसलिए हम अधिक उम्र वालों के लिए भी बेटियां एक सुरक्षित दाव होती हैं।

मां, बहन, बेटी अथवा पत्नी का दिल सोने का होता है। जरूरत के समय वे किसी भी कीमत पर आपके साथ खड़ी होती हैं। तो फिर क्या कारण है कि इस सबके बावजूद हम यह महसूस करते हैं कि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। हम पुरुषों से अधिक कमा सकती हैं और बेहतर नेता भी हो सकती हैं।

जिस पल हमारा जन्म होता है, तभी से हमें बताया जाता है कि हमारा भाई पहले नम्बर पर आता है, बेशक वह एक लल्लू ही क्यों न हो। हमें सफाई करना, खाना पकाना, सिलाई करना तथा प्रत्येक का सम्मान करना सिखाया जाता है। हमें क्यों नहीं सिखाया जाता कि यदि हमारे भाई हमारे साथ खराब व्यवहार करें तो पलट कर उन्हें एक थप्पड़ जड़ दिया जाए।

हमारे दिमागों में यह ठूंस-ठंूस कर भर दिया जाता है कि हमारा जन्म हर उस खुशी का बलिदान करने के लिए हुआ है, जो हम चाह सकती हैं। हद तो इस बात की है कि यदि हम बहुत खुश हैं तो उसके लिए भी गलती महसूस करनी होती है।

क्यों पुरुषों को खाना बनाना तथा सफाई करना नहीं सिखाया जाता? आमिर खान की नई फिल्म ‘दंगल’ में दिखाया गया है कि यदि लड़कियों को सही शिक्षा मिले तो वे पुरुषों को कुश्ती में भी हरा सकती हैं। बचपन से ही प्रशिक्षण दोनों ङ्क्षलग के बच्चों को यह सिखा सकता है कि वे बराबर हैं। किसी को यह कहना असामान्य तथा पेचीदा बात है कि वह बेहतर है तथा घर में महिलाओं को अपने सिर के बल खड़े होकर उनकी सेवा करनी चाहिए।

महिलाओं को भी बचपन से ही शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इन पुरुषों को उसी समय धिक्कार दिया जाना चाहिए, जब वे किसी लड़की की ओर गलत नजरों से देखते हैं। वे पशु हैं। युवा अथवा बुजुर्ग, वे मानसिक रूप से बीमार हैं। कोहनी या हाथ से किसी महिला को छूना गलती से नहीं होता, यह पूर्व नियोजित होता है। एक असहाय लड़की पर वह बल दिखाने का बस एक पल।

व्यभिचार मानसिक बीमारी है, जो बचपन से ही पैदा हो जाती है। इसकी शुरूआत पारिवारिक व्यभिचार से होती है, जहां एक लड़की को बंद दरवाजों के पीछे चुपचाप रोने के लिए मजबूर कर दिया जाता है, अन्यथा दोष उसी के सिर मढ़ दिया जाता है। बिग बॉस रियल्टी शो के स्वामी ओम जैसे ये तथाकथित साधु कहते हैं कि महिलाओं का कपड़े पहनने का तरीका उनके बलात्कार को आमंत्रण देता है। इतनी बात कहने के लिए भी महिलाओं को उन्हें धूल चटा देनी चाहिए।

यही कारण हैं जो मेरे देश की छवि  खराब करते हैं, जहां पुरुष देवताओं के समान हैं और राष्ट्रीय टी.वी. पर महिलाओं का अपमान करके चले जाते हैं। और टी.वी. चैनल अपनी टी.आर.पी. को देखते हुए इस अश्लील घटना को दिखाते रहते हैं। यह एक गलत सोच है, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को खराब कर रही है।

ऐसी निम्न सोच वाले हमारे बीमार पुरुषों को चिकित्सा सहायता की अत्यंत जरूरत है। मैं समझती हूं कि सरकार को पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी ऐसी नि:शुल्क योजना की घोषणा करनी चाहिए और दोषी को तुरन्त कड़ी सजा दी जानी चाहिए। न लंबे चलने वाले मुकद्दमे और न ही लंबे समय तक चलने वाली चर्चाएं, केवल सख्त सजा। क्योंकि ‘लातों के भूत बातों से नहीं मानते’। 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!