शिरोमणि अकाली दल को दिल्ली में झटके!

Edited By Pardeep,Updated: 15 Dec, 2018 05:16 AM

shiromani akali dal jolts in delhi

पंजाब की राजनीति से चाहे अलग न होकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल अलग-अलग इकाइयां दिखती हैं परंतु दिल्ली में ऐसा हरगिज नहीं है। दिल्ली में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से सीधा भाव राजनीति दखल से है। यहां जो दिल्ली कमेटी का...

पंजाब की राजनीति से चाहे अलग न होकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल अलग-अलग इकाइयां दिखती हैं परंतु दिल्ली में ऐसा हरगिज नहीं है। दिल्ली में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से सीधा भाव राजनीति दखल से है। यहां जो दिल्ली कमेटी का सदस्य होगा, वहीं बाद में विधानसभा या दिल्ली म्यूनिसिपल कमेटी के चुनाव लड़ेगा। 

सिख भाईचारे के स्वभाव में ही यह बात है कि किसी भी तरह से आप धर्म और राजनीति को अलग नहीं रख सकते। इस कारण दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अलग कर दिए गए प्रमुख मनजीत सिंह जी.के. के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के पटियाला कोर्ट द्वारा सुनाए आदेशों के कारण शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के सिख हलकों में वाह-वाह तो हो रही है। दिल्ली में इस झटके को भविष्य की राजनीति में होने वाली उथल-पुथल के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है। 

कौन नहीं जानता कि दिल्ली के सिख भाईचारे की दिल्ली सरकार तथा केन्द्र सरकार में भी जो स्थान है, वह सराहनीय है। चाहे डा. मनमोहन सिंह अपने बौद्धिक स्तर, ईमानदारी के साथ-साथ तजुर्बे के कारण प्रधानमंत्री बने थे परंतु हमें एक सिख चेहरे के तौर पर उनकी शख्सियत को भाईचारे  की मिसाल के तौर पर भी जरूर आंकना चाहिए। देश-विदेश में इस सिख चेहरे का प्रभाव आज तक कायम है। यह किसको नहीं पता कि सीधे रूप में ही दिल्ली के राजौरी गार्डन, तिलक नगर, हरी नगर, जनकपुरी, पंजाबी बाग, गीता कालोनी और माडल टाऊन विधानसभा हलकों के निर्णायक वोट ही सिख भाईचारे के हैं। बाकी अन्य इलाके दिल्ली विधानसभा हलके के हैं, जिनमें सिख भाईचारे की वोट वर्णनीय हैं। दिल्ली के व्यापार या निर्माण में जो सिख भाईचारे का हिस्सा है वह किसी से छिपा नहीं है। इसी तरह दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव पंजाब की राजनीति पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं। 

बेटी-दामाद के नाम पर निकलवाए लाखों 
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार मनजीत सिंह जी.के. ने कमेटी के अंदर ऐसा क्या किया? अदालत द्वारा जो आदेश हुए हैं, उनके अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे जी.के., सचिव अमरजीत सिंह पप्पू तथा महाप्रबंधक हरजीत सिंह के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज किए जाने के लिए कहा गया है। ये आरोप कमेटी के पूर्व महासचिव और वर्तमान सदस्य गुरमीत सिंह शंटी ने लगाए हैं। उनके अनुसार जी.के. द्वारा कमेटी में 82 हजार किताबों की छपाई दिखा कर झूठे बिल बनवा कर पास करवाए गए। ऐसे ही कमेटी से 51 लाख रुपए  जमा करवाने के नाम पर निकलवाए गए परंतु जमा नहीं करवाए गए। जी.के. ने अपनी लड़की और दामाद की बंद पड़ी कम्पनी के लाखों रुपए के नकली बिल बनवाए, जिसके काम की आपूर्ति आज तक कमेटी को नहीं हुई। आरोप बहुत गम्भीर है और माननीय अदालत ने भी सख्ती से नोटिस लिया है। 

एक नजर जी.के. की प्रमुखता के समय कमेटी के कार्यों की तरफ देखें तो कुछ उदास करने वाले नजर आते हैं। विशेषकर अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बात करें तो पिछला इतिहास यह बताता है कि कमेटी ने इस तरफ वर्णनीय कार्य किए  हैं परंतु पिछले समय दौरान कमेटी के जो तकरीबन 10-12 स्कूल हैं उनकी ओर नजर दौड़ाएं तो वे खस्ता हालत में दिखाई दे रहे हैं। हालत यह है कि जो भी अध्यक्ष आया उसने अपने चहेतों को स्कूलों में भर्ती कर स्कूलों की बेहतरी के लिए भी नहीं सोचा। अब जी.के. के समय हालत यह है कि स्कूल में अध्यापक ज्यादा और बच्चे कम हैं। स्कूल का स्तर गिरता जा रहा है। इसी तरह ज्यादा अच्छी तरह चल रहे कमेटी के 4 कालेजों का भी बुरा हाल है। यहां भी विद्याॢथयों की कमी खलती है। अध्यापकों को पिछले 6-6 महीनों से वेतन नहीं मिला। 7वां पे कमिशन इन पर लागू नहीं किया गया। कालेजों के अध्यापक  निराश हैं, लिहाजा जिन सिख सिद्धांतों को दूर-दूर तक फैलाना था, उससे हमारे बच्चे वंचित रह गए। इन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। 

सिख संगत में भी जी.के. का विरोध 
इनके समय में दिल्ली के सिख भाईचारे में जो रोष बढ़ा था, वह दिल्ली के गुरुद्वारों की कारसेवा को लेकर भी था। गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब की कार सेवा दशकों से बाबा हरबंस सिंह करते आ रहे थे और उनके बाद बाबा बचन सिंह ने सेवा संभाली परंतु जी.के. के बाद बाबा हरनाम सिंह धुमा को ले आए जिसका लोगों में काफी विरोध देखने को मिला। इसी तरह गुरुद्वारा श्री रकाबगंज साहिब में इन्होंने बाबा भूरी वाले को कार सेवा की जिम्मेदारी दी। समाचारों में यह भी पता चला है कि वह गुरुद्वारा साहिब को तोड़कर बनाने में लगे थे। सिख संगत ने इसका डटकर विरोध किया। यह भी तकनीकी बात बाहर आई कि यदि यह गुरुद्वारा साहिब एक बार फिर गिरा दिया जाता है तो शायद दोबारा नहीं बनाया जा सकता। इसके पीछे सरकारी तौर पर कुछ तकनीकी कारण लोगों ने बताए थे। खैर ऐसा नहीं हुआ। परंतु लोगों में इनके प्रति रोष और तेज हो गया। अगर सिख संगत वाली लाइन से भी जी.के. के कार्यों को देखना है तो वहां बहुत से कार्यों का विरोध भी नजर आ रहा है। वहीं इनके पक्ष में भी लोग दिखाई नहीं दे रहे हैं। 

मनजीत सिंह जी.के. और दिल्ली शिरोमणि अकाली दल की इकाई भंग करने को चाहे प्रमुख नेता अगली लोकसभा चुनावों का कारण कहे जाएं परंतु कौन नहीं जानता कि राजनीति आखिर है क्या? यह बात भी ध्यान देने वाली है कि इस समय दिल्ली की राजनीति में अकालियों द्वारा जी.के. का कद काफी ऊंचा हो गया था। अब इस ऊंचे कद का धड़ाम से गिरना कोई छोटी बात नहीं है। यह कौन भूला है 2017 में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के विरोध की जो लहर थी, उसके कारण जी.के. ने सुखबीर सिंह बादल को कमेटी के चुनावों से दूर रहने के लिए कहा था। वह खुद ही बहुत सारे फैसले लेते हैं।

राजनीतिक तौर पर भी उनकी ऊंचाई हम सबने देखी हुई है। अब यह झटका अकालियों को पंजाब में पराजित होने के बाद और भी असहनीय लग रहा है। इस सारे भविष्य की तरफ अगर नजर डालें तो चाहे राजनीतिक तौर पर अकालियों को मार पड़ेगी परंतु कमेटी में इस समय अवतार सिंह हित की वापसी भी हो सकती है। दो बड़े कारणों को भी देखें तो उनसे भी ऊंचे कद का अकालियों के पास कोई नेता दिल्ली में इस समय नजर नहीं आ रहा। दूसरा कारण यह भी है कि कमेटी में गड़बड़ का दौर चल रहा है। उस समय इस पार्टी में सीधा दखल प्रकाश सिंह बादल का है। क्योंकि अवतार सिंह हित भी टकसाली अकाली हैं और बड़े बादल के बहुत ही नजदीकी माने जाते हैं। इसलिए जिम्मेदारी कोई भी संभाले, अकालियों को राजनीतिक तौर पर अब दिल्ली में भी बचाने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा।-देसराज काली (हरफ-हकीकी)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!