रोजगार के लिए कौशल विकास पहली जरूरत

Edited By ,Updated: 16 Jan, 2019 04:43 AM

skill development for employment first need

इन दिनों पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त शोध संगठन मैकिंसे ग्लोबल इंस्टीच्यूट की रोजगार से संबंधित अध्ययन रिपोर्ट को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 2030 तक कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस) के कारण 80...

इन दिनों पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त शोध संगठन मैकिंसे ग्लोबल इंस्टीच्यूट की रोजगार से संबंधित अध्ययन रिपोर्ट को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 2030 तक कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस) के कारण 80 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी और 37 करोड़ पेशेवरों को नए सिरे से विशेष कौशल प्रशिक्षण लेना होगा।

इस रिपोर्ट के बाद दुनिया भर में रोजगार प्रशिक्षण संबंधी नई नीतियों पर मंथन किया जा रहा है। भारत में नौकरियों एवं रोजगार की चिंताएं दुनिया में सबसे अधिक हैं। देश में वैश्वीकरण और निजीकरण की आर्थिक नीति से सरकारी क्षेत्र में रोजगार के मौके घटते गए हैं और निजी क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षित युवाओं के लिए ही नौकरी के अवसर बढ़ सके हैं। 

वैश्विक अध्ययन रिपोर्टों में यह बात भी उभर कर सामने आ रही है कि भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी के लिए ही देश और दुनिया में रोजगार के मौके तेजी से बढ़ रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले 2 वर्षों से अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारतीय पेशेवरों के लिए एच-1 बी वीजा संबंधी मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं। परिणामस्वरूप भारतीय आई.टी. पेशेवरों की अमरीका में कमी संबंधी ङ्क्षचताओं से अमरीका के उद्योग-कारोबार की चिंताएं बढ़ गईं। ऐसी चिंताओं के कारण हाल ही में 11 जनवरी को ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा है कि हम प्रतिभाशाली और उच्च कौशल वाले लोगों को अमरीका में करियर बनाने के लिए बढ़ावा देंगे। ऐसे में देश की नई पीढ़ी को करियर और रोजगार की नई जरूरतों के अनुरूप शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने की आवश्यकता दिखाई दे रही है। 

आई.टी. पेशेवरों में रोजगार योग्यता की कमी
गौरतलब है कि इन दिनों भारत सहित पूरी दुनिया में भारत की नई पीढ़ी की प्रतिभा क्षमता और कौशल क्षमता से संबंधित हाल ही में प्रकाशित दो रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। पहली रिपोर्ट विश्वविख्यात आई.एम.डी. बिजनैस स्कूल स्विट्जरलैंड द्वारा प्रकाशित की गई ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2018 तथा दूसरी रिपोर्ट भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की आई.टी. पेशेवरों में रोजगार योग्यता की कमी से संबंधित है। 

उल्लेखनीय है कि आई.टी.एम.डी. बिजनैस स्कूल की रिपोर्ट में भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 51वें स्थान से दो पायदान फिसलकर 53वें स्थान पर आ गया है। इस टैलेंट रैंकिंग में स्विट्जरलैंड लगातार पांचवें साल शीर्ष पर रहा है। डेनमार्क दूसरे, नॉर्वे तीसरे, ऑस्ट्रिया चौथे और नीदरलैंड पांचवें स्थान पर है। एशिया में सिंगापुर सूची में सबसे ऊपर है। यह 13वें स्थान पर है। चीन इस सूची में 39वें स्थान पर है। ब्रिक्स देशों में ब्राजील 58वें, दक्षिण अफ्रीका 50वें और रूस 46वें स्थान पर है। टैलेंट रैंकिंग की वैश्विक सूची में प्रतिभाओं के विकास, उन्हें आकर्षित करने, उन्हें देश में ही जोड़े रखने तथा उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए किए जा रहे निवेश के आधार पर रैंकिंग दी गई है। इस टैलेंट रैंकिंग सूची के प्रकाशन के साथ सूची में शामिल विभिन्न देशों में टैलेंट की स्थिति के बारे में भी टिप्पणियां की गई हैं। 

भारत के बारे में कहा गया है कि टैलेंट पूल की गुणवत्ता के मामले में भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर है लेकिन अपनी शैक्षणिक प्रणाली की गुणवत्ता और सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की कमी के कारण निवेश और विकास के मामले में भारत सूची में शामिल सभी देशों में सबसे पीछे है। इसी प्रकार भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि  भारत में 91 फीसदी आई.टी. पेशेवर नौकरी के योग्य नहीं हैं। केवल 9 फीसदी आई.टी. पेशेवर ही सीधे नौकरी पर रखने योग्य हैं। वस्तुत:आई.टी. क्षेत्र में नई तकनीकों पर काम हो रहा है और उसके मद्देनजर भारतीय आई.टी. पेशेवर उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के अंत तक आई.टी. क्षेत्र में करीब 72 लाख नए पेशेवरों की जरूरत होगी  लेकिन उपयुक्त नए तकनीकी प्रशिक्षण के बाद ही इन लोगों को रोजगार मिल पाएगा। 

हमारा ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग में बहुत पीछे रहने पर चिंतित होना और आगे बढऩे की राह निकालना इसलिए जरूरी है क्योंकि देश की नई पीढ़ी को कुशल बनाकर ही रोजगार की उजली संभावनाओं को साकार किया जा सकेगा और देश की तस्वीर को चमकीला बनाया जा सकेगा। गौरतलब है कि भारत की  करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या उन लोगों की है, जिनकी उम्र 25 साल से कम है। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है। 

चूंकि भारत के पास विकसित देशों की तरह रोजगार बढ़ाने के विभिन्न संसाधन और आर्थिक शक्तियां नहीं हैं, अतएव भारत की युवा आबादी ही कौशल प्रशिक्षित होकर मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के लिए उपयोगी और भारत के लिए आर्थिक कमाई का प्रभावी साधन सिद्ध हो सकती है। इस समय पूरी दुनिया के अधिकांश देश रोजगार में वृद्धि करने का मुख्य लक्ष्य बनाए हुए हैं। दुनिया के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद यानी जी.डी.पी. वृद्धि तथा आर्थिक वृद्धि  से रोजगार में बड़ी मात्रा में वृद्धि नहीं हो सकती है। नई पीढ़ी के कौशल प्रशिक्षण से ही भारत में तेजी से रोजगार वृद्धि होगी। 

पेशेवर युवाओं की बढ़ रही मांग
भारतीय पेशेवरों की आवश्यकता बताने वाली कई और महत्वपूर्ण रिपोर्टें दुनिया और देश भर में रेखांकित हो रही हैं। वेे रिपोर्टें बता रही हैं कि एक ओर भारत के आई.टी., मैनेजमैंट, इंजीनियरिंग, मैडीकल, लॉ, अकाऊंटिंग आदि पेशेवर पढ़ाई वाले शिक्षित-प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर देश के उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षित लोगों की मांग और आपूर्ति में लगातार अंतर बढ़ता जा रहा है। भारत में करीब 20 फीसदी लोग ही कौशल प्रशिक्षण से शिक्षित-प्रशिक्षित हैं, जबकि चीन में ऐसे लोगों की संख्या 80 प्रतिशत है। 

2030 तक भारत के पास होगा अतिरिक्त कुशल श्रम बल
गौरतलब है कि दुनिया के ख्याति प्राप्त मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्न फेरी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि जहां दुनिया में 2030 तक कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल श्रमबल हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया के 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल श्रमशक्ति की कमी होगी। वहीं, दुनिया में भारत इकलौता देश होगा जिसके पास अतिरिक्त कुशल कामगार उपलब्ध हो सकेंगे। भारत ऐसे में विश्व के तमाम देशों में कुशल कामगारों को भेजकर फायदा उठा सकेगा। 

इसी तरह विश्व बैंक की वैश्विक रोजगार से संबंधित नवीनतम रिपोर्ट में भी कहा गया है कि दुनिया के अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में कामकाजी आबादी कम हो रही है। ऐसे में इन देशों में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है। ऐसे में जरूरी है कि भारत डिग्री के साथ टैक्नीकल स्किल्स एवं प्रोफैशनल स्किल्स से दक्ष प्रतिभाओं का निर्माण करे। देश में रोजगार के लिए कौशल युक्त प्रतिभाओं का निर्माण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि रोजगार के मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रहे रोबोट चुनौती देते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

जहां रोबोट ने मनुष्य को शारीरिक क्षमताओं के मामले में पीछे छोड़ दिया है, वहीं अब दिमागी कामों के मामले में भी रोबोट इंसान को पछाड़ सकते हैं। जापान में बन रहे ये रोबोट डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट, सैनिक, प्रोफैसर, संपादक, इंजीनियर, कम्प्यूटर इंजीनियर, अकाऊंटैंट और सेल्समैन जैसे कई तरह के कार्य कर सकेंगे।  यह कहा जा रहा है कि अधिकांश रोबोट की उत्पादकता भी मनुष्यों से लगभग 3-4 गुना ज्यादा है और उनको आराम करने की भी जरूरत नहीं होती। साथ ही इनकी गणनाएं अधिक सटीक होती हैं। एक रोबोट कम से कम 3 आदमियों के बराबर काम कर सकता है। 

कौशल विकास मंत्रालय पर अहम जिम्मेदारी
अब चूंकि कृत्रिम बुद्धिमता के कारण नौकरियों की संख्या में और कमी आएगी लेकिन बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर जेम्स बेसेने के नए शोध अध्ययन के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमता वाले रोजगार परिदृश्य में नई किस्म के रोजगार अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे, जिनके लिए उच्च कौशल से प्रशिक्षित युवाओं के लिए बड़ी संख्या में नए मौके होंगे। ऐसे में देश में कौशल विकास के लिए गठित किए गए विशेष मंत्रालय को कौशल विकास की नई जिम्मेदारियों के साथ आगे आना होगा। यदि हम चाहते हैं कि भारत अपनी प्रतिभाओं और अपने कुशल व प्रशिक्षित श्रमबल से आर्थिक व औद्योगिक विकास की नई  इबारत लिखे और भारतीय प्रतिभाएं देश की मिट्टी को सोना बना दें, तो हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। 

एक ओर हमें शैक्षणिक दृष्टि से पीछे रहने वाले युवाओं को कौशल विकास से प्रशिक्षित करना होगा और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित करना होगा। वहीं दूसरी ओर गांवों में काफी संख्या में जो गरीब, अशिक्षित और अद्र्धशिक्षित लोग हैं, उन्हें अर्थपूर्ण रोजगार देने के लिए प्रशिक्षित करके निम्न तकनीक विनिर्माण में लगाना होगा। देश की नई पीढ़ी को कौशल प्रशिक्षित करने के लिए छात्रों को 9वीं कक्षा से ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम से शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा। व्यावसायिक पाठ्यक्रम को स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना होगा। यह भी जरूरी है कि आई.टी. मंत्रालय नैस्काम के साथ-साथ सिलीकॉन वैली में आई.टी. क्षेत्र के बड़े नियोक्ताओं से संपर्क करके पेशेवरों को उपयुक्त प्रशिक्षण के लिए कार्य योजना तैयार करे। 

उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रोजगार योग्यता में नई तकनीकी की कमी से संबंधित रिपोर्ट में बताए गए विभिन्न पहलुओं पर विचार करके देश की नई पीढ़ी को देश और दुनिया की रोजगार जरूरतों के मुताबिक कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करके प्रतिभाशाली बनाने की डगर पर कदम आगे बढ़ाएगी। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, युवाओं के चेहरे पर मुस्कराहट आएगी तथा देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।-डा. जयंतीलाल भंडारी   

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